2016-03-25 11:45:00

नफरत और लालच की भावना पर भाईचारे की जीत, संत पापा


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 25 मार्च 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने पुण्य बृहस्पतिवार 24 मार्च को, रोम के बाहर कस्तेलनोवो दी पोरता स्थित शरणार्थी केंद्र, कोएना दोमीनी में 25 विभिन्न देशों के 900 शरणार्थियों के लिए पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि सम्पन्न किया।

कोएना दोमीनी काथलिक ‘ऑक्ज़ीलियम सहकारी’ द्वारा संचालित एक शरणार्थी केंद्र है जहाँ अस्थायी आवास की व्यवस्था है।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा ने उन लोगों के प्रति अपनी नाराजगी जतायी जो यूदस इस्कारियोती की तरह लाभ के लिए कलह उत्पन्न करते तथा मुनाफे के लिए हथियारों एवं रक्तपात के उपकरणों का व्यापार करते हैं। उन्होंने विश्व समुदाय द्वारा इस पर ठोस कर्रवाई किये जाने पर भी बल देते हुए कहा कि शांति चाहने और भाई- बहन की तरह रहने की कामना करने वाले विभिन्न धर्मों तथा सांस्कृतिक परम्परा के लोगों के बीच भाईचारा, एकता और शांति का भाव एक शक्तिशाली साक्ष्य है और यह भाव आज की कष्टमय दुनिया के लिए आवश्यक है।

संत पापा ने कहा, ″इशारा अथवा संकेत किसी चित्र या शब्द से अधिक ऊँची आवाज में बोलता है। पवित्र धर्मग्रंथ में हम दो इशारों के बारे पढ़ते हैं, एक सेवा का भाव तथा दूसरा विश्वासघात का। येसु द्वारा चेलों के पैर धोना अर्थात् एक प्रधान द्वारा दूसरों, अपनों एवं नगण्य समझे जाने वाले लोगों के पैर धोने का संकेत तथा दूसरा, यूदस द्वारा येसु का विश्वासघात। वह येसु के शत्रुओं के पास गया, उन लोगों के पास जो येसु को शांति नहीं चाहते थे। येसु को चाँदी के तीस सिक्कों में बेच बेचाकर उनके साथ विश्वासघात किया।

संत पापा ने कहा कि आज भी ये दो इशारे अथवा संकेत हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई सभी लोगों में देखने को मिलती हैं। हम एक ही ईश्वर की संतान हैं और हम अविभाज्य होकर शांति से जीना चाहते हैं। संत पापा ने बेल्जियम में विगत दिनों हुई दुखद घटना की याद करते हुए कहा कि तीन दिनों पूर्व शांति नहीं चाहने वाले लोगों द्वारा एक युद्ध को अंजाम दिया जो यूरोप के एक शहर में विनाश लाया। यद्यपि उस इशारे के पीछे यूदस था किन्तु कुछ अन्य लोग भी शामिल थे जिन्होंने उन्हें पैसा दिया ताकि वह येसु को पकड़वाये। उस संकेत (बेल्जियम में बम धमाके) के पीछे हथियार का निर्माण करने तथा उसका व्यापार करने वाले लोग हैं जो शांति नहीं रक्तपात चाहते हैं, भाईचारा नहीं युद्ध पसंद करते हैं।

संत पापा ने येसु के समय के संकेत तथा आधुनिक युग के संकेतों की तुलना करते हुए कहा कि दोनों समय के संकेत एक ही समान हैं। येसु ने पैर धोया और यूदस ने येसु को पैसा में बेच दिया। उसी तरह, विभिन्न धर्म और संस्कृति के होते हुए भी हम एक ही पिता की संतान हैं किन्तु कुछ लोग भाई- भाई की भावना को तोड़ने के लिए युद्ध उपकरण ख़रीदते हैं। संत पापा ने कहा, ″यदि आज के इस युग में जब मैं येसु द्वारा बारह चेलों के पैर धोने की घटना को दुहरा रहा हूँ हम एक साथ कहें, ″हम अलग-अलग हैं, हमारी संस्कृति और धर्म एक-दूसरे से भिन्न है किन्तु हम भाई है और हम शांति से जीना चाहते हैं।″  

संत पापा ने कहा कि इसी संकेत को आज मैंने आप लोगों के साथ सम्पन्न कर रहा हूँ। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की एक कहानी है वह उसे अपने साथ ले कर चलता है। कई तकलीफों, पीड़ाओं किन्तु एक उदार हृदय की कहानी जो भ्रातृत्व चाहता है। आइये, हम अपने धर्म और अपनी भाषा में प्रभु से प्रार्थना करें कि समस्त संसार में भाईचारा की भावना बढ़े। भाई की हत्या के लिए चाँदी के तीस सिक्के न दिये जाएँ ताकि भाईचारा एवं भलाई की भावना सदा बना रहे। 








All the contents on this site are copyrighted ©.