2016-03-25 13:15:00

केरल के गिरजाघरों में महिलाओं के पैर धोवन का अनुष्ठान


तिरुवनंतपुरम, शुक्रवार, 25 मार्च 2016 (ऊकान) केरल के तिरुवनंतपुरम और कोच्चि लातीनी धर्मप्रांत के धर्माध्यक्षों ने संत पापा द्वारा दिये गये निर्देशानुसार, पुण्य बृहस्तपतिवार को पैर धोने की धार्मिक रीति में पहली बार महिलाओं को सम्मिलित किया।

पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि के अनुसार प्रभु येसु द्वारा शिष्यों के पैर धोये जाने के स्मरणार्थ, समारोह की अध्यक्षता करनेवाले पुरोहित 12 व्यक्तियों के पैर धोते हैं।

विदित हो कि संत पापा फ्रांसिस ने पूजन विधि और संस्कारों के अनुष्ठान हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ को पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि के नियमों में कुछ परिवर्तन करने का निर्देश दिया है। परिपत्र के अनुसार "12 पुरुष" शब्द को "ईश्वर के लोग" में बदल दिया गया है और अब पैर धोने की विधि में सिर्फ पुरुषों की सहभागिता नहीं परंतु महिलाएँ भी शामिल की जा सकती हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा,  "पूजन पद्धति में परिवर्तन अंतिम ब्यारी के समय येसु द्वारा किये गये पाद प्रक्षालन के अर्थ को बेहतर रुप से व्यक्त करने का प्रयास किया गया है।"

लातीनी धर्मप्रांत के एक प्रवक्ता ने आई.ए.एन.एस को बताया, "कलीसिया के विभिन्न स्तरों पर विस्तार पूर्वक चर्चा के बाद ही पुण्य बृहस्तपतिवार को पैर धोने की धार्मिक रीति में महिलाओं को सम्मिलित करने का निर्णय लिया गया है।"

 प्रवक्ता ने कहा, महाधर्माध्यक्ष एम. सूसा पाकियम ने संत जोसेफ महागिरजाघर में पुण्य बृहस्तपतिवार शाम को छह पुरुषों और छह महिलाओं के पैर धोए, जिनमें दो शारीरिक रूप से विकलांग महिलाएँ भी थीं।

लतीनी धर्मप्रांतों की कलीसिया ने परिवर्तन करने का फैसला किया है जबकि अन्य कलीसियाओं और सीरो मलाबार कलीसिया ने अगले साल इस मामले पर गौर करने का निर्णय लिया है।

कोच्चि में सीरो मलाबार कलीसिया के शीर्ष कार्डिनल  मार जॉर्ज अलेंचेरी ने, पुण्य बृहस्पतिवार की धर्मविधि सम्पन्न करते वक्त  केवल 12 पुरुषों के पैर धोए।

सीरो मलाबार कलीसिया के वरिष्ठ पुरोहित पॉल थेलाकाट ने आई.ए.एन.एस को बताया, "आज (गुरुवार) हमारी कलीसिया में ऐसा नहीं था।" सीरो मलंकारा काथलिक कलीसिया ने भी अनुष्ठान में परिवर्तन को फिलहाल स्थगित किया है और बाद में सभी स्तरों पर विचार-विमर्श का फैसला लिया है।
 








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