विएना, बुधवार, 16 मार्च 2016 (सेदोक): वाटिकन में परमधर्मपीठ के वरिष्ठ अधिकारी मान्यवर यानूस ऊरबानज़ीक ने विश्व का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया है कि नशीली दवाओं के अवैध व्यापार के साथ मानव तस्करी, लघु शस्त्र का प्रसार, प्रबन्धित अपराध एवं आतंकवाद जैसी अमानवीय गतिविधियाँ जुड़ी रहती हैं।
मंगलवार को, ऑस्ट्रिया के विएना शहर में, परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक मान्यवर यानूस ऊरबानज़ीक ने, "विश्वव्यापी नशीली दवाओं की समस्या" पर विचार विमर्श हेतु एकत्र, संयुक्त राष्ट्र संघीय आयोग के 59 वें सत्र के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि विश्व के लोगों के बीच सरलता से व्यापार और संचार माध्यमों के आदान प्रदान ने जहाँ एक ओर विश्वव्यापी एकात्मता को प्रोत्साहित किया है तो वहीं दूसरी ओर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपराधिक गतिविधियों में भी इज़ाफा हुआ है।
उन्होंने कहा, "विश्व में बढ़ते सम्पर्कों का एक दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम नशीली दवाओं का अवैध व्यापार एवं प्रसार है।"
उन्होंने कहा कि प्रायः युद्धग्रस्त क्षेत्रों में कार्यरत निर्धन ग्रामीण लोग नशीली दवाओं का उत्पादन करते हैं जिसका अवैध व्यापार, राष्ट्रों की सीमाओं की परवाह न करते हुए, बड़े बड़े महानगरों में किया जाता है। परमधर्मपीठीय अधिकारी ने कहा कि मादक पदार्थों के अवैध व्यापार से अपराधी जगत जुड़ा रहता है जो इस कार्य को अन्जाम देने के लिये निर्धनों का शोषण करता, लघु शस्त्रों के व्यापार और उनके प्रसार को प्रश्रय देता तथा आतंकवादियों की भी मदद करता है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा, "नशीली दवाओं की आपूर्ति एवं मांग व्यक्तियों, समुदायों एवं राष्ट्रों को उनके आर्थिक, राजनैतिक एवं सामाजिक विकास को हासिल करने में बाधा पहुँचाती है क्योंकि निर्धन देशों के ग्रामीण लोगों को नशीली दवाओं के उत्पादन में लगाया जाता है।
उन्होंने इस बात की मांग की कि सभी विकासशील देशों में विकास कार्यक्रमों के अन्य विकल्प ढूँढ़े जायें ताकि कोका और पोस्त फसलों के स्थान पर लोग अन्य फसलों का उत्पादन कर मादक पदार्थों के अवैध व्यापार से जुड़े रक्तापात और हिंसा से बच सकें।
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