2016-03-15 14:33:00

पैर धोने की धर्म विधि में महिलाओं को शामिल करने हेतु धर्माध्यक्षों का बुलावा


नई दिल्ली, मंगलवार, 15 मार्च, 2016 ( ऊका समाचार) लातीनी रीति के धर्माध्यक्षों द्वारा प्रेषित एक परिपत्र के अनुसार, भारत की काथलिक पल्लियों में पुण्य बृहस्पतिवार को पैर धोने की धर्म विधि में महिलाओं को शामिल किया जा सकता है।

जारी परिपत्र के अनुसार संत पापा फ्रांसिस ने पूजन विधि और संस्कारों के अनुष्ठान हेतु गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ को पहले के नियमों में कुछ परिवर्तन करने का निर्देश दिया है। परिपत्र के अनुसार "12 पुरुष" शब्द को "ईश्वर के लोग" में बदल दिया गया है और अब पैर धोने की विधि में सिर्फ पुरुषों की सहभागिता नहीं परंतु महिलाएँ भी शामिल की जा सकती हैं।

काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष चुने जाने के बाद अपनी प्रथम पुण्य बृहस्पतिवार की धर्म विधि में संत पापा फ्रांसिस ने, रोम के जेल में कई कैदियों के पैर धोये थे। इनमें कुछ लड़कियाँ और कुछ गैर ईसाई भी शामिल थे।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ओसवाल्ड ग्रेसियस द्वारा हस्ताक्षर किए गए परिपत्र के अनुसार "वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदेरिको लोम्बार्दी ने कहा है कि इसे कलीसिया के अनुशासन में परिवर्तन के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए अपितु इससे स्पष्ट जाहिर होता है कि संत पापा संदेश दे रहे थे।"

नया नियम पैर धोने के लिए चुने गए लोगों की संख्या पर प्रतिबंध नहीं लगाता, परंतु यही कहता है कि "पुरोहित विश्वासियों के एक छोटे समूह का चयन कर सकता है।"

नये नियम के अनुसार इस समूह में "पुरुष और महिलाएँ"  शामिल हो सकते हैं इसमें जवान और बूढ़े, स्वस्थ और बीमार, पुरोहितों, धर्मसंघियों और लोक धर्मियों को शामिल करना उपयुक्त होगा।

इस समूह में संख्या और चयनित लोगों की संरचना हर पल्ली के लिए अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए, कुछ समूहों में पुरोहित उपलब्ध नहीं हैं अतः ऐसी परिस्थिति में समूह को सुनिश्चित करने के लिए हर श्रेणी के लोगों का अनिवार्य रुप से होना आवश्यक नहीं है।

परिपत्र में कहा गया कि यदि पुरोहित परिवर्तन के लिए प्रतिरोध का सामना करते हैं तो पल्ली परिषद के साथ विचार विमर्श कर समूह की संरचना तथा संख्या निश्चित करें।








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