2016-03-01 12:01:00

मुक्ति राजनैतिक एवं याजकवर्गीय पाटियों से नहीं आती, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 1 मार्च 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया है कि ईश्वर की मुक्ति सत्ता, धन तथा राजनैतिक एवं याजकवर्गीय पार्टियों से नहीं अपितु छोटे -छोटे एवं भले कर्मों से आती है।

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में सोमवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा फ्रांसिस ने दिन के बाईबिल पाठों पर चिन्तन किया। प्रथम पाठ में सिरियाई कुष्ठ रोगी नामान नबी एलीशा से चंगाई का निवेदन करता है किन्तु चंगाई के सरल एवं साधारण माध्यम से खुश नहीं होता। प्रस्तावित सुसमाचार पाठ में येसु के शब्दों से स्तब्ध नाज़रेथ के लोगों के विषय में चर्चा है। इन पाठों पर चिन्तन कर सन्त पापा ने कहा कि हम चाहते हैं कि मुक्ति उसी तरीके से मिले जिस तरह से हम चाहते हैं।

उन्होंने कहा, "संहिता के शास्त्री जटिल नियमों में तथा सांसारिक सत्ताओं के साथ समझौते में  मुक्ति की खोज कर रहे थे। वे राजनैतिक एवं याजकवर्गीय पार्टियों में मुक्ति ढूँढ़ रहे थे, हालांकि, लोगों को उनमें विश्वास नहीं था। लोगों का भरोसा येसु पर था।"

सन्त पापा ने कहा, "हमारी संकल्पना में मुक्ति किसी महान चीज़ से आती है, कोई प्रतापी या वैभवशाली अथवा शक्तिशाली व्यक्ति ही हमें मुक्ति दिला सकता है। हम इस भ्रम में पड़े हैं कि जिनके पास धन दौलत है, सत्ता है वे ही हमें मुक्ति दिला सकते हैं किन्तु ईश्वर की योजना इसके बिलकुल विपरीत है, इस दैवीय योजना के अन्तर्गत मुक्ति छोटे-छोटे भले कर्मों में, सादगी और सरलता में निहित है।"

पास्का महापर्व की उचित तैयारी के लिये सन्त पापा ने सभी काथलिकों को आमंत्रित किया कि वे सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में निहित प्रभु येसु के आशीर्वचनों पर चिन्तन करें जिनमें येसु कहते हैं कि स्वर्ग राज्य उनका है जो दीनमना है, हृदय से निर्मल हैं और जो शांति स्थापित करने का प्रयास करते हैं।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.