2016-02-29 14:50:00

गम्भीरता पूर्वक अंतःकरण की जाँच कर, पश्चाताप करें, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 फरवरी 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 28 फरवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

दुर्भाग्य से, प्रत्येक दिन का वृतांत हत्या, दुर्घटना और विनाश आदि का दुःखद समाचार प्रस्तुत करता है। आज के सुसमाचार पाठ में, येसु दो दुर्घटनाओं का जिक्र करते हैं, समकालीन रोमी सैनिकों द्वारा कुछ लोगों की मंदिर में हत्या तथा येरूसालेम में सिलोआम के मिनार के गिरने से 18 लोगों की मौत।″ (लूक.13:1-5)

संत पापा ने कहा, ″येसु ने अपने श्रोताओं के अंधविश्वासी मानसिकता को समझ लिया तथा यह भी जान लिया कि वे इन घटनाओं की ग़लत व्याख्या कर रहे हैं। लोगों का मानना था कि यदि ये लोग इतनी क्रूरता से मार डाले गये हैं तो इसका अर्थ है कि इन्होंने कोई बड़ा पाप किया होगा जिसके लिए ईश्वर ने उन्हें दण्ड दिया है। इस प्रकार, लोग अपने इस विचार को न्याय संगत ठहराने की कोशिश रहे थे, किन्तु हकीकत तो ये थी कि वे लोग दुर्घटना के शिकार हुए थे।″

येसु लोगों की इस विचारधारा का साफ बहिष्कार करते हैं क्योंकि ईश्वर पापी को दण्ड देने के लिए आपदा को अनुमति नहीं दे सकते। अतः येसु कहते हैं कि उन दुर्घटनाओं के शिकार लोग औरों से अधिक बुरे नहीं थे। संत पापा ने कहा कि येसु हमें निमंत्रण देते हैं कि हम उन दुःखद घटनाओं से शिक्षा ग्रहण करें, इस प्रकार की घटना किसी के लिए भी आ सकती है क्योंकि हम सभी पापी हैं। येसु सवाल पूछने वालों से कहते हैं, ″यदि तुम पश्चाताप नहीं करोगे तो सब के सब उसी तरह नष्ट हो जाओगे।″ (v. 3).

संत पापा ने कहा कि आज हमें भी दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुःखद घटनाओं में फंसे लोगों की जिम्मेदारी लेने से बचने का प्रलोभन हो सकता है। सुसमाचार हमें चिंतन करने हेतु निमंत्रण देता है कि हम ईश्वर के प्रति क्या सोचते हैं? क्या हम मात्र विश्वास करते हैं कि ईश्वर विद्यमान हैं अथवा उनके बारे जिन्होंने हमें अपने प्रतिरूप में गढ़ा हमें कुछ भी विचार नहीं आता? येसु इसके विपरीत हमें हृदय परिवर्तन के लिए निमंत्रण देते हैं। बुराई से समझौता का परित्याग करते हुए हमारे जीवन की यात्रा में सच्चा परिवर्तन लाने को कहते हैं। हमें सुसमाचार के रास्ते को अपनाने का परामर्श देते हैं। संत पापा ने कहा किन्तु यहाँ पुनः हमें अपने को न्यायसंगत ठहराने का प्रलोभन हो सकता है और हम कह सकते हैं कि हमें किस बात में परिवर्तन करना है?″

दुर्भाग्य से, हम उस पेड़ की तरह हैं जो वर्षों से बांझ पडा था। सौभाग्य की बात यह है कि येसु हमारे लिए उस किसान की तरह हैं जिसने अपनी असीम धैर्य से बाँझ अंजीर के पेड़ को अधिक अवसर दिया, ″यदि वह अगले वर्ष फल दे तो अच्छा नहीं तो काट डालिएगा। (पद.9) संत पापा ने कहा कि यह ‘अनुग्रह’ का वर्ष है, येसु के मिशन का समय, कलीसिया में ख्रीस्त के महिमामय पुनरागमन के पूर्व का समय। कई सच्चाईयों से चिह्नित हमारे जीवन की अवधि है जो पश्चाताप एवं मुक्ति हेतु हमें एक अवसर प्रदान करता। येसु का धीरज तथा पापियों के प्रति उनकी अपार सहानुभूति हमें अधीर कर सकता है। संत पापा ने कहा कि मन-परिवर्तन करने हेतु अब भी देर नहीं हुआ है जिसकी हमें अति आवश्यकता है।  

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम हमें बल प्रदान करे ताकि हम ईश्वर की कृपा तथा उनकी करुणा के लिए अपना हृदय खोलें। माता मरियम हमें सहायता दे कि हम कभी किसी का न्याय न करें किन्तु अपने दैनिक जीवन के दुर्भाग्य पूर्ण परिस्थितियों के बीच गम्भीरता पूर्वक अंतःकरण की जाँच कर, पश्चाताप करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों के अभिवादन किया।

उन्होंने युद्ध से भाग रहे शरणार्थियों की याद कर उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त की। उन्होंने कहा, ″मेरी प्रार्थना और निश्चय ही आपकी प्रार्थना भी हमेशा युद्ध से भाग रहे शरणार्थियों की दयनीय स्थिति के लिए हैं तथा उन सभी लोगों के लिए जो अमानवीय परिस्थितियाँ झेल रहे हैं। संत पापा ने ग्रीक तथा उदारता पूर्वक मदद करने वाले सभी देशों की सराहना की तथा अन्य देशों से अपील की कि वे भी उदारता के इस कार्य में शामिल हों। सभी देशों का प्रत्युत्तर प्रभावशाली होगा तथा समस्या को हल्का बनायेगा। इसलिए हमें दृढ़ता तथा निष्कपटता से समझौता किये जाने पर विशेष, ध्यान देना चाहिए। संत पापा ने आशा के साथ सीरिया में युद्ध विराम के समाचार का स्वागत किया तथा सभी को प्रार्थना करने का निमंत्रण देते हुए कहा, ″मैं आप सभी को प्रार्थना करने के लिए निमंत्रण देता हूँ ताकि यह पीड़ित लोगों को राहत का अवसर प्रदान करे। वार्ता तथा शांति की चाह का मार्ग प्रशस्त हो।″ विनाशकारी चक्रवात से पीड़ित फिगी द्वीप समूह के लोगों के प्रति संत पापा ने अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान किया। उन्होंने कहा, ″मैं चक्रवात के शिकार लोगों एवं उनके लिए राहत सेवा प्रदान करने वाले लोगों के लिए अपनी प्रार्थना अर्पित करता हूँ।

उन्होंने रोम, इटली तथा विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। विशेषकर, डांस्क के विश्वासियों, बीयाफ्रा के आदिवासियों, ज़ारागोज़ा, ह्यूएलवा, कोरडोबा तथा जफ्रा के विद्यार्थियों और युवाओं का अभिवादन किया।

संत पापा ने अपनी विशेष प्रार्थना के साथ ‘असाधारण रोग दिवस’ के उपलक्ष्य में उपस्थित लोगों का अभिवादन किया तथा उनके मदद हेतु गठित संगठन को प्रोत्साहन दिया।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








All the contents on this site are copyrighted ©.