2016-02-24 16:40:00

स्वार्थ और अंहकार मृत्यु और भ्रष्टचार का कारण बनते हैं


वाटिकन सिटी, बुधवार 24 फरवरी 2016, (सेदोक, वी.आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को, धर्मग्रन्थ पर आधारित ईश्वर की करूणा पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए इतालवी भाषा में  कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात

धर्मग्रन्थ के कई पद राजाओं और जो बड़े पदों पर आसीन हैं उनकी चर्चा करता और उनके अंहकार और सत्ता के दुरूपयोग की बात कहता हैं। धन और ताकत वे दो सच्चाइयाँ हैं जिसने द्वारा जन साधारण लोगों की भलाई की जा सकती हैं यदि यह गरीबों और सबों के हित हेतु न्याय और प्रेम की भावना से प्रयोग में लाया जाये। लेकिन बहुधा अनुभव किया गया है कि स्वार्थ और अंहकार मृत्यु और भ्रष्टचार का कारण बनते हैं। आज हम नाबोत के दाखबारी का दृश्य जिसकी चर्चा हम राजाओं के पहले ग्रन्थ के अध्याय 21 में सुनते हैं, पर मनन ध्यान करेंगे।

धर्मग्रन्थ के इस अंश में इस्राएलियों के राजा अहाब, नाबोत की दाखबारी खरीदने जाता है क्योंकि यह राज दरबार से सटा हुआ है। प्रस्तावना वैध जान पड़ता है, यह उदारतापूर्ण भी हैं लेकिन इस्राएल में जमीन अहरणीय सम्पति समझी जाती थी। वास्तव में, लेवी ग्रंथ इस बात का जिक्र करता है कि तुम भूमि स्थायी रूप से नहीं बेचोगे क्योंकि भूमि मेरी है। तुम उस में परदेशी और अतिथि-मात्र हो।(25.23) भूमि पवित्र है क्योंकि यह ईश्वर की ओर उपहार के रूप में दी गई है और इसलिए इसे हमें ईश्वर की आशीष के रूप में सुरक्षित और देखभाल करने की आवश्यकता है जिससे कि इसे आने वाली पीढ़ियों को दिया जा सके। अतः राजा को नाबोत की ओर से नकारात्मक उत्तर मिला, “ईश्वर यह न होने दे कि मैं आप को अपने पुरखों की विरासत दे दूँ।” (1रा.21.3)

राजा अहाब ने इस अस्वीकृति का क्रोध और कटुतापूर्वक विरोद्ध किया। वह अपमानित महसूस किया। अपने अधिकार और अपनी इच्छी की पूर्ति न होने पर वह हतोत्साहित हो गया। उन्हें उदास देख उनकी पत्नी ईजेबेल, जो एक अख्रीस्तीय रानी थी, जिसने मूर्ति पूजा को बढ़ावा दिया था और जिसने ईश्वर के नबियों को मारवा डाला था, उस विषय में राजा का सहयोग करने की बात सोची। यहाँ जो शब्द राजा को कहे जाते हैं वे अति महत्वपूर्ण हैं, “आप उठकर भोजन करें और प्रसन्न हों। मैं आपको इस्राएली नाबोत की दाखबारी दिलाऊँगी।” वह राजा की प्रसिद्धि और ताकत के महत्व का बखान करतीं हैं जिसे नाबोत की अस्वीकृति प्रश्न करता हैं। एक शक्ति जिसे आप सर्वस्व मानते हैं जिसके सामने हर चाह एक आज्ञा बन जाती है।

इन बातों को याद कर येसु हमें कहते हैं, “तुम जानते हो कि संसार के अधिपति अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करते हैं और सत्ताधारी लोगों पर अधिकार जताते हैं। तुम में ऐसी बात नहीं होगी। जो तुम लोगों में बड़ा होना चाहता है, वह तुम्हारा सेवक बने और जो तुम लोगों में प्रधान होना चाहता है, वह तुम्हारा दास बने। (मती,20,25-27) जब आप सेवा के आयाम को भूल जाते हैं तो शक्ति अंहकार में बदल जाती और यह दमनकारी और दुरूपयोगी होती है। नाबोत के दाखबारी के दृश्य में क्या होता है। ईजेबेल दुःसाहस करते हुए नाबोत और इसकी सोच का नमोनिशान मिटाना चाहती है। वह नियमों को राजा की ओर से कपटी तौर पर निर्देशित करती और इस तरह नाबोत पर सबों के सामने ईश्वर और राजा को श्राप देने का दोष लगाया जाता है जिसके फलस्वरुप उसे मृत्यु दण्ड दिया गया और राजा को दखबारी प्राप्त हुई।

यहाँ हम देखते हैं की अधिकार का प्रयोग बिना दया और न्याय के होता है जो मानवीय जीवन का सम्मान नहीं करता। यह ताकत की प्यास को दिखलाता है जो लालच में सभी चीजों को अपना बनना चाहता है। इस संदर्भ में नबी इसायस के ग्रंथ की एक बातको हमारे सामने आलोकित किया जाता है जहाँ ईश्वर लोभ से ग्रसित भूमिधरकों को सचेत करते हैं जो और अधिक जमीन और घरों को पाने की चाह रखते हैं।

“धिक्कार तुम लोगों को, जो इस प्रकार घर-पर-घर खरीदते और खेत-पर-खेत अपने अधिकार में करते हो कि अन्त में कोई जमीन नहीं बचती और अन्त में तुम भूमि के अकेले स्वामी बन बैठते हो।” (इसा.5.8)

ईश्वर हमारे दुष्टता और घृणित विचारों से बड़े हैं। अपनी दया में वे नबी एलिसा को राजा अहाब के मन परिवर्तन हेतु भेजते हैं। राजा को अपनी गलती का एहसास होता है वे समझते और अपने को नम्र बनते हुए क्षमा की याचना करते हैं। ईश्वर उन्हें क्षमा करते यद्यि एक निर्दोष व्यक्ति मारा गया और जिसका परिणाम अपरिहार्य होगा। बुरे कर्म का फल बुरा होता हैं और इतिहास में मनुष्यों को इन घावों का दर्द सहना पड़ता है।

करूणा हमें यह दिखलाती हैं कि हमें उसके पीछे चलना है। करूणा घावों को चंगाई प्रदान करती और इतिहास को परिवर्तित करती है। ईश्वर की करूणा मानव के पापों से अधिक शक्तिशाली है। हम इस ताकत को नहीं जानते जब हम यह याद करते कि एक निर्दोष ईश्वर का पुत्र मानव बना जिससे वह क्षमा के द्वारा बुराइयों को समाप्त करे। येसु ख्रीस्त सच्चे राजा हैं लेकिन उनकी शक्ति एकदम भिन्न है। उनका सिंहासन क्रूस है। वे मार डालने वाले राजा नहीं हैं लेकिन इसके विपरीत वे जीवन देते हैं। यह सब के लिए है विशेषकर जो अति संवेदनशील हैं, जो एकान्तवासी मृत्यु के भाग्य में पड़े हैं जो पाप की ओर ले चलता है। येसु की करूणा और निकटता पापियों के लिए कोमलता और क्षमा की कृपा ले कर आता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सब का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं अंग्रेजी बोलने वाले तीर्थयात्रियों और आगंतुकों, आज के आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये विशेष कर इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, आयरलैंड, स्वीडन, गैबॉन, मोजाम्बिक और संयुक्त राज्य अमेरिका के आप तीर्थयात्रियों और सभी विश्वासियों का अभिवादन करता हूँ। करूणा की जयंती का वर्ष आपके लिए और आपके परिवार के सभी प्रिय जनों के लिए ईश्वरीय कृपा और आध्यात्मिक नवीकरण का एक पल हो, प्रभु येसु आप सब को अपनी खुशी और शांति से भर दे।

इतना कहने के बाद उन्होंने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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