2016-02-22 15:33:00

चालीसा के दूसरे रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिया गया संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 22 फरवरी 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजघर के प्राँगण में रविवार 21 फरवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

चालीसा के दूसरे रविवार का सुसमाचार पाठ हमें येसु के रूपांतरण को प्रस्तुत करता है। प्रेरितिक यात्रा जो मैंने विगत दिनों मेक्सिको में सम्पन्न किया वह रूपांतरण का अनुभव था, क्योंकि ख्रीस्त ने कलीसिया रूपी अपने शरीर तथा उस भूमि पर निवास करने वाले ईश प्रजा द्वारा अपनी महिमा के प्रकाश को प्रकट किया। एक ऐसा शरीर जो बहुधा घायल, शोषित तथा तिरस्कृत रहता और जिसकी प्रतिष्ठा कुचल दी जाती है। वास्तव में, मेक्सिको में विभिन्न प्रकार के लोग रहते हैं जो ज्योति से पूर्ण हैं। विश्वास की ज्योति, जो बदलाव लाती तथा पथ आलोकित करती है।

संत पापा ने कहा कि मेरी यात्रा हेतु आध्यात्मिकता का केंद्र ग्वादालूपे की माता मरियम का तीर्थस्थल था। मैंने उनके सामने उपस्थित होकर सबसे पहले मौन प्रार्थना की उसके बाद ईश्वर को धन्यवाद दिया जिन्होंने हमें माता मरियम प्रदान किया है। मैंने उनकी आँखों में नजर डाला जो अपने सभी बच्चों को देखती तथा गरीब लोगों और महिलाओं के हिंसा, अपहरण, मौत, शोषण आदि की पीड़ा को अपने में समेटती है। ग्वादालूपे विश्व में सर्वाधिक भेंट किया जाने वाला तीर्थ- स्थल है।

संत पापा ने ग्वादालुपे की माता मरियम तीर्थ की शुरूआत के बारे बतलाते हुए कहा कि समस्त अमरीका से लोग, उस स्थान पर प्रार्थना करने आते हैं जहाँ कुँवारी मरियम ने इंडियन संत जॉन डियागो को दर्शन दिया था। वहीं से समस्त प्राय द्वीप के लिए सुसमाचार का प्रचार शुरु हुआ तथा नयी सभ्यता विभिन्न संस्कृतियों से मिली। और यही एक धरोहर प्रभु ने मेक्सिको को प्रदान की है। विविधता की प्रचुरता को प्रोत्साहन दिया है साथ ही, आम विश्वास, उदार विश्वास तथा मानवता पर सामंजस्य प्रदर्शित किया है।

उन्होंने कहा कि मेरे पूर्ववती संत पापाओं की तरह मैं भी मेक्सिको के विश्वास को सुदृढ़ करने गया था किन्तु मैंने खुद के विश्वास को भी मजबूत किया। मैंने कृपाएँ प्राप्त किया क्योंकि यह विश्वव्यापी कलीसिया के लिए लाभदायक है।

संत पापा ने कहा कि मैं जो बतला रहा हूँ उसका जीवंत उदाहरण परिवारों ने दिया। मेक्सिको के परिवारों ने ख्रीस्त के संदेशवाहक तथा कलीसिया के गड़ेरिये के रूप में मेरा स्वागत किया और उन्होंने स्पष्ट तथा प्रभावशाली गवाही दी। उन्होंने अपने जीवन से विश्वास का साक्ष्य दिया जो जीवन को परिवर्तित कर देता है तथा जो विश्व के सभी ख्रीस्तीय परिवारों के आध्यात्मिक उन्नति के लिए अच्छा है। संत पापा ने कहा कि युवाओं, धर्मसमाजियों, पुरोहितों, श्रमिकों तथा कैदियों के लिए भी यही बात लागू होती है।

अतः संत पापा ने प्रभु तथा ग्वादालूपे की माता मरियम को अपनी तीर्थयात्री की सफलता के लिए धन्यवाद दिया। संत पापा ने मेक्सिको के राष्ट्रपति तथा अन्य सरकारी अधिकारियों को उनके हार्दिक स्वागत के लिए शुक्रिया अदा की तथा उन सभी लोगों के प्रति भी अपनी कृतज्ञता अर्पित की जिन्होंने उनके साथ यात्रा के दौरान कार्य किया था।

संत पापा ने क्यूबा में मोस्को के प्रधिधर्माध्यक्ष किरिल तथा रूस के लोगों से मुलाकात करने हेतु पवित्र तृत्व की स्तुति की। उन्होंने कहा, पवित्र तृत्व को विशेष महिमा जिन्होंने चाहा कि इस अवसर पर क्यूबा में मोस्को के प्रधिधर्माध्यक्ष किरिल तथा रूस के लोगों से हमारी मुलाकात हो। किरिल मेरे प्यारे भाई हैं जो मेरे पूर्ववर्ती संत पापा से मिलने के लिए उत्सुक थे। यह घटना पुनरुत्थान की एक भविष्यवाणी का प्रकाश है जिसकी आवश्यकता हमेशा से अधिक इस समय है। ईश माता एकता के इस रास्ते पर आगे बढ़ने हेतु मार्गदर्शन करे। हम काज़ान की माता मरियम से प्रार्थना करें जिसे प्राधिधर्माध्यक्ष किरिल ने मुझे भेंट किया है।

इतने कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। तत्पश्चात् उन्होंने जानकारियाँ देते हुए कहा, मृत्यु दण्ड के बिना विश्व’ विषय पर कल रोम में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। यह संत इजिदो समुदाय द्वारा प्रोत्साहित है। मैं आशा करता हूँ कि सम्मेलन मृत्यु दंड की सज़ा को समाप्त करने हेतु समर्पण को नयी प्रेरणा प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक समाज सक्षम है कि वह अपराधी के साथ किस तरह व्यवहार करे ताकि अपराधी मुक्ति पा सके।

करुणा की असाधारण जयन्ती विश्व में जीवन के लिए परिपक्व सम्मान तथा प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल अवसर है। एक अपराधी को भी जीवन का अधिकार है जो कि उसे ईश्वर से प्राप्त हुआ है। संत पापा ने अधिकारियों से अपील की कि वे मौत की सजा के उन्मूलन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आम सहमति को प्राप्त कर सकें। संत पापा ने सम्मेलन में भाग ले रहे सदस्यों में से काथलिकों से विशेष अपील की कि वे साहसिक और अनुकरणीय विचार प्रस्तुत करें ताकि करुणा के पवित्र वर्ष में किसी को मृत्यु दण्ड की सज़ा न मिले।

उन्होंने कहा कि सभी ख्रीस्तीय एवं सद इच्छा रखने वाले लोग केवल मृत्यु दण्ड के उन्मूलन के लिए बुलाये गये हैं किन्तु क़ैदख़ानों की स्थिति में भी सुधार लाने एवं स्वतंत्रता से वंचित लोगों की मानव प्रतिष्ठा का सम्मान करने के लिए बुलाये गये हैं।

अंत में संत पापा परिवारों, कलीसियाओं, संगठनों तथा रोम के सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन  करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








All the contents on this site are copyrighted ©.