2016-02-19 13:57:00

दक्षिण कोरिया – युवाओं द्वारा बाइबिल के माध्यम से ईश्वर की खोज


सेयोल,शुक्रवार,19 फरवरी 2016 (फीदेस)- “ ईश्वर को हम, पूजा की प्रतिमा या सुन्दर वचनों में नहीं, परंतु अपने जीवन में पवित्र बाइबिल की शिक्षाओं को व्यवहार में लाने से पाते हैं ”, ये बातें दक्षिण कोरिया में कार्यरत प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष ओसवाल्ड पादील्ला ने “ युवा बाइबिल आंदोलन ” की कार्यशाला के समापन के पर पवित्र ख्रीस्तयाग अर्पित करते समय युवकों को संबोधित करते हुए कही। वे बाइबिल के निर्गमन ग्रंथ के तुलनात्नक अध्ययनार्थ एकत्रित हुए थे।

महाधर्माध्यक्ष ओसवाल्ड पादील्ला ने कहा, करुणा के जयंती वर्ष में निर्गमन ग्रंथ के गहन अध्ययन का मतलब, सर्व प्रथम हमें यह याद रखना है कि हम ईश्वर की दया को प्राप्त करने वाले हैं। हम पापी हैं परंतु ईश्वर हमें हमेशा माफ करने के लिए तैयार हैं। जब हम दया के बारे में बात करते हैं तो अक्सर हम दूसरों के प्रति दया के बारे में सोचते हैं, परंतु सही मायने में हम स्वंय ईश्वर की दया के प्रथम लाभार्थी हैं, जो हमसे बहुत प्रेम करते हैं । ईश्वर के प्रेम को स्वीकार करने पर ही हम दूसरों से प्रेम कर सकते हैं।

महाधर्माध्यक्ष ओसवाल्ड ने युवाओं को याद दिलाया कि संत पापा फ्रांसिस उन्हें एशिया और कोरिया की कलीसिया का भविष्य मानते हैं। यही वजह है कि वे वर्ष 2014 में एशियाई युवा दिवस में भाग लेने और शुभ संदेश देने दक्षिण कोरिया आये थे।

इस समापन ख्रीस्तयाग में 450 युवाओं और 11 पुरोहितों ने भाग लिया। इस युवा बाइबिल आंदोलन की शुरुआत कोरिया में सन 1972  में हुई ।








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