2016-02-18 16:16:00

मेक्सिको प्रेरितिक यात्रा के अंत में संत पापा की कृतज्ञता


मेक्सिको, बृहस्पतिवार, 18 फरवरी 2016 (सेदोक), संत पापा फ्राँसिस ने मेक्सिको की अपनी प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम पड़ाव स्वारेज शहर में, अपनी प्रेरितिक यात्रा की सफल हेतु सब को कृतज्ञता अर्पित की।

संत पापा ने अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हुए कहा कि वे धन्यवाद के शब्द कहें बिना इस शहर ने जाना नहीं चाहेंगे। उन्होंने गुवादोलुपे के धर्माध्यक्ष जोस, कलीसिया में सेवारत धर्माधिकारियों, देश और राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों और जन सामान्य लोगों की महत्वपूर्ण सेवा हेतु धन्यवाद अदा किया जिसकी बदौलत उनकी प्रेरितिक यात्रा सफल हुई। उन्होंने कहा कि मैंने मेक्सिकोवासियों का गर्मजोशी स्वागत, प्यार, उत्साह और आशा का अनुभव किया है। अपने देश और अपने जीवन के द्वार को मेरे लिए खोलने हेतु धन्यवाद।

मेक्सिकन कवि ओक्तावियो पाजे की कविता हेरमानदाद की पंतियों को उद्धित करते हुए उन्होंने कहा,

“मैं एक मनुष्य हूँ, मैं मात्र अल्पकालीन हूँ और रात वृहत हैं।

लेकिन मैं आसमान को निहारता हूँ, सितारे लिख रहे हैं,

बिना समझे, मैं समझता हूँ मैं भी लिख रहा हूँ

और इस बड़े समय में कोई मेरा वर्णविन्यास करा रहा हो ”

संत पापा ने कहा कि इन वाक्यों के द्वारा मैं यह कहने का साहस करता हूँ कि जो हमारा मार्गदर्शन कर रहा हैं वह रहस्यमय है लेकिन उसकी वास्तविक उपस्थिति गरीब दीन-दुःखियों, मेक्सिको के लोगों में है।”  

रात लम्बी और अंधेरी प्रतीत होती हैं लेकिन इन दिनों मैंने यही अनुभव किया है कि उन लोगों में ज्योति है जो आशा को घोषित करते हैं। मैंने लोगों के साक्ष्य में, बहुतों के चेहरे में ईश्वर की उपस्थित को देखा हैं जो इस देश की धरती के लोगों के साथ चलते, उनकी आशा को बनाये रखते हैं, बहुत सारे लोग प्रतिदिन यही कोशिश करते हैं की मेक्सिको अंधकार में न रहे। ऐसे लोग आनेवाले कल के नबी हैं वे नया सबेरा की निशानी हैं।

ग्वादोलुपे की माता मरिया आप के साथ रहें और आप के साथ चले, वे आप को करूणा और मेल मिलाप के प्रेरितिक कार्यों में मदद करें।








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