2016-02-17 15:00:00

येसु हमें प्रार्थना और सेवा के लिए बुलाते हैं


मोरेलिया, बुधवार, 17 फरवरी 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने मेक्सिको के मोरेलिया स्थित वेनुसियानो कारान्तसा स्टेडियम में मंगलवार 16 फरवरी को मेक्सिको के पुरोहितों, गुरूकुल छात्रों तथा धर्मसमाजी भाई-बहनों के साथ ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

संत पापा ने प्रवचन में इस बात पर बल दिया कि प्रार्थना और हमारे जीवन के बीच गहरा संबंध है हमारी प्रार्थना से हमारे जीवन का पता चलता है और हमारे जीवन द्वारा हमारी प्रार्थना की गहराई परिलक्षित होती है।

उन्होंने कहा, ″प्रार्थना एक ऐसी चीज है जिसे हम सीखते हैं उसी तरह जिस तरह कि हम चलना, बोलना और सुनना सीखते हैं। प्रार्थना का स्कूल जीवन का स्कूल है तथा जीवन के इस स्कूल द्वारा हम प्रार्थना में बढ़ते हैं।″

संत पापा ने येसु द्वारा शिष्यों को प्रार्थना सिखाने के तरीके पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″येसु शिष्यों को अपने जीवन के रहस्यों से अवगत कराना चाहते थे। उन्होंने खाने, सोने, चंगा करने, उपदेश देने तथा प्रार्थना करने के द्वारा यह प्रकट किया कि ईश पुत्र होने का अर्थ क्या है। उन्होंने उन्हें अपने जीवन में सहभागी होने के लिए निमंत्रण दिया अपने जीवन में उन्हें शामिल किया तथा अपनी उपस्थिति द्वारा पिता के जीवन को प्रकट किया। येसु ने उन्हें अपनी निगाहों में निगाह डालने का अनुभव प्राप्त करने हेतु मदद दी और उन्हें ईश्वर को ‘पिता’ कहना सिखाया।

संत पापा ने धर्मसमाजियों को अपने प्रवचन में कहा कि येसु की प्रार्थना एक दिनचर्या नहीं थी और न ही दुहराव मात्र किन्तु इसके विपरीत इसमें जीवन की भावनाएँ थी, उसका अनुभव एवं वास्तविकता। संत पापा ने कहा कि ‘पिता हमारे’ के दो शब्दों द्वारा वे प्रार्थना करते हुए किस तरह जीना और जीवन में किस तरह प्रार्थना करना है उसे अच्छी तरह जानते थे।

येसु हमें भी ऐसा ही करने के लिए बुलाते हैं। हमारी पहली बुलाहट है पिता के करुणावान प्रेम का एहसास अपने जीवन में करना। प्रेम के नये आयाम, पुत्र अथवा पुत्री होने का अनुभव प्राप्त करना और हमें उन्हें पिता कहने सीखना है।

संत पौलुस कहते हैं, ″धिक्कार मुझे यदि मैं सुसमाचार का प्रचार न करूँ।″ वे आगे कहते हैं ″सुसमाचार का प्रचार करना महिमा प्राप्त करने का साधन नहीं बल्कि एक आवश्यकता है।″ (1 कोरि. 916)

उन्होंने हमें अपने दिव्य जीवन में सहभागी होने के लिए बुलाया है और हमें धिक्कार यदि हम उसे नहीं बांटते। धिक्कार हमें यदि हम उस बात का प्रचार नहीं करते हैं जिसको हमने देखा और सुना है। संत पापा ने चेतावनी देते हुए कहा कि हम दिव्य जीवन के प्रशासक अथवा ईश्वर के मजदूर नहीं है किन्तु उनके जीवन में सहभागी होने के लिए बुलाये गये हैं। उनके हृदय में प्रवेश करने के लिए जो ‘पिता हमारे’ पुकारते हुए प्रार्थना करते और जीते हैं। यदि हम ‘पिता हमारे’ नहीं कह सकते हैं तो हमारे जीवन का क्या उद्देश्य है?

संत पापा ने सलाह दी कि हम पिता से इसलिए प्रार्थना करें ताकि हम परीक्षा में न पड़ जाएँ। ″हमें परीक्षा में न डाल।″ स्वयं येसु ने ऐसा किया उन्होंने शिष्यों के लिए प्रार्थना की। संत पापा ने मेक्सिको के धर्मसमाजियों को चिंतन हेतु निमंत्रण देते हुए कहा, ″वह कौन सा पाप है जो हमें घेर लेता है? हिंसा, भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी, मानव प्रतिष्ठा की उपेक्षा तथा पीड़ित एवं कमजोर लोगों के सामने उदासीनता की स्थिति हमें कौन सी परीक्षा में डालती है। वह कौन सी परीक्षा है जो हमेशा हमारा पीछा करती है? संत पापा ने कहा कि परित्याग करने की परीक्षा सबसे प्रमुख है। यह हमें पंगु बना देती और न केवल हमें चलने से रोकती किन्तु यात्रा करने से भी रोक देती है, न केवल भविष्य को देखने से मना करती किन्तु जोखिम उठाने और परिवर्तन लाने की चाह को भी खत्म कर देती है। अतः परीक्षा में नहीं पड़ने के लिए पिता से प्रार्थना करना है।

जब हम प्रलोभन में पड़ते हैं तो संत पापा ने बतलाया कि बीती बातों की याद करें। उस घटनाओं को याद करना कितना सुखद है जिन्होंने हमें आज यहाँ तक लाया है।

संत पापा ने मिकाओकन के प्रथम धर्माध्यक्ष का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि भाई बहनों का दुःख और पीड़ा उनकी प्रार्थना बन गयी थी तथा प्रार्थना ने उसे प्रत्युत्तर देने के लिए प्रेरित किया जिसके कारण वे लोगों के बीच ‘पिता’ पुकारे जाते हैं।                        

संत पापा ने कहा कि इसी तरह की प्रार्थना करने तथा उसे सेवा द्वारा व्यक्त करने के लिए येसु हमें बुलाते हैं।              








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