2016-02-11 15:09:00

करुणा के मिशनरियों का प्रेषण


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 फरवरी 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने राखबुध के दिन करुणा के सैकड़ों मिशनरियों को दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रेषित किया।

10 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तीयाग का अनुष्ठान करते हुए संत पापा ने करुणा के जयन्ती वर्ष में, ईश्वर की करुणा एवं क्षमाशीलता का प्रचार करने हेतु मिशनरियों को प्रेषित किये जाने की धर्मविधि सम्पन्न की।

विदित हो कि संत पापा ने करुणा की जयन्ती पर अपने आदेश पत्र ″मिसेरीकोरदिये वूलतूस″ में घोषित किया है कि करुणा के मिशनरी ईश प्रजा के लिए ″कलीसिया के ममतामय स्नेह के चिन्ह हैं जो ईश्वरीय दया खोजने वाले प्रत्येक व्यक्ति को विश्वास के मूल रहस्य की गहराई में प्रवेश करने में मदद करेंगे।″ पुरोहित जो करुणा के मिशनरी के रूप में चुने गये हैं उन्हें उन पापों को भी क्षमा करने का अधिकार प्रदान किया गया है जिन्हें सिर्फ संत पापा प्रदान कर सकते हैं।

संत पापा ने प्रवचन में कहा कि करुणा के मिशनरी ईश्वरीय करूणा के प्रेरित, उस पिता के जीवन्त रूप एवं उदाहरण होगें जो ईश्वरीय क्षमा खोजने वाले प्रत्येक का स्वागत करता, उसे स्वीकारता और अपनाता है।

चालीसा काल की शुरूआत करते हुए राखबुध के अवसर पर प्रवचन में संत पापा ने करुणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज की धर्मविधिक पाठ, ईश्वर से मेल-मिलाप करने तथा पूरे हृदय से ईश्वर की ओर लौट आने का निमंत्रण देता है।

संत पापा ने कहा कि उनके निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए सर्वप्रथम यह एहसास करना है कि हमें करुणा की आवश्यकता है। यह ख्रीस्तीय यात्रा का पहला पहला कदम है, जो एक खुले द्वार से आता है और वह खुला द्वार है ख्रीस्त जो स्वयं हमारा इंतजार करते हैं। येसु हमारे मुक्तिदाता हैं जो हमें नवीन एवं आनंदमय जीवन प्रदान करते हैं।

संत पापा ने उन बाधाओं पर भी गौर किया जो हमारे हृदय द्वार को बंद कर देता है तथा पिता से मेल-मिलाप को मुश्किल बना देता है। उन्होंने कहा कि ″करुणा के मिशनरियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे ईश्वर की क्षमाशीलता के चिन्ह और माध्यम बनें।″ वे अपने भाई बहनों के हृदयों को खोलने, उन्हें लज्जा से बाहर निकलने तथा प्रकाश से दूर नहीं जाने हेतु मदद करने के लिए बुलाये गये हैं।

संत पापा ने दूसरे निमंत्रण के बारे में कहा, ″ईश्वर अपनी प्रजा से कहते हैं ‘अपने पूरे हृदय से मेरे पास लौट आओ।’ पाप हमें ईश्वर से दूर कर देता है किन्तु येसु ने हमें मुक्ति प्रदान की है जो हमें उनके पास पुनः लौट आने में मदद करता है। संत पापा ने पापों की क्षमा के लिए तीन उपाय बतलाये, प्रार्थना, दान और उपवास।″

उन्होंने कहा किन्तु ये तीनों उपाय बाह्य कार्य मात्र नहीं हैं बल्कि इन्हें हमारे अंतःस्थल से आना चाहिए। चालीसा काल में ईश्वर हमें प्रार्थना करने, उदारता पूर्वक दान देने तथा बिना दिखावा किये पश्चाताप करने का निमंत्रण देते हैं।

संत पापा ने सभी से अपील की कि हम इस यात्रा में कलीसिया के रूप में एक साथ आगे बढ़ें, राख ग्रहण करें तथा क्रूसित येसु पर अपनी निगाहें गाड़ायें जो हमें प्रेम करते तथा पिता से मेल-मिलाप करने का निमंत्रण देते, जो हमें वापस लौट आने को कहते हैं ताकि हम अपने आप को पुनः प्राप्त कर सकें।  








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