2016-02-02 14:47:00

धर्मसमाजियों के लिए आवश्यक तीन चीजें, भविष्यवाणी, करीबी एवं आशा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 2 फरवरी 2016 (वीआर सेदोक): भविष्यवाणी, करीबी तथा आशा ये तीन चीजें है जिनके द्वारा धर्मसमाजियों को साहस पूर्वक येसु के बुलावे के प्रति ‘हाँ’ को प्रत्येक दिन नवीकृत करना है।

सोमवार को वाटिकन के पौल षष्ठम सभागार में हजारों धर्मसमाजियों ने संत पापा फ्राँसिस से मुलाकात करते हुए समर्पित जीवन वर्ष का समापन किया।

धर्मसमाजियों को सम्बोधित करते हुए अपने संदेश में संत पापा ने तीन मुख्य बिन्दुओं पर जोर दिया। भविष्यवाणी, करीबी तथा आशा।

अपने तैयार भाषण से हटकर संत पापा ने आज्ञापालन के बारे कहा कि आज्ञा पालन हर समय सहज नहीं होता। येसु का पिता के प्रति आज्ञापालन पूर्ण आज्ञापालन है।

उन्होंने कहा, ″स्त्री और पुरुष धर्मसमाजी जो प्रभु की सेवा में समर्पित हैं वे कलीसिया में ग़रीबी एवं विशुद्ध प्रेम का अभ्यास करते हैं जो उन्हें आज्ञापालन द्वारा पूरी कलीसिया के लिए आध्यात्मिक पिता एवं माता बनने हेतु प्रेरित करता है किन्तु इस आज्ञापालन में हमेशा किसी न किसी बात की कमी हो जाती है क्योंकि पूर्ण आज्ञापालन सिर्फ ईश पुत्र का है जिन्होंने अपने को दीन बनाया तथा क्रूस पर मृत्यु तक आज्ञाकारी बने रहे।

संत पापा ने गौर किया कि कुछ धर्मसमाजी कड़ाई से आज्ञापालन करते हैं किन्तु उसे एक फौजी के आज्ञापालन की तरह नहीं होना चाहिए जो एक अनुशासन है बल्कि एक धर्मसमाजी के  आज्ञापालन का अर्थ है सुनना। अधिकारियों से वार्ता करना एवं उन्हें सुनना है। यह शैतान द्वारा बोयी गयी अराजकता के विरूद्ध भविष्यवाणी है। संत पापा ने कहा कि मन की अराजकता शैतान की पुत्री है यह ईश्वर की बेटी नहीं हैं क्योंकि ईश पुत्र अराजक नहीं थे और उसने अपने दुश्मनों के प्रति प्रतिशोध का मांग भी नहीं की।

भविष्यवाणी का अर्थ है यह बतलाना कि खुशी का एक रास्ता है एक महान रास्ता, जो हमें आनन्द से भर देता है और यही है येसु का रास्ता। यह येसु के करीब रहने का रास्ता है। भविष्यवाणी एक विशिष्ट वरदान है जिसे पवित्र आत्मा द्वारा मांगा जाना चाहिए जिसे कि वह हमें सही समय में उचित काम करने हेतु सही शब्द प्रदान करे। संत पापा ने कहा कि भविष्यवाणी का अर्थ है यह बतलाना कि कोई अधिक सच्ची, अच्छी और सुन्दर चीज का भी अस्तित्व है।

संत पापा ने अपने संदेश के दूसरे शब्द करीबी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समर्पित व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एक धर्मसमाजी को ख्रीस्तीय एवं गैरख्रीस्तीय सभी लोगों के साथ उनके सुख-दुःख में उनके करीब होना चाहिए।

संत पापा ने चेतावनी देते हुए कहा कि धर्मसमाजी जीवन में अफवाह की बातें फैलाना बहुत हानिकारक है। उन्होंने अफवाह फैलाने की तुलना उन आतंकवादियों से की जो अपने समुदाय में बम फेंकते हैं।

तीसरे बिन्दु आशा पर चिंतन करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार आशा बनाये रखना कठिन हो जाता है विशेषकर, बुलाहट के संबंध में। संत पापा ने उन धर्मसमाजों एवं मठों के बारे खेद व्यक्त किया जहाँ पुरोहित एवं धर्मबहनें वृद्ध हो जाने के कारण प्रेरिताई कार्यों को सुचारु रूप से कर पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने उस बात को भी रेखांकित किया कि समर्पित जीवन हेतु प्रार्थना, न कि धन उम्मीदवारों की संख्या बढ़ाता है। संत पापा ने सभी धर्मसमाजियों को उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया।

विदित हो कि समर्पित जीवन वर्ष का समापन 2 फरवरी तो संत पेत्रुस महागिरजाघर में संत पापा द्वारा ख्रीस्तयाग के अनुष्ठान द्वारा किया जाएगा।  








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