2016-02-01 15:37:00

51वें युखारिस्त सम्मेलन के लिए संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी सोमवार, 01 फरवरी, 2016 (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने फिलीपिन्स के चेबु शहर में चल रहें 51वे विश्व युखारिस्त सम्मेलन के समापन पर अपना विडियो संदेश प्रेषित करते हुए कार्डिनल बो, पालमा के कार्डिलन महाधर्माध्यक्षों पुरोहितों और सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद अदा करते हुए कहा

प्रिय भाइयो एवं बहनो,

मुझे खुशी है इस सम्मेलन ने एशिया और दुनिया भर के इतने सारे लोगों को एक साथ मिलाया। ठीक एक साल पहले मैंने फिलीपीन्स की यात्रा तूफान योलन्डा के आने के बाद की थी। मैंने लोगों के गहन विश्वास और लचीलेपन का अनुभव किया था। संत नीनो की सुरक्षा में फिलीपीन्स के लोगों ने ईश्वर के सुसमाचार को पाँच सौ साल पहले सुना। तब से उन्होंने ईश्वर पर विश्वास और आस्था का एक अटूट उदाहरण पेश किया है। वे सुसमाचार प्रचार के प्रेरित रहे हैं और सुसमाचार की ज्योति को एशिया और दुनिया के कोने-कोने में फैला रहे हैं।

विश्व युखारिस्त सम्मेलन की विषयवस्तु “आप में ख्रीस्त, हमारे महिमा की आशा” एक समयानुरूप विषय है। यह हमें याद दिलाता है कि पुर्नजीवित येसु कलीसिया में विशेष कर युखारिस्त में रोटी और दाखरस के रूप में उपस्थित हैं। येसु की उपस्थिति हमारे बीच में न केवल हमारे लिए सान्तवना है वरन् यह हमारे लिए प्रतिज्ञा और बुलावा भी है। यह एक प्रतिज्ञा हैं कि अनन्त जीवन की खुशी और शांति ईश्वर के राज्य में हमें प्राप्त होगा। लेकिन यह हमारा आहृवान करता है कि हम प्रेरितिकों के रूप में पिता की कोमलता, क्षमा और करूणा का संदेश सभी लोगों को सुनायें।

दुनिया को इसकी कितना जरुरत हैं। जब हम वर्तमान की लड़ाई, अन्याय और मानवीय विपतियों को बारे में सोचते हैं तो हमें यह अनुभव होता हैं की हममें से प्रत्येक को युखारिस्त के प्रेरित बनने की आवश्यकता है जिसे हम दुनिया के लोगों के बीच ईश्वरीय प्रेम, मिलन, न्याय और शांति के वाहक बन सकें।

अतः करूणा के जयन्ती वर्ष में इस सम्मेलन का आयोजन उचित है जहां कलीसिया सुसमाचार के केन्दबिन्दु “करूणा” पर हमारा ध्यान केन्द्रित करने हेतु निमंत्रण देती है। हम ईश्वर के करुणामय प्रेम का मलहमपट्टी मानवीय परिवार पर लगाते हुए, उनके घावों में लेप लगाने, हतोत्साहितों के जीवन में आशा की किरण लाने हेतु भेजे जाते है।

संत पापा ने युखारिस्त के संबंध में येसु के दो कार्यों की चर्चा करते हुए अन्तिम व्यारी के प्रेरितिक आयाम का जिक्र किया, पहला भोज और दूसरा येसु के द्वारा अपने चेलों के पैर धोना।

हम जानते हैं कि येसु का अपने चेलों के साथ भोजन करना कितना महत्वपूर्ण था विशेषकर पापियों और परित्यक्त लोगों के साथ। भोजन की मेज पर येसु दूसरों को सुन सकते थे, उनकी कहानी के बारे में जान सकते थे, उनकी आशा और प्रेरणा की प्रशंसा करते हुए उनके साथ पिता के प्रेम को बाँट सकते थे। प्रत्येक युखारिस्त में हम येसु के इन बातों से प्रेरित हो। हम दूसरों तक खुले और आदर की भावना से पहुँच सकें जिसे हमे अपने जीवन में मिले ईश्वर के उपहारों को उनके साथ साझा कर सकें।

एशिया में कलीसिया दूसरो धर्मों से वार्ता हेतु समर्पित है यह प्रेरितिक कार्य हमारे जीवन की वार्ता द्वारा सम्पदित होता है। ईश्वर के प्रेम से परिवर्तित जीवन का साक्षा हम अपने जीवन के द्वारा देते हैं जो ईश्वर के राज्य की घोषणा करता है। हमारे जीवन के उदाहरण लोगों के हृदयों को पवित्र आत्मा हेतु  खोलता है जो उन्हें येसु की ओर ले चलता है। ।         

दूसरी चीज जो येसु हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं वह है येसु के द्वारा पैर धोना। अपने दुःखभोग के पहले येसु के द्वारा अपने चेलो का पैर धोना येसु की नम्र सेवा की निशानी है। उनके असीमित प्यार का प्रमाण जिसके द्वारा वे अपने को हमारी मुक्ति हेतु क्रूस पर अर्पित कर देते हैं। युखारिस्त नम्र सेवा का एक विद्यालय है। यह हमें दूसरों के लिए तैयार रहने की शिक्षा देता है। यह शिष्यों की प्रेरिताई का केन्द्रविन्दु भी है।

तयफून के बाद की बातों को मैं सोचता हूँ। यह फीलीपिन्स में विनाश का कहर लाया फिर भी आपके बीच एकता उदारता और अच्छाई की आशीष को लेकर आया। लोगों ने मिलकर न केवल घरों का पुनर्निमाण किया वरन् जीवन का भी निर्माण किया। युखारिस्त उसी शक्ति की बारे में कहता है जहां क्रूस से हमारे लिए लगातार नये जीवन की धारा प्रवाहित होती है। यह हमारे दिलों को परिवर्तित करता है। यह हमें दूसरों की सेवा, गरीबों और अतिसंवेदनशील लोगों की सुरक्षा और अपने भाई बहनों के रूदन को सुनकर उनकी मदद हेतु संवेदनशील बनाता है। यह हमें निष्ठा के साथ अपने कामों को पूरा करने की प्रेरणा देता है जहाँ हम अन्याय और भ्रष्टचार का परित्याग करते हैं जो समाज में विष उत्पन्न करता है।

संत पापा ने कहा कि युखारिस्त सम्मेलन अपने येसु के प्रेम में सबल बनाये। यह आपको शिष्यों की भाँति प्रेरितिक कार्य हेतु शक्ति प्रदान करे जिससे आप अपने पल्लियों, समुदायों, परिवारों और स्थानीय कलीसिया को और मजबूती प्रदान कर सकें। यह मेल मिलाप और दुनिया में शांति स्थापना हेतु एक खमीर बने।

अपने संदेश के अन्त में संत पापा ने सभो के ऊपर अपनी प्रेरितिक आशीष की कामना की और आने वाले युखारिस्त सम्मेलन की घोषणा की जो 2020 में हांगरी के बुधापेस्त आयोजित होगा।








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