2016-01-27 11:54:00

सिरियाई शांति वार्ताओं में ख्रीस्तीयों को किया जाये याद, महाधर्माध्यक्ष थॉमासी


वाटिकन सिटी, बुधवार, 27 जनवरी 2016 (सेदोक): जिनिवा में संयुक्त राष्ट्र संघीय एजेन्सियों के लिये वाटिकन के प्रतिनिधि तथा परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवोक्षक महाधर्माध्यक्ष सिलवानो थॉमासी ने कहा है कि सिरियाई शांति वार्ताओं में ख्रीस्तीय एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का ख़्याल रखा जाना अनिवार्य है।  

मंगलवार को वाटिकन रेडियो से बातचीत में महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने सिरियाई गृहयुद्ध की समाप्ति हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में आयोजित शांति वार्ताओं में सिरियाई ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों की मांगों पर गम्भीरतापूर्वक ध्यान देने का आग्रह किया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में आयोजित शांति वार्ताएं शुक्रवार को जिनिवा में आरम्भ हो रही हैं तथा 06 माहों तक जारी रहेंगी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है कि मोटे तौर पर युद्धविराम, मानवतावादी राहत सहायता उपलब्ध कराना तथा कथित इस्लामिक स्टेट द्वारा उत्पन्न ख़तरों को रोकना पहली प्राथमिकता होगी।  

इस सन्दर्भ में महाधर्माध्यक्ष थॉमासी ने कहा, "हमारी आशा है कि ख्रीस्तीय एवं येज़दी समुदाय तथा मुसलमान बहुल समुदाय का अंग न होनेवाले अन्य समुदायों की विशिष्ट ज़रूरतों पर गम्भीरता से विचार किया जायेगा।"  

उन्होंने कहा, "यदि हम यथार्थ युद्ध विराम तथा सिरियाई समाज की सामाजिक एवं भौतिक संरचनाओं के पुनर्निर्माण की आशा कर रहे हैं तो हमें इन समुदायों के मानवाधिकारों पर विशेष ध्यान देना होगा।"  

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "सिरिया और उत्तरी ईराक में हालांकि मुसलमान एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायी दोनों ही हिंसा के शिकार बने हैं तथापि ख्रीस्तीयों को अत्याचारों एवं भेदभाव का विशेष शिकार बनाया गया है।"

ग़ौरतलब है कि विगत पाँच वर्षों से जारी सिरियाई युद्ध में अब तक लगभग ढाई लाख लोग मारे जा चुके हैं, चालीस लाख लोगों ने देश से पलायन कर लिया है, साढ़े छः लाख सिरिया में ही विस्थापित हो गये हैं तथा लगभग एक करोड़ 30 लाख लोगों को मानवतावादी राहत सहायता की सख़्त ज़रूरत है।








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