2016-01-27 12:02:00

पवित्र द्वारों एवं जयन्ती का अर्थ है करुणा, जादू नहीं, मुम्बई महाधर्मप्रान्त


मुम्बई, बुधवार, 27 जनवरी 2016 (सीएनए): मुम्बई महाधर्मप्रान्त ने पवित्र द्वारों तथा करुणा को समर्पित जयन्ती का अर्थ समझाते हुए एक स्पष्टीकरण जारी किया है।

विगत सप्ताह महाराष्ट्र में वॉट्सअप के उपभोक्ताओं में करुणा की जयन्ती को लेकर भ्रामक सन्देशों का प्रसार किया गया था जिनमें करुणा की जयन्ती पर अन्धविश्वासी समझदारी को समर्थन दिया गया था। इसके उपरान्त, मुम्बई महाधर्मप्रान्त को उक्त स्पष्टीकरण देकर करुणा को समर्पित जयन्ती का अर्थ स्पष्ट करना पड़ा।

महाधर्मप्रान्त के वकतव्य में इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि वॉट्सअप पर प्रसारित सन्देशों का पाठ यह भ्रामक सन्देश देता है कि केवल पवित्र द्वारों की देहलीज़ से गुज़र जाने से ही पापों की क्षमा मिल जायेगी।"

वकतव्य में कहा गया, "इस बात को समझना नितान्त आवश्यक है कि पवित्र द्वार कोई जादुई द्वार नहीं हैं। विश्वासियों को आमंत्रित किया गया है कि वे तीर्थयात्रियों के सदृश पुनर्मिलन संस्कार ग्रहण करें, ईश करुणा पर मनन-चिन्तन करते हुए पवित्र यूखारिस्त में भाग लें, विश्वास की प्रतिज्ञाओं को दुहरायें तथा विश्व व्यापी कलीसिया एवं सम्पूर्ण विश्व के कल्याण हेतु सन्त पापा तथा उनके मनोरथों के लिये प्रार्थना करें।"   

वकतव्य में कहा गया, "करुणा का द्वार पापों की क्षमा पाने की इच्छा का संकेत देता है तथा इससे गुज़रना अतीत को छोड़, ख्रीस्त के द्वारा, नवजीवन में प्रवेश का प्रतीक है।"

स्मरण रहे कि विगत आठ दिसम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर का पवित्र द्वार खोलकर करुणा की जयन्ती वर्ष का उदघाटन किया था जिसके बाद विश्व के विभिन्न महागिरजाघरों के द्वारों को खोला गया था ताकि तीर्थयात्री पापमोचन पा सकें।

मुम्बई महाधर्मप्रान्त के कार्डिनल ऑसवर्ल्ड ग्रेशियस ने बीस दिसम्बर 2015 को माऊन्ट मेरी महागिरजाघर का पवित्र द्वार खोलकर मुम्बई में करुणा को समर्पित जयन्ती का उदघाटन किया था।








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