2016-01-26 09:03:00

ख्रीस्तीय एकतावर्द्धृक प्रार्थना के अवसर पर ख्रीस्तीयों के बीच एकता का आह्वान


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 जनवरी 2016 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पौल महागिरजाघर में ख्रीस्तीयों के बीच एकता हेतु आयोजित प्रार्थना सप्ताह की समापन धर्मविधि के अवसर पर प्रवचन करते हुए सोमवार, 25 जनवरी को, सन्त पापा फ्राँसिस ने मनपरिवर्तन के महत्व को रेखांकित किया।

"मैं प्रेरितों में सबसे छोटा हूँ। सच पूछिये तो मैं प्रेरित कहलाने के भी योग्य नहीं हूँ, क्योंकि मैंने ईश्वर की कलीसिया पर अत्याचार किया है", कुरिन्थियों को प्रेषित सन्त पौल के पत्र के इन शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा कि सन्त पौल के इन शब्दों में मनपरिवर्तन का सार निहित है। उन्होंने कहा कि जैरूसालेम से दमिश्क की यात्रा के दौरान प्रभु येसु ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार के बाद सन्त पौल ने नैतिक रूपान्तरण का अनुभव पाया और साथ ही एक खास मिशन की बुलाहट सुनी और वह यह कि वह उन्हीं के बीच सुसमाचार का प्रचार करे जिनपर वह अत्याचार करता रहा था। 

सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार के क्षण ही सन्त पौल ने यह एहसास पाया कि "अनन्त तक जीवित रहने वाले ख्रीस्त तथा उनके अनुयायियों के बीच एक विशेष, एक यथार्थ और एक पारलौकिक सम्बन्ध व्याप्त है और वह यह कि येसु ख्रीस्त जीवित हैं, वे उनमें विद्यमान हैं तथा वे उनमें जीते हैं।" उन्होंने कहा, "प्रेरित होने की बुलाहट पौल की मानवीय योग्यताओं पर आधारित नहीं हैं अपितु ईश्वर की असीम कृपा पर आधारित है जिन्होंने उसे चुना तथा अपने मिशन का कार्यभार उसके सिपुर्द किया।"

सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि तिमोथी को लिखे पहले पत्र में भी सन्त पौल येसु मसीह का धन्यवाद देते हैं जिन्होंने उसे बल दिया तथा अपनी सेवा के योग्य समझा। सन्त पौल लिखते हैः "मैं पहले ईशनिन्दक, अत्याचारी और अन्यायी था किन्तु मुझपर दया की गई।" सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर की असीम दया सन्त पौल के मिशन का एकमात्र कारण था।

सन्त पेत्रुस के पहले पत्र को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा कि आरम्भिक ख्रीस्तीयों के समान ही बपतिस्मा प्राप्त आज के सभी ख्रीस्तानुयायी येसु ख्रीस्त द्वारा मनुष्यों की मुक्ति के लिये निर्मित ईश योजना में भागीदार बनने के लिये बुलाये गये हैं। उन्होंने कहा, "ईश्वर की असीम दया के रहस्य को आत्मसात कर ही हम इस योजना के सहभागी बन सकते हैं क्योंकि पिता ईश्वर प्रत्येक से प्रेम करते तथा प्रत्येक का उद्धार करना चाहते हैं।" 

विश्व के सभी ख्रीस्तानुयायियों के बीच पूर्ण एकता का आह्वान करते हुए सन्त पापा ने, येसु के शब्दों के दुहराते हुए कहा, "वे सबके सब एक हो जाये ताकि विश्व विश्वास कर सके।" उन्होंने कहा, "आज, प्रेरित और शहीद सन्त पौल की समाधि के आगे हम इस अनुभूति से पूर्ण रहें कि एकता हेतु हमारी प्रार्थना में असंख्य ख्रीस्तीय शहीद हमारे साथ हैं। इन्होंने उदारतापूर्वक अपने प्राणों की आहुति देकर, विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत किया, इन्हीं के संग मिलकर हम ख्रीस्तीयों के बीच एकता  हेतु प्रभु ईश्वर से प्रार्थना करें।"








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