2016-01-25 15:50:00

पुरोहित बनने हेतु आंतरिक परिवर्तन की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 जनवरी 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 25 जनवरी को रोम स्थित परमधर्मपीठीय लोम्बारद सेमिनरी के गुरूकुल छात्रों से क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की।

परमधर्मपीठीय लोम्बारद सेमिनरी का उद्घाटन धन्य संत पापा पौल षष्ठम ने 11 नवम्बर 1965 ई. में की थी।

पुरोहिताई के लिए तैयारी कर रहे गुरूकुल छात्रों से मुलाकात करते हुए संत पापा ने तीन मुख्य बिन्दुओं पर जोर दिया। आंतरिक रूपांतरण, धर्माध्यक्ष के साथ सम्पर्क तथा आपस में मित्रता का व्यवहार।

उन्होंने कहा, ″पुरोहित बनने हेतु एक अच्छी तैयारी की आवश्यकता है किन्तु उन सब से बढ़कर आंतरिक परिवर्तन की जरूरत है जिसे येसु के प्रथम बुलावे के अनुभव पर आधारित होना चाहिए।

संत पापा ने मन-परिवर्तन हेतु संत पौलुस एवं संत चार्ल्स बोरोमियो के आदर्श को अपनाने की सलाह दी। संत कार्लो के अनुसार पुरोहित एक प्रभु सेवक है तथा अपने लोगों का आध्यात्मिक पिता, विशेषकर, कमजोर लोगों के लिए। उन्होंने कहा कि वे ही लोग सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं जो प्रार्थना में प्रभु के साथ निरंतर वार्ता करते हैं।

संत पापा ने कहा कि कई चीजों का ज्ञान रखने के लिए अध्ययन काफी नहीं है इसके लिए प्रार्थना द्वारा ईश्वर से वार्ता तथा लोगों से साक्षात् मुलाकात करने की आवश्यकता है। आधुनिक युग में सुसमाचार प्रचार हेतु संत पापा ने सादगी का रास्ता अपनाने की सलाह दी, साथ ही सरल भाषा शैली के प्रयोग तथा जटिल धार्मिक सिद्धांतों से बचने का परामर्श दिया। संत पापा ने उन्हें ख्रीस्त का संदेश वाहक बनने को कहा जो हमारे लिए मरे तथा जी उठे।

गुरूकुल छात्रों के लिए दूसरी महत्वपूर्ण बिन्दु के रूप में संत पापा ने कहा कि वे धर्माध्यक्षों के करीब रहें। एक पुरोहित जिसका अपने धर्माध्यक्ष से निरंतर सम्पर्क नहीं रहता वह धीरे-धीरे अपने धर्मप्रांत में एक टापू का निर्माण करता है। उसमें प्रेरितिक उत्साह खत्म हो जाती है।

संत पापा ने तीसरे बिन्दु के रूप में गुरूकुल छात्रों से अपनी अपेक्षा बतलाते हुए कहा कि वे न केवल अध्ययन के अच्छे परिणाम से खुश हों वरन् अपने समुदाय के सभी लोगों के साथ घुल-मिल कर रहें। उन्होंने कहा, ″इटली, अफ्रीका, लातीनी अमरीका, एशिया तथा यूरोप के विभिन्न देशों से इस समुदाय का निर्माण हुआ है। मैं चाहता हूँ कि सभी के साथ मित्रता की भावना को विकसित किया जाए तथा विविधता के बावजूद भाईचारे का संबंध स्थापित करने को महत्व दिया जाए।″








All the contents on this site are copyrighted ©.