2016-01-25 15:55:00

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 जनवरी 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में 25 जनवरी, रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए इतालवी भाषा में कहा,

प्रिय भाइयो एव बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार में सुसमाचार लेखक संत लूकस येसु नासरी के मुख्य प्रवचन के पहले अपने सुसमाचार का एक संक्षिप्त विवरण पेश करते हैं। वे ईश्वरीय आत्मा की शक्ति से प्रेरित होकर अपने कामों को करते हैं, उनके वचन वास्तविक हैं क्योंकि यह सुसमाचार के अर्थ को व्यक्त करता हैं। यह एक आधिकारिक शब्द हैं क्योंकि वे बुरी आत्मों को आज्ञा देते हैं और वे उनकी आज्ञा मानते हैं। येसु अपने समय के शिक्षकों से भिन्न हैं, उन्होंने नियमों की शिक्षा देने हेतु एक विद्यालय  नहीं खोला बल्कि वे घूमघूमकर यहूदियों के प्रार्थनालयों, गलियों और घरों सभी स्थानों में उपदेश और शिक्षा देते हैं। येसु योहन बपतिस्ता से भी भिन्न हैं जो ईश्वर के न्याय की घोषणा करते हैं, जैसे येसु अपने पिता के क्षमा की घोषणा करते हैं। 

संत पापा ने कहा और अब हम नाजरेथ के प्रार्थनालय, वह शहर जहाँ येसु तीस सालों तक बढ़े प्रवेश करते हैं। येसु के मिशन की उद्घोषणा में आप को जो अनुभव होता है वह मुख्य है। वे पवित्र धर्मग्रन्थ को पढ़ने हेतु खोलते हैं। वे नवी इसायस के ग्रन्थ से उस अध्याय को खोलते जहाँ यह लिखा है, “ईश्वर का आत्मा मुझ पर छाया रहता हैं क्योंकि उसके मेरा अभिषेक किया है और मुझे द्ररिदों को सुसमाचार सुनाने भेजा है” (लूका.4.18) और तब आशा भरे एक क्षणिक मौन के बाद, वे आश्चर्यचकित करते हुए कहते हैं, “आज धर्मग्रन्थ का यह कथन आप के सुनने में पूरा हुआ।”
द्ररिदों को सुसमाचार सुनाओं, यह येसु का प्रेरितिक कार्य हैं, यह प्रेरितिक कार्य कलीसिया का भी है और हममें से प्रत्येक जन का जिन्होंने कलीसिया में बपतिस्मा ग्रहण किया है। एक ख्रीस्तीय और एक प्रेरित होने का तत्पर्य एक ही है, सुसमाचार की घोषणा करना। हमें पहले इसे अपने जीवन से करना है जो ख्रीस्तीय समुदाय और उसके सब सदस्यों का मुख्य उद्देश्य है।

लेकिन द्ररिदों को सुसमाचार सुनाने का अर्थ क्या है? इसका मलतब है उसके पास जाना, उनकी सेवा करना, उन्हें शोषण से मुक्त करना और ये सभी चीजें येसु और येसु की आत्मा के नाम पर करना है क्योंकि वे ईश्वर के सुसमाचार हैं। वे ईश्वर की करूणा हैं। वे ईश्वर की सुरक्षा हैं। नबी इसायस के ग्रंथ से लिया गया अनुच्छेद मुक्तिदाता की ओर इंगित करता और ईश्वर के राज्य का उनके बीच आने की घोषणा करता है जो कैदी, दुःखी और अत्यचार सह रहे हैं।

शायद येसु के समय ऐसे लोग विश्वासी समुदाय के केन्द्र नहीं थे। हम अपने आप से पूछे कि आज हमारे पल्लियों में, समुदायों और परियोजनाओं में क्या हम येसु के कामों के प्रति गंभीर हैं। क्या द्ररिदों के लिए सुसमाचार का प्रचार हमारे जीवन की प्रथामिकता है? सावधान यह हमारे लिए सामाजिक कार्य नहीं हैं और न राजनीति कार्यक्रम। यह सुसमाचार की शक्ति को उन्हें देना है जो प्यार के तर्कानुसार समाज को और समाज में मनुष्यों के हृदय को परिवर्तित करता और उन्हें चंगाई प्रदान करता है। वास्वत में गरीब सुसमाचार के केन्द्र हैं।
 

कुँवारी माता, प्रेरितों की माँ, दुनिया में सुसमाचार की भूख और प्यास को गहन रूप में विशेषकर गरीबों की शारीरिक और आत्मिक भूख का अनुभव करने में हमारी मदद करे। हम प्रत्येक ख्रीस्तीय को, प्रत्येक समुदाय को येसु का साक्ष्य ठोस रूप में देना है जिसे उन्होंने हमें दिया है।
 

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो

मैं इटली के विभिन्न पल्लियों और विभिन्न देशों से आये आप सब समुदायों और परिवारों का स्नेह पूर्ण अभिवादन करता हूँ। विशेष कर मैं स्पेन के जाफरा से आये विद्यार्थियों और विश्वासियों के समुदाय जो “मनन ध्यान हेतु ख्रीस्तीयों का विश्व समुदाय” के तत्वधान सम्मेलन में सहभागी होने आये हैं आप का अभिवादन करता हूँ और विश्वासियों के समुदाय जो बारी महाधर्माप्रान्त, तराचनतो, मारोतिका, लोन, अबियातेगासो और पेरोचेकीयाते आप सब का अभिवादन। अपने अभिवादन के उपरान्त संत पापा ने सब विश्वासियों और तीर्थयात्रियों से अपने लिए प्रार्थना की याचना करते हुए सबको रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की।वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 जनवरी 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में 25 जनवरी, रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए इतालवी भाषा में कहा,

प्रिय भाइयो एव बहनो, सुप्रभात।

आज के सुसमाचार में सुसमाचार लेखक संत लूकस येसु नासरी के मुख्य प्रवचन के पहले अपने सुसमाचार का एक संक्षिप्त विवरण पेश करते हैं। वे ईश्वरीय आत्मा की शक्ति से प्रेरित होकर अपने कामों को करते हैं, उनके वचन वास्तविक हैं क्योंकि यह सुसमाचार के अर्थ को व्यक्त करता हैं। यह एक आधिकारिक शब्द हैं क्योंकि वे बुरी आत्मों को आज्ञा देते हैं और वे उनकी आज्ञा मानते हैं। येसु अपने समय के शिक्षकों से भिन्न हैं, उन्होंने नियमों की शिक्षा देने हेतु एक विद्यालय  नहीं खोला बल्कि वे घूमघूमकर यहूदियों के प्रार्थनालयों, गलियों और घरों सभी स्थानों में उपदेश और शिक्षा देते हैं। येसु योहन बपतिस्ता से भी भिन्न हैं जो ईश्वर के न्याय की घोषणा करते हैं, जैसे येसु अपने पिता के क्षमा की घोषणा करते हैं। 

संत पापा ने कहा और अब हम नाजरेथ के प्रार्थनालय, वह शहर जहाँ येसु तीस सालों तक बढ़े प्रवेश करते हैं। येसु के मिशन की उद्घोषणा में आप को जो अनुभव होता है वह मुख्य है। वे पवित्र धर्मग्रन्थ को पढ़ने हेतु खोलते हैं। वे नवी इसायस के ग्रन्थ से उस अध्याय को खोलते जहाँ यह लिखा है, “ईश्वर का आत्मा मुझ पर छाया रहता हैं क्योंकि उसके मेरा अभिषेक किया है और मुझे द्ररिदों को सुसमाचार सुनाने भेजा है” (लूका.4.18) और तब आशा भरे एक क्षणिक मौन के बाद, वे आश्चर्यचकित करते हुए कहते हैं, “आज धर्मग्रन्थ का यह कथन आप के सुनने में पूरा हुआ।”
द्ररिदों को सुसमाचार सुनाओं, यह येसु का प्रेरितिक कार्य हैं, यह प्रेरितिक कार्य कलीसिया का भी है और हममें से प्रत्येक जन का जिन्होंने कलीसिया में बपतिस्मा ग्रहण किया है। एक ख्रीस्तीय और एक प्रेरित होने का तत्पर्य एक ही है, सुसमाचार की घोषणा करना। हमें पहले इसे अपने जीवन से करना है जो ख्रीस्तीय समुदाय और उसके सब सदस्यों का मुख्य उद्देश्य है।

लेकिन द्ररिदों को सुसमाचार सुनाने का अर्थ क्या है? इसका मलतब है उसके पास जाना, उनकी सेवा करना, उन्हें शोषण से मुक्त करना और ये सभी चीजें येसु और येसु की आत्मा के नाम पर करना है क्योंकि वे ईश्वर के सुसमाचार हैं। वे ईश्वर की करूणा हैं। वे ईश्वर की सुरक्षा हैं। नबी इसायस के ग्रंथ से लिया गया अनुच्छेद मुक्तिदाता की ओर इंगित करता और ईश्वर के राज्य का उनके बीच आने की घोषणा करता है जो कैदी, दुःखी और अत्यचार सह रहे हैं।

शायद येसु के समय ऐसे लोग विश्वासी समुदाय के केन्द्र नहीं थे। हम अपने आप से पूछे कि आज हमारे पल्लियों में, समुदायों और परियोजनाओं में क्या हम येसु के कामों के प्रति गंभीर हैं। क्या द्ररिदों के लिए सुसमाचार का प्रचार हमारे जीवन की प्रथामिकता है? सावधान यह हमारे लिए सामाजिक कार्य नहीं हैं और न राजनीति कार्यक्रम। यह सुसमाचार की शक्ति को उन्हें देना है जो प्यार के तर्कानुसार समाज को और समाज में मनुष्यों के हृदय को परिवर्तित करता और उन्हें चंगाई प्रदान करता है। वास्वत में गरीब सुसमाचार के केन्द्र हैं।
कुँवारी माता, प्रेरितों की माँ, दुनिया में सुसमाचार की भूख और प्यास को गहन रूप में विशेषकर गरीबों की शारीरिक और आत्मिक भूख का अनुभव करने में हमारी मदद करे। हम प्रत्येक ख्रीस्तीय को, प्रत्येक समुदाय को येसु का साक्ष्य ठोस रूप में देना है जिसे उन्होंने हमें दिया है।

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो

मैं इटली के विभिन्न पल्लियों और विभिन्न देशों से आये आप सब समुदायों और परिवारों का स्नेह पूर्ण अभिवादन करता हूँ। विशेष कर मैं स्पेन के जाफरा से आये विद्यार्थियों और विश्वासियों के समुदाय जो “मनन ध्यान हेतु ख्रीस्तीयों का विश्व समुदाय” के तत्वधान सम्मेलन में सहभागी होने आये हैं आप का अभिवादन करता हूँ और विश्वासियों के समुदाय जो बारी महाधर्माप्रान्त, तराचनतो, मारोतिका, लोन, अबियातेगासो और पेरोचेकीयाते आप सब का अभिवादन। अपने अभिवादन के उपरान्त संत पापा ने सब विश्वासियों और तीर्थयात्रियों से अपने लिए प्रार्थना की याचना करते हुए सबको रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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