2016-01-22 15:32:00

गरीबों को न भुलें, संत पापा


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 22 जनवरी 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने दुनिया के अर्थव्यवस्था नेताओं से अपील की कि वे गरीबों को न भुले।

न्याय और समुचित विकास का यह संदेश संत पापा ने दावोस, स्वीजरलैण्ड में चल रहे विश्व अर्थव्यवस्था सम्मेलन अर्थशास्त्रियों के नाम कही। विदित हो कि विश्व के 40 देशों से 2500 प्रतिभागी जिनमें एक हजार मुख्य प्रवर्तक और कम्पिनयों के अध्यक्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

अर्थशास्त्रियों के नाम अपने संदेश में संत पापा ने कहा कि उन्हें गरीबों को मदद करने की जरूरत है न कि सभी दृष्टिकोणों से विकास करते हुए केवल अपने सम्मानजनक जिन्दगी की चिन्ता करनी है। उन्होंने कहा की अर्थव्यवस्था इस बात पर बल देती है कि समृद्धि की संस्कृति हमें निर्जीव न करे, हमें गरीबों के रूदन को सुने हेतु असमर्थ न बनाये। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लोगों के दर्द पर रोना उनकी तकलीफों में सहभागी मात्र होना नहीं हैं लेकिन उससे भी बढ़कर इस बात का अनुभव करना है कि हमारे अन्याय और असमानता के कारण उनकी यह स्थिति है।

संत पापा ने व्यवसायिक नेताओं से आग्रह किया की वे अपनी आँखें दुनिया की दुर्दशा को देखने हेतु खोलें, अपने भाई-बहनों के घावों को देखें जिन्हें सम्मान और मानवीय गरिमा नहीं मिल रही है, हमें उनकी ओर ध्यान देने की ज़रुरत है।

करूणा के जयन्ती वर्ष की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए संत पापा ने कहा, “उनका रोना हमारा रोना हो और हम सब मिलकर उदासीनता की दीवरों को तोड़ें जहाँ हम बहुधा पखण्डता और अहम का मुखौटा धारण कर लेते हैं।”  

वर्तमान परिवेश हमें एक कीमती अवसर प्रदान करता है जिनमें हम नयी चीजों की शुरूआत करें जो समाज में लोगों को इज्जत, सहनशक्ति,प्रेम और करुणा में बढ़ने हेतु मदद कर सके।

संत पापा ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि हमें सम्मुचित विकास की ओर ध्यान देते हुए पृथ्वी की रक्षा हेतु व्यावसायिक सुविधाओं का उपयोग करना है जिससे हम समाज में पर्यवारण की जटिलता और ग़रीबी के विरूद्ध लड़ सकें।








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