2016-01-20 12:08:00

कोई भी पापी भविष्य से वंचित नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, बुधवार, 20 जनवरी 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि कोई भी पापी भविष्य से वंचित नहीं है, ठीक उसी प्रकार जैसे हर सन्त का एक अतीत होता है।  

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में मंगलवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर, बाईबिल धर्मग्रन्थ में निहित राजा दाऊद की कहानी पर टीका करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि प्रभु ईश्वर ने एक ऐसे युवक का चयन किया जिसपर मानव बुद्धि का ध्यान ही नहीं गया था। इसराएल के राजा रूप में दाऊद के चयन के विषय में सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर का चयन मनुष्यों के चयन से बहुत दूर था इसलिये कि दाऊद येस्से का सबसे छोटा बेटा था तथा उस समय किशोरावस्था में था तथापि, ईश्वर ने नबी सामुएल के मुख से यह स्पष्ट कर दिया था कि प्रभु ईश्वर मनुष्यों के दिलों में झाँकते हैं।

सन्त पापा ने कहा, "हम प्रायः जो कुछ सामने दिखता है उसके दास बन जाते हैं तथा उसी के अनुकूल न्याय करते हैं किन्तु ईश्वर सत्य को जानते हैं और यही बात दाऊद के सन्दर्भ में लागू हुई थी। येस्से ने अपने सात बेटों में से छः को राजा चुने जाने के लिये प्रस्तुत किया था किन्तु ईश्वर ने सातवें और सबसे छोटे बेटे को चुना जो उस समय भेड़ चराने गया था।" सन्त पापा ने कहा कि ईश्वर ने उसी बेटे को चुना जिसे येस्से ने छोटा और नादान समझकर महत्व नहीं दिया था तथा सामुएल को आदेश दिया कि वे उसका अभिषेक करें।

सन्त पापा ने कहा कि पापी का जीवन बिताने के बाद दाऊद राजा बना, जीवन का दीर्घकाल पाप में व्यतीत करने के उपरान्त वह इसराएल का राजा और सन्त बनने के लिये चुना गया। उन्होंने कहा कि दाऊद पापी होने के साथ-साथ एक सन्त भी था जो इसराएल के राज्य में एकता लाने में सफल हुआ किन्तु वह प्रलोभनों से भी नहीं बचा। उसने पाप किये, व्याभिचार किया तथा हत्या तक कर डाली। तथापि, ईश्वर द्वारा प्रेषित नबी नाथान द्वारा उसके कुकर्मों के प्रति एहसास दिलाने पर दाऊद ने अपने पाप स्वीकार किये तथा पश्चाताप कर क्षमा की याचना की।

सन्त पापा ने कहा कि दाऊद ने कभी भी ईश्वर के नाम का दुरुपयोग नहीं किया और जब उसे ख़ुद अपने बेटे के विश्वासघात का दुःख सहना पड़ा तब उसने कहा कि वह उसी के लायक था क्योंकि अतीत में उसने भी पाप किये थे। उन्होंने कहा, "हम सब बपतिस्मा द्वारा सन्त बनने के लिये बुलाये गये हैं इसलिये ईश्वर की क्षमा और उनकी करुणा में विश्वास करते हुए अपने पापों पर पश्चाताप कर क्षमा की याचना करें क्योंकि कोई भी सन्त अतीत के बिना नहीं है और कोई भी पापी भविष्य रहित नहीं है।"








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