2016-01-20 15:09:00

अहम की भावना हमारे बीच विभाजन और घृणा के भाव उत्पन्न करती है


वाटिकन सिटी, बुधवार 20 नवम्बर 2016, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, पौल षष्टम् सभागार में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को ख्रीस्तीय एकता अठवारे प्रार्थना पर अपनी धर्मशिक्षा देते हुए इतालवी भाषा में  संबोधित किया,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

हमने धर्मग्रन्थ के उस अंश का श्रवण किया जो इस वर्ष ख्रीस्तीय एकता सप्ताह प्रार्थना हेतु मनन चिन्तन के लिए लिया गया है, जो 18 जनवरी से 25 जनवरी तक चलेगा। संत पेत्रुस के पत्र से लिया गया यह पद लातविया अन्तरकलीसिया समुदाय द्वारा चुना गया है जिसे कलीसियाई सम्मेलन और परमधर्मपीठ ने ख्रीस्तीय एकता के प्रचार हेतु चुना है।

रीगा, लुथेरन महागिरजाघर के केंन्द्र में बारहवीं सदी का एक बपतिस्मा कुण्ड है, जिसकी रचना लातविया में संत मियेनहाद द्वारा सुसमाचार प्रचार के दौरान किया गया था। यह स्रोत विश्वास की एक भावपूर्ण निशानी है जो लातविया के काथलिकों, ख्रीस्तीयों, लुथरनों और रूढ़ीवादियों के द्वारा स्वीकार किया जाता है। यह हमारे बपतिस्मा की निशानी है। द्वितीय वाटिकन महासभा यह घोषित करती है कि “बपतिस्मा हम सबों के लिए एकता का संस्कारीय बंधन है जिसके द्वारा हमारा नया जन्म होता है।” संत पेत्रुस का प्रथम पत्र प्रथम ख्रीस्तीय समुदाय के लोगों को बपतिस्मा द्वारा प्राप्त कृपाओं और उनके उतरदायित्वों की ओर इंगित करता है। इस सप्ताह के प्रार्थना में हम भी अपनी विभाजन से परे जाकर ईश्वरीय कृपाओं को एक साथ मिलकर खोजने हेतु निमंत्रित किये जाते हैं।

सर्वप्रथम हमें यह साझा करना है कि बपतिस्मा का अर्थ हम सब पापी हैं और हमें बचाये जाने, मुक्ति और हर बुराई से सुरक्षित रखें जाने की आवश्यकता है। संत पेत्रुस इसे अंधकार की संज्ञा देते हैं जब वे कहते हैं, “आप लोगों को अंधकार से निकाल कर अलौकिक ज्योति में बुला गया है।” यह हमारे लिए मृत्यु का अनुभव है जिसे येसु के अपनाया, जो प्रतीक के रूप में बपतिस्मा के जल में डूबाया जाना है जिसके द्वारा येसु में हमारा नया और पुर्नजन्म होता है। जब हम ख्रीस्तीय यह कहते हैं कि हम एक बपतिस्मा के अंग हैं तो हम सब अंधकार की कुरूपता से बाहर निकलते हुए जीवित ईश्वर की दया के भागीदार बनते हैं। वास्तव में, दुर्भाग्य की बात यह है कि हममें अहम की भावना हैं जो हमारे बीच विभाजन और घृणा के भाव उत्पन्न करती है। बपतिस्मा का अर्थ दया के स्रोत तथा सब के लिए आशा की खोज करना, जिससे कोई भी ईश्वर की करूणा से वंचित न हो।

इस कृपा को बाँटना ख्रीस्तीयों के बीच एक अंखण्डनीय संबंध उत्पन्न करता है जिसे द्वारा बपतिस्मा की कृपा से हम सचमुच एक-दूसरे को भाई के रूप में स्वीकारते हैं। हम ईश्वर की पवित्र प्रजा बनते हैं यद्यपि हम पापी हैं हम एक देश की तरह संगठित होते हैं। ईश्वर की करूणा जो बपतिस्मा में क्रियाशील है हमारे विभाजनों से मजबूत है। इसके द्वारा हम करूणा की कृपा को स्वीकारते और ईश्वर की सम्पूर्ण प्रजा बनते हुए उनके महान कार्यों का साक्ष्य अपने साधारण सुसंगठित भातृभाव जीवन के द्वारा देने लगते हैं। हम ख्रीस्तीय सुसमाचार की शक्ति को सबों के लिए घोषित करते हैं और अपने जीवन को आध्यात्मिक और शारीरिक तौर पर दया के कामों हेतु समर्पित कर देते हैं। यह एकता का ठोस प्रमाण है।

अंत में, संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम सब ने बपतिस्मा की कृपा में ईश्वर की करूणा को प्राप्त किया है और ईश प्रजा के अंग बन गये हैं। काथलिक, रूढ़िवादी और प्रोटेस्टन्स हम सब राजकीय याजक-वर्ग और पवित्र राष्ट्र हैं। इसका अर्थ यही है कि हम सब का प्रेरितिक कार्य एक है, ईश्वर से मिले करूणा को दूसरों तक पहुँचाना,जो गरीबों और परित्यक्तों से शुरू होता है। ख्रीस्तीय एकता के इस सप्ताह में ईश्वर के हम सभी शिष्य प्रार्थना करते हैं कि हम उस राह को पा सकें जिसके द्वारा हम ईश्वर की दया को दुनिया के कोन-कोने तक ले सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं अंग्रेजी बोलने वाले तीर्थयात्रियों और आगंतुकों, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरीका से आज के आम दर्शन समारोह में भाग लेने आये आप सब का अभिवादन करता हूँ। ख्रीस्तीय एकता हेतु प्रार्थना सप्ताह के संदर्भ में, मैं बोसे अन्तरकाथलिक संस्थान के सदस्यों का विशेष अभिवादन करता हूँ। आप पर और आपके परिवार के सब प्रियजनों पर प्रभु येसु खुशी और शांति की कृपा बरसायें ।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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