2016-01-19 12:13:00

हठधर्मी ख्रीस्तीय हैं बाग़ी, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 19 जनवरी 2016 (सेदोक): ख्रीस्तीय धर्मानुयायी जो कहते हैं कि "ऐसा हमेशा से होता रहा है" तथा अपने हृदयों को पवित्रआत्मा की प्रेरणा के प्रति उदार नहीं रखते वे बाग़ी हैं जो कभी भी सत्य की परिपूर्णता तक नहीं पहुँच पायेंगे। सोमवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने यह सन्देश दिया।

सन्त पापा फ्राँसिस बाईबिल धर्मग्रन्थ के उस पाठ पर चिन्तन कर रहे थे जिसमें इसराएल के राजा रूप में ईश्वर द्वारा सौल का बहिष्कार कर दिया जाता है क्योंकि उसने प्रभु ईश्वर की सुनने के बजाय लोगों की सुनी और इस प्रकार ईश आज्ञा का पालन नहीं किया। लोगों की बात में आकर सौल ईश्वर को पशु बलि चढ़ाना चाहता था किन्तु नबी सामुएल ने उसे फटकारा और कहा कि ईश्वर पशु बलि से नहीं अपितु मनुष्य के भले कर्मों से प्रसन्न होते हैं।

सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त भी सुसमाचारों में हमें यही शिक्षा देते हैं। शिष्यों के उपवास न रखने पर जब धर्म शास्त्रियों ने येसु ख्रीस्त की आलोचना की तब येसु ने उन्हें उत्तर दिया, "कोई भी पुराने कपड़ों पर नये कपड़े का थिगला नहीं लगाता, यदि वह ऐसा करता है तो पुराना कपड़ा नये से अलग हटकर फट जाता है तथा और अधिक खराब हो जाता है। इसी प्रकार पुराने दाखरस के मश्कों में नई अँगूरी नहीं डाली जाती है।" 

प्रभु येसु ख्रीस्त के इस उत्तर का अर्थ समझाते हुए सन्त पापा ने कहा कि इसका यह अर्थ नहीं है कि येसु विधान को बदलना चाहते थे अपितु इसका यह अर्थ है कि विधान, कानून और नियम सभी मनुष्य की सेवा के लिये हैं तथा मनुष्य ईश्वर की सेवा के लिये और इसीलिये मनुष्य को अपने हृदय को उदार रखना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु ने वादा किया था कि वे अपने आत्मा को भेजेंगे जो हमें सत्य की परिपूर्णता तक ले जायेगा। अस्तु, यदि हमारे हृदय संकीण होंगे, बन्द होंगे तो हम सत्य की परिपूर्णता से वंचित रह जायेंगे।

ईश्वर की आवाज़ सुनने के लिये मन के दरवाज़ों को खोलने का आग्रह करते हुए सन्त पापा ने कहाः "ख्रीस्तीय धर्मानुयायी जो दुराग्रह के साथ कहते हैं कि ऐसा ही होता रहा है, यही रास्ता है और पवित्र आत्मा की प्रेरणा को स्थान नहीं देते वे पाप करते हैं क्योंकि हठधर्म एक पाप है।"

सन्त पापा ने परामर्श दिया कि सभी ख्रीस्तीय धर्मानुयायी पवित्रआत्मा की प्रेरणा पाने के लिये प्रार्थना करें तथा ईश्वर की आवाज़ को सुनने के लिये अपने हृदय के द्वारों को खुला रखें ताकि ईश इच्छा को समझ पायें।








All the contents on this site are copyrighted ©.