2016-01-18 15:30:00

देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा ने कहा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 18 जनवरी 2016 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 17 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ गलीलिया के एक गाँव काना में घटित चमत्कार को प्रस्तुत करता है एक विवाह भोज की घटना जहाँ येसु एवं मरियम जो उनकी प्रथम शिष्य थीं उन्होंने भी भाग लिया था। (यो.2:1-11) माता मरियम ने दाखरस घट जाने की सूचना अपने पुत्र येसु को दिया इसपर यद्यपि येसु ने कहा कि उनका समय अभी नहीं आया है तथापि उनके आग्रह को पूरा करते हुए दम्पति को भोज की सबसे बढ़िया अंगुरी प्रदान की। संत योहन इस बात पर ग़ौर करते हैं कि यह पहला चमत्कार था जिसको येसु ने सम्पन्न किया और अपनी महिमा प्रकट की तथा उनके शिष्यों ने उन पर विश्वास किया।″ (पद.11)

संत पापा ने कहा कि चमत्कार एक असाधारण कार्य है जो सुसमाचार की घोषणा से जुड़ा है तथा जिसका उद्देश्य है येसु में विश्वास को सुदृढ़ करना। काना के चमत्कार में हम इसे नये दम्पति के लिए, येसु की ओर से दया के कार्य रूप में पाते हैं जो विवाह पर ईश्वर की आशीष के चिन्ह के रूप में। इस प्रकार स्त्री एवं पुरूष के बीच प्रेम सुसमाचार को जीने का एक सुन्दर रास्ता है यह आनन्द के साथ पवित्रता के रास्ते पर आगे बढ़ना है।

संत पापा ने कहा कि काना का चमत्कार केवल पति-पत्नी के लिए नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने जीवन के आध्यात्मिक दुल्हे प्रभु से मुलाकात करे। ख्रीस्तीय विश्वास एक वरदान है जिसे हम बप्तिस्मा में प्राप्त करते हैं जो हमें येसु से मुलाकात करने की अनुमति देता है। आनन्द एवं दुःख तथा प्रकाश एवं अंधकार के समय विश्वास, प्रेम का एक वास्तविक अनुभव है। काना में विवाह भोज की घटना इस बात पर चिंतन हेतु निमंत्रण देता है कि येसु एक न्यायकर्ता के रूप में नहीं आये और न ही हमारे पापों के कारण दण्ड देने के लिए उत्सुक हैं। वे उस शासक की तरह भी नहीं हैं जो अपनी प्रजा पर निरंकुश शासन करता हो। येसु अपने को एक दुल्हे के रूप में प्रकट करते हैं जो मानव जाति के मुक्तिदाता हैं, एक भाई एवं पिता के पुत्र के समान हैं। आनन्द जो हम प्रत्येक के हृदय में हैं उनकी प्रतिज्ञा को पूरा होने की आशा को पूरा करता है।

संत पापा ने कहा कि हम अपने आप से पूछ सकते हैं कि क्या हम प्रभु को सचमुच अच्छी तरह जानते हैं। क्या मैं अपने जीवन में उन्हें अपने करीब महसूस करता हूँ, अपने आत्मिक दुल्हे के रूप में? दैनिक जीवन में प्रकट उनके दाम्पत्य प्रेम का प्रत्युत्तर मैं किस तरह देता हूँ। मुझे यह अनुभव कर सकना चाहिए कि येसु हमें खोजते हैं तथा हृदय में जगह देने की मांग करते हैं। विश्वास की इस यात्रा में हम अकेले नहीं हैं हमने येसु के लोहू का वरदान प्राप्त किया है। पत्थर के छः बड़े मटके जो पानी से भरे थे तथा जिसे येसु ने दाखरस में बदल दिया था (पद.7) वह पुराने व्यवस्थान से नये व्यवस्थान में पार होने का चिन्ह है। जल जो शुद्धीकरण की धर्मविधि के लिए प्रयोग की जाती थी उसके स्थान पर हम येसु के रक्त को प्राप्त करते हैं जो दुखभोग एवं क्रूस द्वारा यूखरिस्त संस्कार में उँड़ेला जाता है। संस्कार जो पास्का रहस्य से प्रसृत होता है हमें अलौकिक शक्ति से भर देता है तथा ईश्वर के असीम करुणा का रसास्वादन करने का सौभाग्य प्रदान करता है।

प्रभु के वचन एवं कार्यों पर मनन-चिंतन की आदर्श धन्य कुँवारी मरियम हमें ख्रीस्तीयाग तथा अन्य संस्कारों की सुन्दरता एवं समृद्धि के साथ विश्वास की खोज करने में मदद करे जो हमारे लिए ईश्वर का सच्चा प्रेम है। तब हम येसु ख्रीस्त हमारे दुल्हे के साथ प्रेम में अधिक से अधिक गहरे हो सकें तथा हमारे विश्वास रूपी जलती बत्ती के साथ मुलाकात कर सकें और इसका साक्ष्य दुनिया को दे सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने विभिन्न सूचनाएँ प्रस्तुत करते हुए कहा, ″आज विश्व विस्थापित एवं शरणार्थी दिवस है जो करुणा के पवित्र जयन्ती वर्ष की पृष्ठभूमि पर विस्थापितों की जयन्ती के रूप में मनाया जा रहा है। मैं यहाँ उपस्थिति आप विभिन्न जातियों के दलों का अभिवादन करते हुए हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ। इटली के विभिन्न प्रांतों से आये तीर्थयात्री, खासकर, लात्सियो। प्रिये विस्थापितो एवं शरणार्थियो आप प्रत्येक अपने साथ इतिहास, संस्कृति, बहुमूल्य मूल्यों एवं दुर्भाग्य से गरीबी, शोषण एवं भय को धारण किये हुए हैं। इस प्रांगण में आप की उपस्थिति ईश्वर पर आशा का चिन्ह है। इस आशा एवं जीने के उत्साह को खोने न दें जो हमें दिव्य करुणा के अनुभव से प्राप्त होता है। संत पापा ने उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जो उन्हें मदद पहुँचाते हैं।″  

उन्होंने शांति का अनुभव प्राप्त करने की सलाह देते हुए कहा कि पवित्र द्वार में पार होने तथा ख्रीस्तयाग में भाग लेने से उन्हें शांति प्राप्त होगी। संत पापा ने ओपेरा कैदखाने के कैदियों को उनके उपहार के लिए धन्यवाद दिया।

विभिन्न क्षेत्रों से आये तीर्थयात्रियों का अभिवादन करने के बाद संत पापा ने इंडोनेशिया तथा बुरकिना फासो में हाल में हुए आक्रमण के शिकार लोगों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की कि ″ईश्वर उन्हें अपने अनन्त धाम में प्रवेश पाने दे तथा शांति निर्माण हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सहायता प्रदान करे।″

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए उन्हें शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








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