2016-01-18 16:36:00

काथलिक और यहूदी एक साथ मिल कर शांति हेतु कार्य करें


वाटिकन सिटी,  सोमवार, 18 जनवरी 2016, (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस तीसरे काथलिक सर्वभावौमिक धर्मगुरू के रुप में रविवार 17 जनवरी को रोम स्थित यहूदियों के उपासनागृह की यात्रा कर, ख्रीस्तीय और यहूदियों के बीच मित्रता की एक मिसाल पेश की।

अपने स्वागत संबोधन में संत पापा ने सन 1943 में नाजी द्वारा रोम के 2000 यहूदियों की होमबलि को श्रंद्धाजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि बीती घटनाओं से हमें वर्तमान और भविष्य हेतु सीख लेने की आवश्यकता है। होमबलि  हमें सदैव तैयार रहने की सीख देता है कि हम मानव मर्यादा और शांति की रक्षा हेतु तत्पर रहें।

संत पापा ने ख्रीस्तीय और यहूदियों के संबंध को अहमियत देते हुए कहा कि ख्रीस्तीय यहुदी के बीच के संबंध उनके दिल के करीब है, कैसे एक आध्यात्मिकता दोनों के बीच मित्रता और जीवन के समर्पण को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि हम एक महत्वपूर्ण और विशेष संबंध में सहभागी होते हैं क्योंकि ख्रीस्तीयता की जड़ें यहुदियों से जुड़ी हुई हैं जिसके कारण हम एक ही ईश्वर से संयुक्त होकर भाई-भाई सा अनुभव करते और एक ही आध्यात्मिक विरासत से भविष्य में विकास करते हैं।

 संत पापा ने द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा प्रकाशित विश्व पत्र “नोस्त्रा एताते” का हवाला देते हुए कहा कि इसके कारण काथलिक कलीसिया और यहूदी धर्म के बीच व्यवस्थित आपसी वार्ता हो सकी। उन्होंने उन लोगों को प्रोत्सहित किया जो इस वार्ता की दिशा में विवेक और गम्भीरता से संलग्न हैं।

संत पापा ने इस बात पर भी बल दिया कि हम ईशशस्त्रीकरण मुद्दों के साथ विश्व की बड़ी चुनौतियों को  नजरअन्दज न करें जिसे आज दुनिया को सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीयों और यहूदियों को दुनिया के लिए धर्मग्रन्थ का संदेश, सृष्टि की देखभाल और जीवन की रक्षा को बढ़ावा देना है।

हमें दुनिया में शांति हेतु अविराम प्रार्थना करने की जरुरत है जिसे आपसी समझौता, क्षमा का जीवन, यूरोप, येरुसलेम, मध्य पूर्वी, आफ्रीका और सारी दुनियाम में कयम हो सकें। अपने संबोधन के अन्त में संत पापा ने विगत 50 सालों में ख्रीस्तीय यहूदी वार्ता के कारण आपसी समझ, विश्वास और मित्रता में हुई वृद्धि हेतु धन्यवाद दिया।

ज्ञात हो की संत पापा फ्राँसिस के पहले, संत पापा बेनेदिक्त सोलवें ने जनवरी 2010 में और उनसे पहले संत पापा जोन पौल द्वितीय ने सन् 1986 में इसकी यात्रा कर रब्बी एलियो तोआफ से मुलाकत की थी।








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