2016-01-14 16:23:00

जीवन में पराजय का कारण


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 14 जनवरी 2016 (वीआर सदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 14 जनवरी को संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग प्रवचन में कहा कि विश्वास की सदा विजय होती है क्योंकि हार में भी इसकी जीत निश्चित है।

उन्होंने कहा, ″किन्तु यह कोई जादू नहीं है, यह ईश्वर के साथ हमारा व्यक्तिगत संबंध है जो किताबों से नहीं सीखा जा सकता। वास्तव में यह ईश्वर की कृपा है जिसे मांगा जाना चाहिए।″

संत पापा ने प्रवचन में सामुएल के ग्रंथ से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जो इतिहास में ईश प्रजा का फिलीस्तीनियों के हाथों पराजय की घटना का वर्णन करता है। इस पराजय का कारण क्या था? संत पापा ने कहा कि लोग धीरे-धीरे प्रभु से दूर चले गये थे, वे दुनियादारी का जीवन जी रहे थे यहाँ तक कि देवमूर्तियों की भी पूजा करने लगे थे। इस प्रकार, वे ईश्वर के साथ अपना संबंध खो चुके थे। वे उस प्रभु को भूल चुके थे जिसने उन्हें बचाया था। यही कारण है कि उन्हें पराजय का मुख देखना पड़ा। हज़ारों इसराईली मृत्यु के घाट उतारे गये, प्रभु की मंजूषा फिलीस्तिनियों द्वारा छीन लिया गया। संत पापा ने कहा कि जो लोग प्रभु से दूर चले जाते हैं उनका अंत हो जाता है। मंदिर में रहते हुए भी उनका हृदय ईश्वर के साथ नहीं होता, इस प्रकार, वे ईश्वर की पूजा नहीं करते और उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकते हैं, यही है उनके पराजय का कारण।

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जो कोढ़ से ग्रसित व्यक्ति के विजय को प्रस्तुत करता है। कोढ़ी व्यक्ति ने येसु से अर्जी करते हुए कहा, ″आप मुझे शुद्ध कर सकते हैं। तब येसु ने अपना हाथ बढ़ाकर उसका स्पर्श किया और वह व्यक्ति चंगा हो गया।″ संत पापा ने कहा कि उस व्यक्ति के विश्वास ने उसे विजय दिलाया। इस्राएलियों को दिनभर के संघर्ष के बाद भी हार ही सहना पड़ा जबकि कोढ़ी व्यक्ति को दो ही मिनट के अंदर विजय मिल गयी क्योंकि कोढ़ी व्यक्ति के अंदर एक शक्ति थी जिसने उसे येसु के पास आने हेतु प्रेरित किया और वह थी ‘विश्वास’ की शक्ति।

संत योहन कहते हैं कि दुनिया पर जीत पाना विश्वास द्वारा ही सम्भव है क्योंकि विश्वास की सदा विजय होती है।

संत पापा ने विश्वासियों को सलाह दी कि वे प्रभु से विश्वास की कृपा के लिए प्रार्थना करें।








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