2016-01-12 10:13:00

"ईश्वर का नाम है करुणा" पुस्तक की पहली प्रति सन्त पापा फ्राँसिस को अर्पित


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 12 जनवरी सन् 2016 (सेदोक): "ईश्वर का नाम है करुणा" पुस्तक की पहली प्रति सन्त पापा फ्राँसिस को अर्पित कर दी गई है।

सोमवार को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास सन्त मर्था में इटली के मोनदादोरी प्रकाशन केन्द्र की अध्यक्षा मरीना बेरलुसकोनी ने सन्त पापा फ्राँसिस को उनकी कृति "ईश्वर का नाम है करुणा" के इताली संस्करण की पहली प्रति अर्पित की।

सन्त पापा फ्राँसिस की नवीन कृति "ईश्वर का नाम है करुणा" की आधिकारिक प्रकाशना मंगलवार को रोम स्थित सन्त अगस्टीन को समर्पित धर्मसमाज के मुख्यालय में की गई। इस अवसर पर वाटिकन के प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी, वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन तथा इताली अभिनेता एवं फिल्म निर्माता रोबेर्तो बेनीनी सहित मीडिया एवं संस्कृति जगत के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इस पुस्तक में इताली और वाटिकन पत्रकार अन्द्रेया तोरनियेल्ली के साथ हुई सन्त पापा फ्राँसिस की अनेक भेंटवार्ताएं शामिल है। यह पुस्तक मंगलवार 12 जनवरी को एक साथ विश्व के 86 राष्ट्रों में विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित की जा रही है।

अपनी नई पुस्तक में सन्त पापा फ्राँसिस कहते हैं, "सन्त पापा वह व्यक्ति है जिसे ईश्वर की दया की नितान्त आवश्यकता है"। 

वे कहते हैं, "मैंने यह बात बोलिविया में पाल्मासोला के क़ैदियों से कही थी जिन्होंने मेरा हार्दिक स्वागत किया था। मैंने उन्हें स्मरण दिलाया कि सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस को भी बन्दी बनाया गया था। कारावास में जीवन यापन करनेवालों के साथ मेरा खास सम्बन्ध है"।

अपनी नवीन कृति "ईश्वर का नाम है करुणा" के विभिन्न अध्यायों में सन्त पापा ने इस बात पर बल दिया है कि प्रभु ईश्वर दयावान हैं वे हमारे पापों को क्षमा कर देते हैं इसलिये मनुष्य अपने पापों पर पश्चाताप करे तथा ईश्वर से क्षमा की प्रार्थना करे। वे कहते हैं कि कलीसिया पाप की निन्दा करती है किन्तु पापी के प्रति दया प्रदर्शित करती है। वे पाप एवं भ्रष्टाचार के बीच अन्तर को भी स्पष्ट करते हैं और कहते हैं कि भ्रष्टाचारी में पाप को पहचानने की विनम्रता नहीं होती इसलिये भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाना चाहिये।








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