2016-01-12 09:57:00

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों के प्रति परमधर्मपीठ सचेत


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 12 जनवरी सन् 2016 (सेदोक): वाटिकन विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने वाटिकन रेडियो से बातचीत में कहा कि परमधर्मपीठ अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत चुनौतियों के प्रति सचेत है।

सोमवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के साथ कूटनैतिक सम्बन्ध रखनेवाले लगभग 180 राष्ट्रों के राजदूतों एवं प्रतिनिधियों से नववर्ष के उपलक्ष्य में मुलाकात कर, उन्हें सम्बोधित किया था। विश्व के राजनयिकों को दिये सन्देश में सन्त पापा फ्राँसिस ने आतंकवाद को समाप्त करना, आप्रवास के संकट का सामना करना तथा सभी राष्ट्रों के लोगों के बीच शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की स्थापना करना आदि गम्भीर चुनौतियों को गिनाया था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सिरिया और मध्यपूर्व में जारी संघर्षों और कोरियाई प्रायद्वीप में जारी तनावों पर गहन चिन्ता व्यक्त की थी।

राजनयिकों को सम्बोधित सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश पर टीका करते हुए वाटिकन विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने कहा कि सन्त पापा इस तथ्य को रेखांकित करना चाहते थे कि परमधर्मपीठ आतंकवाद एवं आप्रवासी संकट सहित अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रस्तुत समस्त  चुनौतियों के प्रति सचेत है तथा मानव जाति के कल्याण हेतु इन समस्याओं के समाधान पर सबके एकजुट प्रयास का आग्रह करते हैं।

हाल में हुई आतंकवादी घटनाओं तथा मुसलमान जगत के लोगों के साथ वार्ता के विषय में महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस समस्या की जटिलता को प्रकाश में लाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि सन्त पापा केवल पश्चिम एवं मुस्लिम विश्व के बीच वार्ताओं का आह्वान नहीं करते अपितु स्वयं मुसलमानों के बीच भी वार्ताओं का आग्रह करते हैं ताकि विश्व यथार्थ और वास्तविक इस्लाम की आवाज़ सुन सके।

आप्रवास पर सन्त पापा फ्राँसिस के विचारों को व्यक्त कर महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि इसके लिये यूरोपीय देशों को सामान्य समाधान ढूंढ़ना होगा तथा समस्या से अधिक इस तथ्य पर विचार करना होगा कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों को यूरोपीय समाज में एकीकृत कैसे किया जाये। उन्होंने कहा कि केवल सीमाओं को बन्द करना समस्या का हल नहीं है क्योंकि आप्रवासी और शरणार्थी बहुत सी कठिनाइयों को पार करने के बाद ही हमारे समुद्री तटों पर पहुँचते हैं, उनकी दुर्दम्य यात्राओं में कईयों की मौत भी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सन्त पापा मानव जीवन की सुरक्षा पर ध्यान देने का आग्रह करते हैं जिसे अनसुना नहीं किया जाना चाहिये।








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