2016-01-11 17:00:00

दुनिया में करीबन 200 लाख ख्रीस्तीय सताये जाते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 जनवरी, 2016 (सेदोक), “आज बहुत सारे समाज में, मैं एक ख्रीस्तीय हूँ कहना एक अपराध है जिसकी सजा मौत हैं।” यह सतावट इतना अधिक विस्तृत हो गया है कि संत पापा फ्राँसिस इसे तृतीय विश्व युद्ध, एक अलग कीमत, एक तरह का नरसंहार की संज्ञा देते हैं।

संत पापा ने उक्त बातें विशेष तौर पर उन लोगों के लिए कही जो आज विश्वास के कारण मारे जा रहे हैं। आज भी बहुत सारे ख्रीस्तीय समुदायों हमेशा भय की स्थिति में जीवन यापन कर रहें हैं। विश्वासी सूत्रों के अनुसार 200 लाख से अधिक ख्रीस्तीय दुनिया के 60 देशों में अपने धर्म के कारण किसी न किसी रूप में प्रतिरोध का सामना करते हैं।

धर्म सतावट आज बड़े पैमाने पर हो रहा है और अत्याचार करने वाले दुनिया में सभी जगह भरे हैं। वे विभिन्न प्रकार की विचार धाराओं के कारण प्रभावित हैं और भौतितावाद, संप्रादायिक रुढ़िवाद को अपना आर्दश मानते हैं। वे ख्रीस्तीयों पर उतेजना और ईशनिंदा जैसे अपराध का दोष मढ़ते हैं। आज सतावट इराक, सीरिया, पाकिस्तान, भारत, चीन, नीजिरिया, सूडान, उत्तरी कोरिया और अन्य बहुत सारे स्थानों पर हो रहे हैं। ये हमारी आँखों के समाने होते हैं और बहुत बार तो अत्याचारी ख्रीस्तीयों पर कर रहे कूरूतापूर्ण अत्याचारों का विडियो सामाजिक संचार माध्यमों में डाल देते हैं।

इसके बवजूद बड़े संचार माध्यमों में विरले ही ऐसी घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जाती हैं। हमारे देश के नेतागण और राजनायिक शायद ही कभी इस पर ध्यान देते हैं। वास्तव में यह राजनीति उतरदायित्व से जोड़ दिया जाता है। ख्रीस्तीय शहीदों के बारे कहा जाता है कि वे अति धर्मी होते जो अमेरीका के लोगों को उत्तेजित नहीं करते और बहुत अपरिचित होते जो अधिकारों के लिए दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींच सकें। इसी करण शहीद अपनी दशा में अकेले ही लड़ने हेतु छोड़ दिये जाते हैं।








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