वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 08 जनवरी 2016, (सेदोक), संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित
संत मार्था के प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान दैनिक पाठों
के आधार पर अपना मनन चिंतन प्रस्तुत करते हुए प्रवचन में कहा, “सभी प्यार ईश्वर की ओर
से नहीं आते केवल सच्चा प्यार ईश्वर की ओर से आता है।” उन्होंने कहा कि हम कितने भी पाप
क्यों न किये हो लेकिन ईश्वर हमें सबसे पहले प्यार करते हैं। प्रेरित संत योहन के पहले
प्रत्र की व्यख्या करते हुए संत पापा ने दो आज्ञाओं पर विश्सासियों का ध्यान केन्द्र
कियाः ईश्वर के प्रति और पड़ोसी के प्रति हमारा प्यार। संत पापा ने कहा, “प्रेम अपने
में एक सुन्दर चीज है, प्रेम सुन्दर है। निष्ठावान प्रेम और भी मजबूत होता और जीवन में
उपहार के रूप में विकसित होता है।”
“प्रेम” रूपी शब्द एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग बहुधा होता है और हम नहीं जानते हम इसका
उपयोग कब करते हैं इसका सही मतलब क्या होता है। प्रेम क्या है? बहुत बार हम सोचते हैं
कि प्रेम धारावाहिक के समान है। नहीं, वह प्रेम नहीं है। प्यार किसी व्यक्ति के लिए जोश
के समान है जो धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है। सच्चा प्यार कहाँ है? जो कोई प्यार करता
है वह ईश्वर से जन्म लेता हैं क्योंकि ईश्वर प्यार है। प्रेरित योहन यह नहीं कहते कि
सभी प्यार ईश्वर है, नहीं ईश्वर प्यार है।
योहन ईश्वर के प्यार की एक विशेषता पर जोर देते हैं। प्यार अर्थात “पहले”। सुसमाचार में इसका प्रमाण रोटियों के चमात्कार में देखने को मिलता है। संत पापा ने कहा, “येसु भीड़ की ओर देखते और उनमें प्यार उमड़ पड़ता है। क्या ऐसा होना हमारे लिए मुल्यवान नहीं है।” येसु के दिल में लोगों के प्रति प्यार है जिसके कारण वे उनके साथ रहते, उनके साथ दुःख उठाते और उनके जीवन में सहभागी होते हैं। ईश्वर का यह प्यार मनुष्यों के प्यार से पहले आता है और इसके कई उदाहरण हैं जैसे जकेयुस, नाथालएस उड़ाव पुत्र इत्यादि।
“जब हमारे दिल में कुछ है और हम ईश्वर से क्षमा की चाह रखते हैं तो वे हमें क्षमा
देने हेतु इन्तजार करते हैं। यह करूणा का वर्ष है और हम जानते हैं कि वे हम सब का इन्तजार
करते हैं क्यों? वे हमें गले लगाना चाहते हैं और कुछ नहीं। वे हमें कहना चाहते हैं मेरे
बेटे, मेरी बेटी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। मेरे बेटे, मैंने तुम्हारे लिए अपने को
क्रूस पर बलिदान कर दिया यह मेरे प्रेम की कीमत है, यह मेरे प्रेम का उपहार है।”
“ईश्वर हमारी प्रतीक्षा करते हैं, वे चाहते हैं कि हम अपना हृदय द्वारा उनके लिए खोलें।”
संत पापा ने इस कथन पर बल देते हुए कहा कि आप हमेशा ऐसा करें क्योंकि आप जैसे भी हैं
वे सदैव आपका इन्तजार करते हैं।
उनके पास आते हुए आप कहें, “लेकिन प्रभु आप जानते हैं कि मैं आप को प्यार करना चाहता हूँ। और यदि आप ऐसा कहने के योग्य नहीं तो आप कह सकते हैं प्रभु आप जानते हैं मैं आप को प्यार करना चाहता हूँ मैं पापी हूँ, पापों के भरा हूँ।” और वे आप से वैसा ही करेंगे जैसा उन्होंने उड़ाव पुत्र के साथ किया जिसने अपनी सारी दौलत बुराई में खर्च कर दिया, आप के वचनों की समाप्ति के पहले ही वे आप को शांति अलिंगन, अपने ईश्वरीय प्यार से भर लेंगे।
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