2016-01-01 17:38:00

ईश्वर की माता मरियम के समारोही मिस्सा में संत पापा का प्रवचन


संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस के महागिरजाघर के प्रागंण में जमा हुए हजारों तीर्थ यात्रियों और विश्वासियों को देवदूत प्रार्थना के पूर्व नववर्ष की शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए इतालवी भाषा में संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात और नववर्ष मुबारक हो।

साल के शुरू में शुभकामनाओं का आदान-प्रदान अच्छा है। हमारे लिए यह एक आशा की निशानी है जो हमें सजीव रखता और हमें विश्वास के जीवन में बने रहने हेतु निमंत्रण देता है। लेकिन हम जानते हैं नये साल के साथ सभी चोजें नहीं बदलेंगी और बीते हुए कल की सारी मुसीबतें आने वाले कल में भी बनी रहेंगी। अंतः मैं आप सब को वही शुभकामनाएँ अर्पित करना चाहता हूँ जिसे मैंने आज की धर्म विधि से लिया है।

“प्रभु तुम लोगों को आर्शीवाद प्रदान करें और सुरक्षित रखें। प्रभु तुम लोगों पर प्रसन्न हो और तुम पर दया करें।” ये वे शब्द हैं जिसके द्वारा प्रभु अपने लोगों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं। मैं भी आप लोगों के यही शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ। ईश्वर की दया दृष्टि आप सबों पर बनी रहें, आप यह अनुभव करें कि प्रतिदिन उनकी कृपा सूर्य के समान आप पर चमकती रहे और उसका अंत न हो।

ईश्वर के चेहरे को खोजना हमारे जीवन को नया बनता है क्योंकि एक व्यक्ति अपने पिता को  प्यार करता है जो हममें नये जीवन की शुरूआत करने में कभी नहीं थकता,लेकिन परिवर्तन जादू की प्रतिज्ञा नहीं करता। वे जादूई छड़ी का उपयोग नहीं करते। वे जीवन की सच्चाई को अन्दर से धैर्य और प्रेम के द्वारा परिवर्तित करते हैं। वे हमारे जीवन में धीरे से प्रवेश करने की अनुमति मांगते हैं जैसे वर्षा का पानी धरती में प्रवेश कर धरती को ऊपजाउ बनती हैं। वे कोमलता में हमें देखते और हमारा इंताजार करते हैं। जब हम सुबह उठें तो हम कहें “ईश्वर की कृपा दृष्टि मुझ पर बनी रहती है।” धर्मग्रन्थ की आशीष हम पर बनी रहती है- “ईश्वर हमें अपनी शांति प्रदान करते हैं।” आज हम विश्व शांति दिवस मनाते हैं जिसकी विषयवस्तु है “उदासीनता पर जीत और शांति की जीत।” ईश्वर हमें दुनिया में शांति का बीज बोने को कहते हैं जिसे हम इसका फसल जमा कर सकें। यह एक सच्चे संघर्ष को अपने में सम्माहित करता है, एक आध्यात्मिक संघर्ष जो हमारे हृदयों में होता है क्योंकि शांति का शत्रु केवल युद्ध नहीं लेकिन उदासीनता भी है जो केवल अपने बारे में सोचता और रुकावट, शंका और भय उत्पन्न करता है। हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं क्योंकि हमारे पास ढ़ेरों खबरें, समाचार हैं लेकिन कभी-कभी हम उन खबरों में इतना खो जाते की हकीकत से भटक जाते हैं विशेषकर उन भाई-बहनों से दूर चले जाते जिन्हें हमारी मदद की जरूरत है। हमारे नजदीक रहने वालों की ओर ध्यान देकर जब हम अपना हृदय उनके लिए खोलते हैं तो शांति की जीत हमारे जीनव में होती है।

शांति की महारानी, ईश्वर की माँ जिनका महोत्साव आज हम मनाते हैं इस शांति की प्राप्ति में हमारी मदद करे। आज का सुसमाचार कहता है, “उन्होंने सारी बातों को अपने हृदय में संचित कर उनपर मनन किया।” कौन सी बातें? निश्चिय ही येसु के जन्म और उन सारी कठिनाइयों को जिन्हें उन्हें सहना पड़ा। उन्हें अपने बेटे को चरनी में लिटाना पड़ा क्योंकि सराय में उनके लिए जगह नहीं थी। उनका भविष्य अनिश्चित था। आशायें, चिंता, कृतज्ञता और कठिनाइयाँ जो कुछ भी उनके जीवन में घटित हुई वे मरियम के लिए प्रार्थना और ईश्वर की साथ वार्ता की चीजें बन गयीं। यह ईश्वर की माता का रहस्य है। आप हमारे लिए ऐसा ही करें, खुशी और जीवन के बंधनों को येसु के पास लायें।

संत पापा ने कहा, “आज अपराहृन मैं संत मरिया मजोरे महागिरजाघर का पवित्र द्वारा खोलकर नये साल को माता मरियम के हाथों में सुपूर्द करूँगा जिससे हम शांति और दया में विकास कर सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्तजनों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

देवदूत प्रार्थना के बात संत पापा ने कहा,

भाइयों एवं बहनों, मैं इटली के राष्ट्रपति का धन्यवाद अदा करता हूँ जिन्होंने हमें अपनी शुभकामनाएँ अर्पित की। मैं दुनिया भर में शांति दिवस के नाम से आयोजित किये गये प्रार्थना सभाओं हेतु आप का धन्यवाद करता हूँ। मुझे यह जानकर खुशी होती है कि नवयुवक विशेषकर नये साल में इस जीवन का चुनाव कर रहें हैं। मैं “पीस इन ऑल लैन्डस” के प्रतिभागियों का अभिवादन करता हूँ जिसका प्रसार रोम और दूसरे देशों में संत एग्रीदीयो समुदाय के द्वारा हो रहा है। प्रिय मित्रों आप मेल-मिलाप और शांति हेतु अपना कार्य जारी रखें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सभी भक्तजनों को माता मरियम की सुरक्षा में अर्पित करते हुए नये साल की शुभकामनाएँ अर्पित की तदोरान्त उन्होंने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।

 








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