वाटिकन सिटी, सोमवार, 28 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 27 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,
ख्रीस्त जयन्ती के आनन्दमय माहौल में, इस रविवार को हम पवित्र परिवार का त्यौहार मना रहे हैं। मैं फिलाडेलफिया में परिवार पर महासभा की याद करता हूँ। विगत सितम्बर माह प्रेरितिक यात्रा के दौरान विश्व के कई परिवारों से मुलाकात हुई। मैं उन सभी का हार्दिक अभिवादन करता हूँ तथा अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ, विशेषकर, इस समय में जब परिवारों में नासमझी तथा कई प्रकार की समस्याएँ हैं जो इसे कमजोर कर देती हैं।″
संत पापा ने सुसमाचार पाठ की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आज का सुसमाचार पाठ परिवारों को नाज़रेथ के पवित्र परिवार से आशा की किरण ग्रहण करने हेतु निमंत्रण देती है। जो येसु के बाल्यावस्था के आनंदमय वातावरण से विकसित होता है। संत लूकस कहते हैं, ″ईसा की बुद्धि एवं शरीर का विकास होता गया। वह ईश्वर तथा मनुष्यों के अनुग्रह में बढ़ते गये।″ (लूक. 2:52) संत पापा ने कहा कि येसु, मरियम एवं जोसेफ का परिवार सभी विश्वासियों के लिए आदर्श है, विशेषकर, परिवारों के लिए सुसमाचार का एक सच्चा स्कूल है। यहीं हम ईश्वर की योजना को देखते हैं कि वे परिवार को जीवन एवं प्रेम का एक खास समुदाय बनाना चाहते हैं। हम सीखते हैं कि प्रत्येक ख्रीस्तीय परिवार एक घरेलू कलीसिया बनने, सुसमाचारी मूल्यों का प्रकाश फैलाने तथा समाज की भलाई हेतु ख़मीर बनने के लिए बुलाया गया है। पवित्र परिवार की विशेषताएं हैं, मनन- चिंतन, प्रार्थना, आपसी समझदारी तथा सम्मान, आत्मत्याग, काम तथा एकात्मता।
पवित्र परिवार के साक्ष्य से प्रत्येक परिवार महत्वपूर्ण निर्देश एवं जीवन शैली प्राप्त करता है तथा जीवन की सभी पहलुओं के लिए शक्ति एवं प्रज्ञा प्राप्त करते हैं। माता मरियम एवं संत जोसेफ हमें बच्चों को ईश्वर के वरदान के रुप में स्वीकार करने, उनका लालन-पालन तथा शिक्षा देने की सीख देते हैं। इसके द्वारा हम अनोखे रूप से सृष्टिकर्ता के कार्यों को सहयोग देना तथा विश्व के प्रत्येक बच्चे को एक नयी मुस्कान देना सीखते हैं। संयुक्त परिवारों में ही बच्चे अपने अस्तित्व, अनुभवों को अर्थपूर्ण तरीके से जीने, स्वतंत्र प्यार, कोमलता, आपसी सम्मान एवं समझदारी, क्षमाशीलता तथा आनन्द में बढ़ते हैं।
संत पापा ने आनन्द के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″मैं आनन्द पर विशेष रूप से चिंतन करना चाहता हूँ। परिवार में अनुभव किया हुआ आनन्द कोई आकस्मिक घटना नहीं है। यह लोगों के बीच गहरे आनन्द का परिणाम है, एकता में रहने की सुन्दरता तथा जीवन की यात्रा में एक दूसरे का सहयोग देने का आनन्द। इस आनन्द के पीछे ईश्वर की उपस्थिति है, सभी लोगों के प्रति उनका प्रेमी स्वागत, सौम्य तथा धैर्य। यदि मैं ईश्वर की उपस्थिति तथा उनके प्रेम के लिए परिवार का द्वार न खोलूँ तो परिवार से सद्भाव लुप्त हो जाता है तथा व्यक्तिवाद प्रबल हो जाता है, साथ ही परिवार आनन्द का वार्तावरण समाप्त हो जाता है जबकि परिवार जो जीवन एवं विश्वास के आनन्द को जीता तथा दूसरों के बीच बांटता है वह पृथ्वी का नमक एवं संसार की ज्योति है तथा समस्त विश्व के लिए ख़मीर बन जाता है।
संत पापा ने सभी परिवारों के लिए प्रार्थना की, ″येसु, मरियम एवं जोसेफ विश्व के सभी परिवारों की रक्षा करें ताकि उनमें मानवता के लिए ख्रीस्त प्रदत्त उपहार स्थायित्व, शांति, आनन्द तथा न्याय का विकास हो।
इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने समस्याओं में पड़े विभिन्न देशों की याद की।
उन्होंने कहा, ″इस समय मेरी चिंता क्यूबा के असंख्य विस्थापितों के प्रति है जो अपने को मध्य अफ्रीकी गणराज्य में कठिन परिस्थिति में पाते हैं। उनमें से कई लोग मानव तस्करी के शिकार हैं। मैं उन देशों से आग्रह करता हूँ कि इस मानवीय त्रासदी के निदान हेतु सभी उदार प्रयासों को नवीकृत किया जाए।″
संत पापा ने सभी परिवारों को शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा, मैं इस प्रांगण में उपस्थित सभी परिवारों का अभिवादन करता हूँ। आपके साक्ष्य के लिए धन्यवाद। प्रभु अपनी कृपा से आपका साथ दे तथा प्रत्येक दिन के जीवन में शक्ति प्रदान करे।
इतना कहने के बाद संत पापा ने देश विदेश के सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया, उन्होंने परिवारों के सम्मान में ख्रीस्त जयन्ती का संगीत प्रस्तुत करने वाले युवक-युवतियों को बधाई दी तथा उन्हें आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दिया।
अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।
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