2015-12-23 16:15:00

श्रोताओं के पत्र


पत्र- 1.12.15 ‘वॉइस ऑफ हार्ट’

आप अकेले बोल तो सकते है; परन्तु बातचीत नहीं कर सकते।

आप अकेले आनन्दित हो सकते है परन्तु उत्सव नहीं मना सकते।

अकेले आप मुस्करा तो सकते है परन्तु उल्लास नहीं मना सकते।

हम सब एक-दूसरे के बिना कुछ नहीं हैं, यही रिश्तों की खूबसूरती हैll

जवाब- डॉ. हेमन्त कुमार 1 दिसम्बर के पत्र के लिए धन्यवाद। ‘वॉइस ऑफ हार्ट’ शीर्षक के तहत रिश्तों की खूबसूरती को उजागर किया है। हम आपकी बातों से सहमत हैं कि अकेला व्यक्ति बात-चीत नहीं कर सकता, न उत्सव और न ही उल्लास मना सकता है क्योंकि मनुष्य सामाजिक प्राणी है वह अकेला सब कुछ नहीं कर सकता, उसे बहुत सारी आवश्यकताओं के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। जिस तरह हम दूसरे से मदद लेते तथा उनके साथ की आशा करते हैं उसी तरह दूसरों को भी हमारी मदद की आवश्यकता होती है। अतः हम एक दूसरे को मदद करने से न कतरायें। मदद न सिर्फ धन से किन्तु अपने बात व्यवहार, सहानुभूति, सेवा, समझदारी, प्यार तथा अपना समय देकर भी किया जा सकता है। इस तरह मानवीय रिश्तों की खूबसूरती को बढ़ाने में अपना योगदान देकर हम जीवन का सच्चा सुख प्राप्त करें। डॉ. हेमन्त कुमार जी प्रेरणादायक संदेश के लिए धन्यवाद।

डॉ. हेमन्त कुमार, प्रियदर्शनी रेडियो लिस्नर्स क्लब अध्यक्ष, गोराडीह भागलपुर, बिहार।

पत्र-11.11.15

महोदय जी इन दिनों अपने पास सुनने का साधन रेडियो न होने के कारण अन्य रेडियो पर कार्यक्रम सुनता हॅूं तथा आपको पत्र भेजने में असमर्थ हॅूं इसका हमें बड़ा खेद है। आशा है महोदय जी हमारे इस बात को लेकर कोई उपाय करेंगे तथा हमें आगे रेडियो वाटिकन से मधुर सम्पर्क बनाये रखने की प्रेरणा देंगे। धन्यवाद।

श्री ज्ञानबहादुर छेत्री, तिनसुकिया, असम।

 

पत्र- आदरणीय सम्पादक जी, नमस्कार। वाटिकन भारती की अक्टूबर अंक के मुख्य पृष्ट पर जुलियट क्रिस्टफर जी का फोटो बहुत प्यारा लगा तथा आलेख भी खूब पसंद आई। संत पापा के संदेश और कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी पा कर मन खुशी से झूम उठा। हमारी शिकायत है कि वाटिकन पत्रिका में श्रोताओं की रचनाएँ प्रकाशित नहीं की जाती हैं। कृपया 2 पेज पर श्रोताओं की रचनाएँ प्रकाशित कीजिए। होली पर एक कविता भेज रहा हॅूं इसे जरूर प्रकाशित कीजिएगा।

प्यार का संदेश लाती है होली

सब धर्मों पर प्यार लुटाती है होली।

न कोई बड़ा है न कोई छोटा है

बात यह बताती है होली।

एक-दूसरे को गले लगा लो

प्यार की बात सिखाती है होली।

नफरत न मन में पालो

भेद-भाव मिटाना सिखाती है होली।

बद्री प्रसाद वर्मा अंजान, स्वर्गीय मीनू रेडियो श्रोतासंघ के अध्यक्ष, गोरखपुर। 








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