2015-12-21 12:07:00

बदनामी रोमी कार्यालय की सेवाओं को धुंधला नहीं कर सकती, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 दिसम्बर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्रांसिस ने कहा है कि बदनामियाँ कलीसिया को अर्पित रोमी कार्यालय की सेवाओं को धुंधला नहीं कर सकती।

क्रिसमस के उपलक्ष्य में सोमवार को वाटिकन में रोमी कार्यालय के धर्माधिकारियों को अपना वार्षिक सन्देश देते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि प्रलोभनों एवं भ्रष्टाचार से उत्पन्न बदनामियों का निवारण तथा भविष्य में इनके प्रति सचेत रहने की नितान्त आवश्यकता है। तथापि, इन बदनामियों की वजह से समर्पण एवं निष्कपट भाव से अर्पित सेवाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता। 

यह स्मरण दिलाकर कि विगत क्रिसमस के अवसर पर उन्होंने परमधर्मपीठीय कार्यालयों में व्याप्त प्रलोभनों के प्रति ध्यान आकर्षित कराया था जिसके परिणामस्वरूप कलीसिया को बहुत कष्ट झेलना पड़ा, सन्त पापा ने कहा, "रोग और बदनामियाँ भी कलीसिया तथा उसके परमाध्यक्ष को रोमी कार्यालय द्वारा अर्पित प्रभावात्मक एवं समर्पित सेवाओं को धुँधला नहीं कर सकती। इन  सेवाओं का निर्वाह गहन समझदारी, सूझबूझ एवं ज़िम्मेदारी के साथ किया गया है जो सान्तवना का यथार्थ स्रोत है।"

येसुधर्मसमाज के संस्थापक सन्त इग्नेशियस को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा, "उन्होंने हमें सिखाया कि आत्मग्लानि, दुःख और कठिनाइयाँ उत्पन्न करना तथा अनावश्यक चिन्ता में डालना दुष्ट आत्मा की खासियत है ताकि वह हमें आगे बढ़ने से रोक सके किन्तु इसके विपरीत, साहस, ऊर्जा, सान्तवना एवं आँसू, प्रेरणा एवं विश्रान्ति का संचार करना तथा सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास करना, जिससे हम अच्छाई के मार्ग पर अग्रसर हो सकें, भलाई एवं भली आत्मा की विशिष्टता है।"  

उन्होंने कहा कि प्रवीणता, आज्ञाकारिता और समर्पण की भावना में रोमी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा अर्पित सेवाओं की सराहना न करना घोर अन्याय होगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा, "कुछेक व्यक्तियों और मंत्रियों की ओर से प्रतिरोध, कठिनाइयों और विफलताओं के मामलों से बहुत से सबक सीखे जा सकते हैं तथा विकास के पथ पर अग्रसर हुआ जा सकता है। इनके कारण हम ईश्वर एवं पड़ोसी के प्रति और अधिक सचेत बनते हैं।" 

करुणा को समर्पित जयन्ती वर्ष के सन्दर्भ में सन्त पापा ने रोमी कार्यालय के धर्माधिकारियों को परामर्श दिया कि वे मिशनरी एवं प्रेरितिक भावना को मज़बूत करें जो परमधर्मपीठीय कार्यों को प्रभावात्मक एवं रचनातमक बनाती है। द्वितीय, अपने कार्यों के उचित सम्पादन के लिये उपयुक्त ज्ञान और बुद्धिमत्ता हासिल करें तथा अंतर्दृष्टि के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। इसके साथ ही सन्त पापा ने आध्यात्मिकता एवं मानवता पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि कलीसिया एवं कलीसियाई जीवन के प्रत्येक कार्य एवं हर सेवा को आध्यात्मिकता से बल प्राप्त होता है तथा आध्यात्मिकता ही दैनिक प्रलोभनों एवं मानवीय दुर्बलताओं को पराजित करने की शक्ति प्रदान करती है।

इसके अतिरिक्त, ज़िम्मेदारी, पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, उदारता, परिपक्वता, सत्य एवं सजगता के सदगुणों को हासिल करने हेतु अनवरत प्रयास करते रहने का सन्त पापा फ्राँसिस ने रोमी कार्यालयों के अधिकारियों को परामर्श दिया। 








All the contents on this site are copyrighted ©.