2015-12-21 14:52:00

ख्रीस्त पड़ोसियों में, इतिहास में और कलीसिया में


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 20 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आगमन के चौथे रविवार का सुसमाचार पाठ मरियम के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालता है। हम उन्हें इस तरह पाते हैं, विश्वास में ईश्वर के पुत्र को गर्भ में धारण करने के तुरन्त बाद वे यूदा के पहाड़ी प्रदेश के लिए निकल पड़ती हैं तथा अपनी कुटुम्बनी एलीजाबेथ से मुलाकात कर उसकी मदद करती हैं। गाब्रीएल महादूत ने उन्हें संदेश में बतलाया था कि उनकी कुटुम्बनी एलीजाबेथ जिसकी कोई संतान नहीं थी वह अब गर्भवती है और यह उसका छठा महीना है। दूत के इस संदेश को पाकर मरियम एक महान उपहार एवं रहस्य को अपने साथ लेकर एलीजाबेथ के पास चल पड़ती हैं तथा तीन महीने तक उसके साथ रह कर उसकी सेवा करती हैं।

संत पापा ने मरियम के दूसरे गुण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुजुर्ग एवं युवा इन दो महिलाओं के बीच मुलाकात में, मरियम सबसे पहले अभिवादन करती है। सुसमाचार बतलाता है कि ″उसने जकरियस के घर में प्रवेश कर एलीजाबेथ का अभिवादन किया।″ (लूक.1:40) मरियम का अभिवादन सुन एलीजाबेथ विस्मय से भर गयी। संत पापा ने कहा कि एलीजाबेथ आश्चर्य से भरकर कह उठी, ″मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं?″ (लूक.1:43) इस प्रकार वृद्ध एवं युवा दोनों गर्भवती महिलाओं ने खुशी से एक-दूसरे का आलिंगन किया।   

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त जयन्ती के उत्सव को अच्छी तरह मनाने के लिए हमें विस्मयकारी स्थानों में जाने की आवश्यकता है। हमारे दैनिक जीवन में विस्मयकारी स्थान क्या है? उन्होंने तीन आश्चर्यपूर्व स्थान बताया। पड़ोसी, इतिहास तथा कलीसिया। पहला, आश्चर्य है भाइयों की पहचान, येसु के जन्म के साथ सभी लोगों पर ईश्वर के पुत्र की मुहर लग गयी है। विशेषकर, ग़रीबों के चेहरे पर क्योंकि ईश्वर ने एक ग़रीब के रूप में दुनिया में प्रवेश किया।

आश्चर्य का दूसरा स्थान है इतिहास। कई बार हम चीजों को सही तरीके से देख पाते हैं तथा पुरानी बातों को पढ़ने का कष्ट करते हैं। इस प्रकार हम बाजार अर्थव्यवस्था द्वारा निर्धारित वित्त और व्यापार के विनिमय तथा शक्तियों के वर्चस्व को समझते हैं। ख्रीस्त जयन्ती हमें यह संदेश देता है कि ईश्वर मिश्रित करते हैं जैसा कि मरियम गाती है ″उसने शक्तिशालियों को उनके आसनों से गिरा दिया और दीनों को महान बना दिया है। उसने दरिद्रों को सम्पन्न किया और धनियों को खाली हाथ लौटा दिया है।″ (लूक.1:52-53)

तीसरा आश्चर्यपूर्ण स्थल है कलीसिया। यह न केवल एक धार्मिक संस्था है किन्तु हमारी माता है दाग और झूरियों के बावजूद हमारी माता। यह ख्रीस्त की एक प्यारी दुल्हिन है तथा उनके द्वारा पवित्र की गयी है। ईश्वर के प्रेम चिन्ह को कलीसिया समझती है। प्रभु कलीसिया पर एक चौकस पहरेदार की तरह अधिकार नहीं करते हैं अतः जो लोग ऐसा समझते हैं वे ग़लती करते हैं। प्रभु हमेशा भरोसे एवं आनन्द के साथ मिलने आते हैं तथा उसे दुनिया की आशा दिलाते हैं। कलीसिया प्रभु को बुलाती है, ″प्रभु येसु आइये।″ माता कलीसिया का द्वार एवं उसकी बाहें सभी का स्वागत करने हेतु खुली रहती हैं। माता कलीसिया उस माता के समान है जो अपने घर से बाहर आकर सभी को अपनी मीठी मुस्कान प्रदान करती है तथा प्रभु की करुणा के नजदीक लाती है। यही क्रिसमस का आश्चर्य है।

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त जयन्ती में ईश्वर अपने पुत्र को अर्पित करने के द्वारा हमें अपने आप को देते हैं, वे अपना आनन्द हमें प्रदान करते हैं। जिसको हम सीयोन की विनीत एवं दीन पुत्री मरियम जो सर्वोच्च ईश्वर की माता बनी उनके समान हृदय रखकर ही ईश्वर के महान वरदान तथा उनके अप्रत्याशित आश्चर्य को प्राप्त करने का आनन्द ले सकते हैं।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि वे हमें इतिहास, कलीसिया एवं येसु के जन्म के आश्चर्यों को देख पाने में मदद करे। उपहारों के उपहार एक महान उपहार जो हमारे लिए मुक्ति लाते हैं येसु से मुलाकात हमें इन महान आश्चर्यों का अनुभव दिलाये। उन्होंने कहा कि यदि हम उन विस्मयकारी चीजों को महसूस नहीं कर पाते हैं तो हम येसु से मुलाकात नहीं कर पायेंगे, न लोगों के साथ, न इतिहास और न ही कलीसिया के साथ मुलाकात कर पायेंगे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश के सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने सीरिया में शांति की अपील की। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से युद्ध ग्रस्त देशों में शांति बहाल हेतु ठोस कदम उठाने की अपनी मांग रखते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रायोजन को समर्थन देने का आश्वासन दिया।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″मैं सभी को प्रोत्साहन देता हूँ कि हिंसा को समाप्त करने के उपायों को अपनाने एवं समझौता द्वारा शांति स्थापित करने के कार्यों को जारी रखें। संत पापा ने लीबिया एवं फ्राँस की भी याद करते हुए उन्हें राष्ट्रीय एकता तथा भविष्य की आशा बनाये रखने की सलाह दी।

अंत में संत पापा ने शुभ रविवार, आशा एवं आश्चर्य भरे क्रिसमस तथा येसु के प्रेम एवं शांति की कामना करते हुए सभी से प्रार्थना का आग्रह किया।








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