2015-12-14 15:53:00

संत पापा ने ग्वादालुपे की माता मरियम के महापर्व पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया


वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″मरियम ने दिव्य करुणा का एहसास किया है क्योंकि उन्होंने करुणा के स्रोत येसु ख्रीस्त को अपने गर्भ में धारण किया।″ उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने 12 दिसम्बर को ग्वादालुपे की माता मरियम के पर्व दिवस पर संत पेत्रुस महागिरजाघर में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन के दौरान करुणा पर चिंतन करते हुए कहा कि यह जयन्ती वर्ष प्रत्येक व्यक्ति के हृदय, परिवार एवं देश में करुणामय प्रेम को रोपना है।

उन्होंने कहा, ″कोई भी पाप येसु के करुणामय सामीप्य को रोक नहीं सकता और न ही मन परिवर्तन की ईश्वरीय कृपा को खोलने में बाधा डाल सकता है, बशर्ते की हम उसकी याचना करें।″

संत पापा ने नबी सफानिया के ग्रंथ पर चिंतन किया जहाँ नबी इस्राएलियों को सम्बोधित करते हुए बतलाते हैं कि प्रभु उनके बीच विद्यामान हैं तथा अपनी प्रजा के प्रति अपने प्रेम को नवीकृत करेंगे। उन्होंने कहा कि इस्राएलियों को की गयी भविष्यवाणी मरियम पर तथा उन सभी लोगों पर पूरी होती है जो ईश्वर के करुणामय प्रेम के पात्र हैं। वे हमें इतना प्यार करते हैं कि हमारे कारण आनन्द मनाते हैं।

संत पापा ने कहा कि करुणामय प्रेम ईश्वर की बड़ी विशेषता है। करुणा अर्थात् ‘मिसेरीकोरदिया’ दो शब्दों से बना है दुःख और दिल। दिल प्रेम को दर्शाता है जो मानव व्यक्ति के दुखों को गले लगाता है। यह एक ऐसा प्यार है जो हमारी ग़रीबी को अपनी ग़रीबी मानता है। यह ऐसा प्यार है जिसमें हम नहीं किन्तु ईश्वर हमें प्यार करते हैं जिसके कारण उन्होंने अपने एकलौते पुत्र को हमारे बीच भेजा। हमारी दुर्बलताओं को समझने के लिए शब्द ने शरीरधारण किया तथा हमारी मानवीय परिस्थिति को समझने के लिए अपने को क्रूस पर अर्पित कर दिया। ऐसा गहरा है ईश्वर की करुणा एवं दया। हमारा साथ देने तथा घायल मानव की सेवा हेतु उन्होंने अपने को विलय कर दिया। संत पापा ने कहा, ″कोई भी पाप उनके करुणामय सामीप्य को रद्द नहीं कर सकता अथवा मन-परिवर्तन की कृपा को खोलने से रोक सकता है।

संत पापा ने लोगों के दुःख-कष्टों को धन्य कुँवारी मरियम के चरणों सुपूर्द किया तथा प्रार्थना की कि उनकी मधुर दृष्टि इस पवित्र वर्ष में हमारे साथ हो ताकि हम ईश्वर की कोमलता के आनन्द की खोज कर सकें। जयन्ती वर्ष प्रत्येक व्यक्ति के हृदय, परिवार एवं देश में करुणामय प्रेम को रोपने का अवसर बने। संत पापा ने विश्वासियों से अपील की कि हम मन-परिवर्तन करें तथा दयालु बनें एवं उदारता का साक्ष्य प्रस्तुत करें जो किसी का बहिष्कार करने नहीं देता।








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