2015-12-14 16:52:00

करुणा की जयंती वर्ष में राँची महागिरजाघर का ‘करुणा द्वार’ खुला


राँची, सोमवार, 14 दिसम्बर 2015 (वाटिकन रेडियो) राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने 13 दिसंबर को प्रातः 9 बजे यूखरिस्तीय समारोह के पूर्व डा. कामिल बुल्के पथ में स्थित संत मरिया महागिरजाघर के 'करुणा का द्वार' खोलकर राँची महाधर्मप्रांत के विश्वासियों के लिये करुणा की  जयंती वर्ष का उद्घाटन किया।  

संत जेवियर कॉलेज राँची के प्रोफेसर एवं माईनर सेमिनरी के उप-संचालक फादर जस्टिन तिरकी एस. जे. ने वाटिकन रेडियो को जानकारी दी कि कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने महागिरजाघर के पवित्र द्वार खोलने के पूर्व पवित्र द्वार खोलने की महत्ता पर चिन्तन करते हुए बतलाया कि ‘प्रत्येक तीर्थयात्री का पवित्र द्वार से महागिरजाघर में प्रवेश करना महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कार्य है़। इससे गुजरने वाले सांत्वनादाता ईश्वर के स्नेहभाजन होंगे़। वे क्षमादान और आशा का वरदान प्राप्त करेंगे।’   

उन्होंने कहा कि ‘’रोम में पोप फ्राँसिस ने माता मरियम के निष्कलंक गर्भागमन पर्व के अवसर पर 8 दिसंबर को संत पेत्रुस महागिरजाघर का पवित्र द्वार खोल कर ‘करुणा के पाँचवें विशिष्ट वर्ष’ का उद्भाटन किया जिसमें स्वयं कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो मौजूद थे़।”

 कार्डिनल ने बताया, ‘’संत पिता फ्राँसिस की इच्छा है कि रोम में संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र द्वार खुलने के बाद दुनिया भर में गिरजाघरों के पवित्र द्वार भी खोल दिये जायें। यह पवित्र द्वार करुणा का द्वार हो़।‘’

 उन्होंने कहा, “करुणा का द्वार कभी बंद नहीं होता और वहाँ कभी रात नहीं होती़। इससे हो कर प्रवेश करने वाला हर व्यक्त ईश्वर की करुणा अर्थात सांत्वना, क्षमा और आशा का अनुभव करेगा़।”

  इस मौके पर विश्वासियों को करुणा की जुबली वर्ष में दया के सेवा कार्य तथा आध्यात्मिक कार्यों के लिए निर्देश दिये गये दया के सेवा कार्यों में भूखों को खिलाना, प्यासों को पिलाना, वस्त्रहीनों को वस्त्र पहनाना, बेघरों को आश्रय देना, रोगियों से मुलाकात करना, कैदियों से मिलना व मृतकों को दफनाना तथा आध्यात्मिक कार्यों में भ्रमितों का मार्गदर्शन करना, अज्ञानियों को शिक्षा देना,  पापियों को सचेत करना, पीड़ितों को दिलासा देना, सताहट को धैर्य से सहना, अपराधियों को क्षमा करना और मृतकों के लिए प्रार्थना करना आदि शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘’हम जानते हैं कि इसके बिना शांति, साहचर्य और विकास नहीं हो सकता, न्याय तभी आ सकता है जब हमारे बीच ईश्वर की उपस्थिति हो़।   

समारोह में राँची के सहायक धर्माधय्क्ष बिशप थियोडोर मास्करेन्हास, धर्माध्यक्ष तेलेस्फोर बिलुंग,  राँची धर्मप्राँत के जेस्विट प्रोविन्श्यल फादर जोसेफ मरियानुस कुजूर पल्ली पुरोहित फादर अजय लकड़ा, फादर सेबेस्तियन तिर्की, फादर आनंद डेविड व बड़ी संख्या में पुरोहित, धर्मबहनें और विश्वासी  बड़ी संख्या में जमा थे।








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