2015-12-14 13:08:00

आनन्द की प्राप्ति हेतु हमें क्या करना चाहिए


वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 13 दिसम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज के सुसमाचार पाठ में एक सवाल को तीन बार दुहराया गया है, ″हमें क्या करना चाहिए?″ (लूक.3:10,12,14) संत योहन बपतिस्ता के पास तीन तरह के लोग आते हैं, पहला दल आम जनता का है, दूसरा नाकेदार और तीसरा सैनिकों का। तीनों ही प्रकार के लोग उनसे पूछते हैं कि पश्चाताप का जो उपदेश उन्होंने दिया है उसके लिए उन्हें क्या करना चाहिए। संत योहन आम जनता के सवालों का उत्तर देते हुए कहते हैं कि उन्हें मौलिक चीजों को अन्यों के साथ बांटना चाहिए। ″जिनके पास दो कुरते हों वह एक उसे दे दे जिसके पास नहीं है और जिसके पास भोजन हैं वह भी ऐसा ही करे।″ (पद.11) दूसरा दल जो नाकेदार का है उनसे संत योहन कहते हैं ″जितना तुम्हारे लिए नियत है उसे अधिक मत मांगो।″ (पद.13) अर्थात् रिश्वत नहीं लेना। अंत में सैनिकों को संत योहन सलाह देते हैं कि वे किसी पर अत्याचार न करें, किसी पर झूठा दोष न लगायें और अपने वेतन से संतुष्ट रहें। (पद.14)

संत पापा ने कहा कि ये तीनों जवाब मन-परिवर्तन के एक ही रास्ते को दर्शाते हैं जो न्याय एवं एकात्मता के ठोस समर्पण द्वारा प्रदर्शित होता है। एक ऐसा रास्ता जिसको येसु ने अपने सभी उपदेशों में दिखाने का प्रयास किया, पड़ोसियों के प्रति सक्रिय पथ।

संत योहन बपतिस्ता के इस सुझाव से हम उस समय के सत्ताधारी लोगों की सामान्य प्रवृत्तियों को समझते हैं। आज भी उन प्रवृत्तियों में अधिक परिवर्तन नहीं हुआ है किन्तु मुक्ति हेतु मन-परिवर्तन के रास्ते से कोई भी दल बहिष्कृत नहीं है। ईश्वर किसी का बहिष्कार नहीं करते बल्कि उन्हें अवसर देते हैं ताकि वे भी मुक्ति प्राप्त करें। ईश्वर अपनी करुणा प्रदर्शित करने के लिए तत्पर हैं तथा मन-परिवर्तन एवं क्षमाशीलता की कोमल आलिंगन से सभी का स्वागत करना चाहते हैं।

संत पापा ने कहा कि हमें क्या करना चाहिए, यह सवाल आज हमारे लिए भी है। आज की धर्म विधि संत योहन द्वारा हमें बतलाती है कि हमें मन-परिवर्तन कर, न्याय, एकात्मता और संयम के रास्ते को अपनाना है जो सच्ची मानवता एवं सच्चा ख्रीस्तीय जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य हैं। संत योहन का उपदेश पश्चाताप करो तथा आगमन के तीसरे रविवार के पाठ, मन-परिवर्तन के विशेष आयाम, आनन्द की पुनर्खोज करने हेतु मदद करते हैं।

संत पापा ने कहा कि जो पश्चाताप करता एवं प्रभु की खोज करता है उसे आनन्द की प्राप्ति होती है। नबी सफान्या बतलाते हैं, ″सियोन की पुत्री, आनन्द का गीत गा।″ (सफा.3:14) प्रेरित संत पौलुस फिलीपींस के विश्वासियों से आनन्द मनाने का आह्वान करते हैं, ″आप लोग प्रभु में हर समय प्रसन्न रहें।″(फिली.4:4)

संत पापा ने कहा कि आज भी आनन्द का प्रचार करने हेतु साहस की आवश्यकता है जिसके लिए विश्वास की जरूरत है। दुनिया अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरा हुआ है, भविष्य अनिश्चितता एवं भय के भार से दबा है इन सब के बावजूद, ख्रीस्तीय एक प्रसन्नचित व्यक्ति है तथा उसका आनन्द सतही और अल्पकालिक नहीं है। एक ख्रीस्तीय का आनन्द गहरा और स्थायी होता है क्योंकि यह ईश्वर का वरदान है जो जीवन को भर देता है। हमारा आनन्द उस बात के ज्ञान से आता है कि अपनी कोमलता, दया, क्षमा तथा प्रेम के साथ प्रभु निकट हैं (फिली.4:5)।

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि वे हमारे विश्वास को सुदृढ़ करने में मदद दें ताकि हम आनन्द के ईश्वर का स्वागत कर सकें, करुणावान ईश्वर का स्वागत जो अपने बच्चों के बीच निवास करना चाहते हैं। हमारी माता मरियम जो दूसरों के दुःखों को बांटना सिखलाती हैं, उनकी खुशी को भी बांटना सिखाये।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा, ″पेरिस में जलवायु परिवर्तन कम करने हेतु शिखर सम्मेलन का समापन एक समझौता के साथ हो गया है, जिसे बहुतों ने ऐतिहासिक कहा है। इसको अमल किया जाना प्रत्येक से ठोस प्रतिबद्धता एवं उदार समर्पण की मांग करता है। उन्होंने आशा जतायी कि इस मामले में कमजोर जनता पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि उन्होंने जो रास्ता अपनाया है उसपर यथाशीघ्र आगे बढ़ना शुरू करें जिससे एकात्मता का यह चिन्ह अधिक से अधिक सक्रिय हो सके।

संत पापा ने नायरोबी में आगामी 15 दिसम्बर से होने वाले विश्व व्यापार के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की याद कर उसमें भाग लेने वाले देशों से कहा कि सम्मेलन में जो निर्णय लिया जाए उसमें ग़रीबों तथा सबसे कमजोर वर्ग के लोगों की आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। साथ ही सबसे कम विकसित देशों की वैध आकांक्षाओं तथा समस्त मानव परिवार के सामान्य आवश्यकताओं को मान्यता दी जाए।

संत पापा ने जानकारी दी कि आज विश्व के सभी महागिरजाघरों के पवित्र द्वार खोल दिए जायेंगे क्योंकि जयन्ती वर्ष को स्थानीय कलीसियाओं में ही अच्छी तरह मनाया जा सकता है। उन्होंने स्थानीय कलीसियाओं से उम्मीद जतायी कि इसके द्वारा बहुत से लोगों को ईश्वर की करुणा का माध्यम बनने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा। संत पापा ने कहा कि करुणा प्रदर्शित करने के कार्यों के रूप में उन स्थलों के करुणा के द्वार भी खोल दिए जायेंगे जहाँ असुविधा एवं अलगाव हैं उदाहरण के लिए, विश्व भर के कैदियों के लिए।

संत पापा ने सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत किया विशेषकर, रोम, इटली तथा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आये तीर्थयात्रियों का। उन्होंने वाटिकन स्थित संत मर्था के दवाख़ाना में सेवारत मड्रीड के न्यास को धन्यवाद दिया। एकात्मता के साक्ष्य के लिए संत पापा ने सभी स्वयंसेवकों के प्रति कृतज्ञता अर्पित की।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








All the contents on this site are copyrighted ©.