2015-12-11 15:18:00

धार्मिक स्वतंत्रता हेतु अन्तरराष्ट्रीय दवाब की आवश्यकता


लाहौर, शुक्रवार, 11 दिसम्बर 2015, (ऊका न्युज) पाकिस्तान के कथालिक धर्माध्यक्ष समसोन शुर्ख़ादीन ने वर्ष 2015 को सरकार की सुरक्षा वादों के बावजूद धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए एक कठिन और मुश्किल वर्ष बतलाया।

उन्होंने कहा कि अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष भी अल्पसंख्यकों पर हिंसा और विभिन्न प्रकार के अत्याचार और जुल्म होते रहे। “लाहौर के काथलिक गिरजाघरों पर बम गिराये गये और बहुत से ख्रीस्तीयों को इसकी संलिप्ता में बन्दीगृह में कैद कर रखा गया। सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों की चीकनी चूपड़ी बातें करती रही लेकिन उनके अधिकारों और सुरक्षा का कुछ ख्याल नहीं किया गया”।

ज्ञात हो वर्ष 2015, मार्च के महीने में 15 लोगों की जानें चली गयीं और दर्जनों की संख्या में लोग घालय हुए जब लाहौर के गिरजाघरों में आत्मघाती बम हमलें किये गये।

धर्माध्यक्ष ने बतलाया कि अक्तूबर के महीने में यू एन मानवीय अधिकार आयोग की मतगणना सूची में पाकिस्तान मानवीय अधिकारों के आँकड़े एकदम निम्न थे। उन्होंने कहा कि इस तरह के अन्तराष्ट्रीय दबाव की नितांत आवश्यकता है जिससे कि सरकार अल्पसंख्यकों के अधिकारों की  रक्षा हेतु ध्यान दे।

10 दिसम्बर मानव अधिकार दिवस के अवसर पर करीब 400 की संख्या में धार्मिक अल्पसंख्यकों ने पंजाब विधान सभा के सामने प्रर्दशन किया और गैर-मुस्लिमों की रक्षा हेतु माँग की। प्रर्दशन के दौरान अल्पसंख्यकों पर अत्यचार, बलपूर्वक धर्मान्तरण, भेदभावना और हिंसा जैसे मामलों की चर्चा की गयी।
 








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