2015-12-09 16:20:00

‘करूणा’ सुसमाचार का मूल शब्द


वाटिकन सिटी, बुधवार, 9 दिसम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ‘करूणा’ सुसमाचार का मूल शब्द है। रोम स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में मंगलवार 8 दिसम्बर को करुणा की जयन्ती वर्ष का पवित्र द्वार खोलकर उद्घाटन करने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

धन्य कुँवारी मरियम के निष्कलंक गर्भागमन के महापर्व पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में संत पापा ने कहा कि इस त्यौहार को मनाने के लिए दो बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला, ईश्वर एवं उनकी करुणामय कृपा को अपने जीवन में पूरी तरह स्वीकार करना। दूसरा, सुसमाचार प्रचार की यात्रा द्वारा करुणा के सेवक बनना। उन्होंने कहा कि माता मरियम का अनुसरण करते हुए हम ख्रीस्त को धारण करने एवं उनके प्रेम का साक्ष्य देने के लिए बुलाये गये हैं विशेषकर, जरूरतमंद लोगों के लिए।

संत पापा ने कहा कि माता मरियम के निष्कलंक गर्भागमन महापर्व का हमारे लिए एक खास संदेश हैं, ″यह हमें स्मरण दिलाता है कि हमारे जीवन का सब कुछ वरदान है, सब कुछ करुणा है।″ माता मरियम हमें यह जानने में मदद करती है कि दिव्य करुणा ख्रीस्तीयों का एक विशिष्ट चिह्न है। ईश्वर की करुणा को स्वीकार किये बिना जिस तरह व्यक्ति ईश्वर को धारण नहीं कर सकता उसी तरह, दया से रहित व्यक्ति सच्चा ख्रीस्तीय नहीं हो सकता। ″करुणा सुसमाचार का मूल शब्द है। येसु का चेहरा, विशेषकर, उस समय का जब वे क्रूस पर लटकाये गये। उनकी क्षमाशीलता में हम ईश्वर की दयालुता को देखते हैं। यही कारण है कि हमें भयभीत नहीं होना चाहिए और ईश्वर की करुणा द्वारा आलिंगन किया जाना चाहिए जो हमारे सभी पापों को क्षमा करने के लिए हमारा इंतजार करते हैं।″ 

देवदूत प्रार्थना के पश्चात संत पापा फ्राँसिस ने सभी तीर्थयात्रियों को निमंत्रण दिया कि वे करुणा की जयन्ती वर्ष के उद्घआटन समारोह में भाग लेने पधारे, ससम्मान सेवा निवृत संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें का अभिवादन करें। विदित हो कि संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें प्रथम तीर्थयात्री हैं जिन्होंने पवित्र द्वार से होकर सबसे पहले प्रवेश किया। 








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