2015-12-09 16:24:00

क्यों करुणा की जयन्ती मनायी जाती है?


वाटिकन सिटी, बुधवार 09 नवम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को इतालवी भाषा में  संबोधित करते हुए कहा-

प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात

केन्द्रीय अफ्रीका के बांगी में करूणा के द्वार को खोलने के बाद कल मैंने संत पेत्रुस महागिरजाघर के पवित्र द्वार को खोल कर करूणा के जयन्ती वर्ष की शुरूआत की। आज मैं आप लोगों के साथ करुणा की पवित्र जयन्ती वर्ष पर मनन करुँगा कि क्यों करुणा की जयन्ती मनायी जाती है?

कलीसिया को इस विशिष्ट समय की आवश्यकता है। हमारे वृहृद परिवर्तन के इस दौर में कलीसिया को ईश्वर की उपस्थिति और उनसे निकटतम संबंध का प्रत्यक्ष प्रस्तुत करने का निमंत्रण मिलता है और जयन्ती वर्ष इसके लिए उपयुक्त समय है क्योंकि यह हमें ईश्वर की दया, जो सभी मानवीय कमजोरियों से परे है जो पाप के अन्धकार में प्रकाश सा जगमगाता है जिसके दवारा हम विश्वास में सबल और उनके प्रभावकारी साक्षी बनते हैं, पर मनन करने का अवसर प्रदान करता है।

हम अपनी आँखें दयालु पिता ईश्वर की ओर उठते हुए उन भाई बहनों की ओर अपनी दया की नजरें फेरें जिन्हें हमारी आवश्यकता है। सुसमाचार इस दया की इस भावना को केन्द्रित करने में हमारी मदद करता है जहाँ हम येसु, करुणा के सागर को मानव बनते और दुनिया में हमारे लिए आते देखते हैं। करूणा की जयन्ती को मनना हमारे व्यक्तिगत जीवन और पूरे समुदाय में ख्रीस्तीय विश्वास को केन्द्र विन्दु बनाने के समान हैं।

अतः यह पवित्र साल हमारे लिए करुणा को जीना है। हाँ मेरे प्रिय भाइयो एवं बहनो, करूणा की जयन्ती हमारे लिए इसलिए दिया गया है कि हम ईश्वरीय दया और क्षमा का मधुर एहसास और उनकी उपस्थिति विशेष तौर रूप से उनके समीप्य को हमारे अति आवश्यकता के क्षणों में कर सकें।  जयन्ती, संक्षेप में, एक विशेष अवसर है जहां कलीसिया एक उत्तम वस्तु का चयन हमें सीखती है जो ईश्वर की नजरों में अति प्यारी है। वह कौन सी चीज है जिस ईश्वर सबसे अधिक प्रसन्द करते है? अपने बच्चों को क्षमा करना, उन पर दया दिखाना जिसे वे अपने जीवन में दूसरे भाई-बहनों को अपनी दया और क्षमा दिखा सकें और दुनिया में दीपक के समान जगमगा सकें। प्रिय भाई एवं बहनों जयन्ती कलीसिया के लिए एक विशेष अवसर होगा यदि हम उन चीजों को चुने जिसे ईश्वर अधिक पसन्द करते हैं। दया को छोड़ हमारे लिए दूसरी चीजें महत्वपूर्ण नहीं हैं जिसे ईश्वर सबसे अधिक पसंद करते हैं। 

कलीसिया में हमारे आवश्यक काम के संस्थानों का नवीनीकरण भी ईश्वर की दया और करुणा पर आधारित हो जो विश्वासियों में नवजीवन का संचार करेगा और ऐसा करने से कलीसिया उस पर्वत पर बसे हुए शहर के समान होगा जो छुप नहीं सकता। (मती 5.14) यदि हम ईश्वरीय दया को भूल जाते जो उनको अति प्रिय है तो हमारे सारे प्रयास व्यर्थ होंगे क्योंकि हम अपनी संस्थानों के कार्यकर्ता मात्र ही रह जाते चाहे हमारे कार्य कितने ही नवीनतम क्यों न हो।

“हमारे साथ येसु में मजबूती का अनुभव करें क्योंकि भला चरवाहा हमें खोजने आते हैं क्योंकि हम खो गये थे।” करूणा के पवित्र साल में कलीसिया का लक्ष्य यही है जिससे हम इस बात को दावे के साथ कह सकें की हमारे करुणा के कार्य से दुनिया और सुन्दर बन सकती है, विशेष कर वर्तमान  समय में जहां क्षमा हमारे जीवन में दुर्लभ अतिथि बन जाता है, जहां करूणा का आहृवान हमारे परिवारों, संस्थानों, समाज और कार्यस्थलों में महत्वपूर्ण हो जाता है।

आप लोगों में से बहुत यह तर्क करेंगे, “लेकिन संत पापा, कलीसिया इस वर्ष जरुरत से ज्याद ऐसा न करे । ईश वचनों पर मनन कीजिए कितने सारे महत्वपूर्ण जरुरत के काम हैं।” सचमुच, कितने सारे काम करने हैं और मैं उन्हें याद करते नहीं थकता। आप को याद रखना चाहिए की दया को भूलने का मुख्य कारण केवल स्वयं से प्यार करना है। संसार मैं यह केवल अपनी ही खुशी, इच्छा, मान-मर्यादा और धन जमा करने की सोचता है जो ख्रीस्तीयों के जीवन में दुनियादारी और ढ़ोग का प्रतिरूप हैं। दुनिया स्वतः प्रेम के विचारों से भरी है जो दुनिया में करुणा को अपरिचित बना देती है और हम इसे पाप की तरह नहीं पहचान पाते और इसीलिए हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है की हम पापी हैं जिन्हें ईश्वरीय दया की जरुरत है।

प्रिय भाइयो एवं बहनो, मैं आशा करता हूँ इस पवित्र वर्ष में हममें से प्रत्येक जन ईश्वरीय दया का अनुभव करे जिससे हम उन चीजों का साक्ष्य दे सकें जो उन्हें प्रिय है। यह एक निष्कपट विश्वास है जो दुनिया को परिवर्तित करेगा। हाँ मानवीय रूप में यह मुर्खता है लेकिन ईश्वर की मुर्खता मनुष्यों से अधिक विवेकपूर्ण और ईश्वर की दुर्बलता मनुष्यों से अधिक शक्तिशाली है।(1 कुर.1.12)

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सबों का अभिवादन करते हुए कहा, “मैं स्कॉटलैंड, डेनमार्क, इंडोनेशिया, जापान, कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका से आज के आमदर्शन में भाग लेने आये आप सब तीर्थयात्रियों और अंग्रेजी बोलने वाले आगंतुकों का स्वागत और अभिवादन करता हूँ। गैलीलियो अंतरिक्ष कार्यक्रम की अंतरराष्ट्रीय टीम को मेरा विशेष अभिवादन। सर्वशक्तिमान ईश्वर आप को और आपके परिवार को अपनी खुशी और शांति प्रदान करें। ईश्वर आप सब का भला करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।

 








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