2015-12-02 15:53:00

तुम अपने विश्वास में मजबूत बने रहो, तुम मेरे साक्षी बनोगे


वाटिकन सिटी, बुधवार02 नवम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों और विश्वासियों के साथ फिलहाल की प्रेरितिक यात्रा के मनोभावो को साझा करते हुए इतालवी भाषा में  कहा-

प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात

कुछ दिन पूर्व ही मैंने अफ्रीका की पहली प्रेरितिक यात्रा की। मैं ईश्वर के इस उपहार का धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने तीन देशों केनिया, यूगान्डा और केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य की यात्रा में मेरी सहायता की। मैं तीनों देशों के सरकारी अधिकारियों, धर्माध्यक्षों और उन लोगों का शुक्रगुजार हूँ जिन्हें अपने अथक परिश्रम से मेरी यात्रा को सफल बनाया और मेरा स्वागत किया।

 

केनिया एक ऐसा देश है जो भूमंडलीय चुनौतियों का समना करने में हमारा प्रतिनिधित्व करता है। यह विकास के माध्यमों को नये ढ़ग से व्यवस्थित कर सृष्टि की सुरक्षा करता क्योंकि यह न्यायसंगत है। यह बात पूर्वी अफ्रीका के शानदार शहर नैरोबी में देखने को मिला जहां गरीबी और समृद्धि दोनों निवास करती है, जहाँ पर्यावरण संबंधित युनाईटेड नेशन्सस का मुख्य कार्यालय अवस्थित हैं। केनिया में मैंने अधिकरियों, राजनयिकों और पड़ोसी के निवासियों से मुलाकात की। मैंने विभिन्न ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के अगुवों, पुरोहितों, समर्पित जनों और युवाओं से भेंट की। सभी अवसरों में मैंने उन्हें प्राकृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को सहेज कर रखने हेतु प्रोत्साहन दिया जो धरती, युवा पीढ़ी और देश के मुल्यों के द्वारा सुरक्षित रहता है। इस संदर्भ में मैं बड़ी खुशी से आप सब के लिए पुर्नजीवित प्रभु की आशा लेकर आता हूँ “विश्वास में सुदृढ बने रहें और न डरें।” केनिया के लिए यही मेरा प्रेरितिक नारा था। यह बात रोज दिन के जीवन में विभिन्न तरीकों के अनुभव किया जाता है। यह बात 12 अप्रैल को गारीसा के महाविद्यालय में प्रमाणित हुई जहाँ युवाओं को ख्रीस्तीय होने के कारण अपना प्राण देना पड़ा। उनका लहू केनिया, अफ्रीका और पूरे विश्व में शांति का बीज है।

 यूगान्डा की मेरी यात्रा यूगान्डा के शहीदों के परिदृश्य में हुई जो आज के 50 साल पहले येसु के नाम में अपना रक्त बहाया जिन्हें संत पापा पौल 6वें ने धन्य और संत घोषित किया है। इसी कारण यूगान्डा की प्रेरितिक यात्रा हेतु मेरा नारा था “तुम मेरे साक्ष्य होगे।” (प्रेरि.1.8) यह नारा इन वचनों के बाद कि तुम्हें शक्ति प्राप्त होगी जब पवित्र आत्मा तुम्हारे ऊपर उतरेगा, तुरन्त आता है क्योंकि यह पवित्र आत्मा है जो प्रेरितिक कामों के लिए प्रेरितों का मन-दिल प्रेरित करता है। यूगान्डा की यात्रा इस तरह पवित्र आत्मा की प्रेरणा से पूरी हुई। मैं प्रचारकों के परिवारों का धन्यवाद अदा करता हूँ क्योंकि वे अपने जीवन के द्वारा समर्पण और सेवा की बातें उजागर करते हैं। प्रेम के साक्ष्य का प्रथम अनुभव मैंने नलूकोलोंगो में किया जहां विभिन्न समुदाय के लोग गरीबों, असहाय और बीमारों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। उन युवाओं का साक्ष्य जो कठिनाइयों के बावजूद आशा के उपहार में बने रहते और सुसमाचार को, दुनिया की रीत के विपरीत चलते हुए अपने जीवन में जीने का प्रयास करते हैं। साक्ष्य उन पुरोहितों, समर्पित लोगों और भाई बहनों का जो अपने प्रतिदिन के “हाँ” को येसु में नवीकृत करते और अपना जीवन आनन्द में दूसरों की सेवा हेतु अर्पित करते हैं। ये सारे साक्ष्य पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित किये जाते जो समाज में खमीर के समान है जो यूगान्डा में विभिन्न प्रेरितिक कामों को प्रभावकारी बनाते हैं।
 

मेरी प्रेरितिक यात्रा का तीसरा पड़ाव केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य था जो की भौगोलिक दृष्टि कोण से महाद्वीप का हृदय है। वास्तव में मेरे मन में प्रेरितिक यात्रा का यह प्रथम पड़ाव था क्योंकि यह देश कठिनाइयों के दौर से होकर गुजर रहा है और इसके निवासी युद्ध, हिंसा और दुःखों से बाहर निकलने की कोशिश कर रहें हैं। यही कारण है कि मैं करुणा की जयन्ती के द्वार को समय से पहले बांगी में खोलना चाहा जिससे की यह विश्वास और आशा की निशानी का दीप बन अफ्रीका के लोगों में जलता रहे जो मुक्ति और संत्वाना की आस रखते हैं। येसु ने अपने शिष्यों को बुलावा, “हम उस पार चलें ” (लूका.8.22) केन्द्रीय अफ्रीकी गणराज्य के लिए मेरा नारा था। इसका सामाजिक अर्थ युद्ध, विभाजन, गरीबी का परित्याग करना और शांति, मेल-मिलाप और विकास को चुनना है। परिवर्तन के नेक विचार हमारे मन-दिल, आचार-व्यवहार में परिलक्षित हो। इस समय विभिन्न धार्मिक समुदायों को अपना विशेष योगदान देने की जरूरत है। अतः मैंने सुसमाचार प्रेरिताई कार्य और मुस्लिम समुदाय के अगुवों से मुलाकात कर शांति और समर्पण हेतु प्रार्थना की। मैंने न केवल पुरोहितों, धर्मसमाजियों बल्कि युवाओं से भी मुलाकात की और पुर्नजीवित येसु की खुशी को एक दूसरे से साझा किया जो जीवन की नाव, हमारे नाव के खेवनहार हैं जो इसे दूसरे छोर तक ले चलते हैं। अनतः हम सबों ने बांगुई के स्टेडियम में संत अन्द्रेयस के पर्व दिवस पर मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए येसु ख्रीस्त के अनुसारण में अपने विश्वास, आशा, शांति और करूणा की मूर्ति के प्रति अपने समर्पण का दुहरावा किया। हमने हमारी यात्रा के लिए येसु ख्रीस्त का धन्यवाद किया और प्रार्थना की कि हम उनके वचनों में सबल बन रहें, “तुम अपने विश्वास में मजबूत बने रहो, तुम मेरे साक्षी बनोगे, आओ हम उस पार चलें।”

 

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपने प्रेरितिक यात्रा के वृतान्त का समापन किया और संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए सभी तीर्थ यात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, कोरिया और अमरीका से आज के आमदर्शन समारोह में भाग ले रहे आप सब तीर्थयात्रियों और अंग्रेजी बोलने वाले आगंतुकों का स्वागत करता हूँ। आज के गायक दल “अप विद पिपल” को हमारे साथ अपना संगीत साझा करने हेतु धन्यवाद। आपके परिवार को ईश्वर अपनी खुशी और शांति से भर दे। ईश्वर आप सब का भला करे और इतना कहने बाद संत पापा  सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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