वाटिकन सिटी, सोमवार, 1 दिसम्बर 2015 (एशियान्यूज़): संत पापा फ्राँसिस ने कुस्तुनतुनिया के ख्रीस्तीय ऑथोडोक्स धर्मगुरू बारथोलोमियो प्रथम को उनकी कलीसिया के संरक्षक संत आंद्रेयस के पर्व दिवस पर एक संदेश प्रेषित कर शुभकामनाएँ अर्पित की।
विदित हो कि 30 नवम्बर को ऑथोडोक्स कलीसिया के संरक्षक संत अंद्रेयस का महापर्व मनाया जाता है तथा परम्परा अनुसार काथलिक कलीसिया के प्रतिनिधि इस्तम्बुल की ऑथोडोक्स कलीसिया को शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं।
प्रेरितिक यात्रा पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य गये संत पापा फ्राँसिस ने भी बांगी से धर्मगुरू बारथोलोमियो प्रथम को पर्व की शुभकामनाएं अर्पित की।
ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता को प्रोत्साहन देने हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल कुर्ट कोच ने इस अवसर पर संत पापा की ओर से एक संदेश प्रेषित किया।
उन्होंने कहा, ″यूखरिस्तीय एकता में दोनों कलीसियाओं के बीच कोई बाधा नहीं है तथा पूर्ण एकता की ओर प्रयास जारी है जो हमारे पूजनीय पूर्ववर्ती संत पापा पौल षष्टम तथा अथनागोरस प्रथम द्वारा मेल-मिलाप एवं शांति के चिन्ह से प्रेरित होती है।″
उन्होंने कहा कि यद्यपि काथलिक कलीसिया एवं ऑथोडोक्स कलीसिया के बीच मतभेदों का अंत नहीं हो पाया है तथापि एक आवश्यक परिस्थिति उभरकर सामने आयी है कि हम मिलकर विश्वास में सहभागिता, भाईचारे तथा कलीसियाई जीवन में आरम्भिक ख्रीस्तीय समुदाय की संस्कारीय जीवन की ओर आगे बढ़ें। प्रेम एवं भाईचारे के संबंध को सुरक्षित रखते हुए आपसी विश्वास, सम्मान तथा उदारता में बने रहकर, यूखरिस्तीय एकता में कोई रूकावट नहीं रह गयी है जो प्रार्थना, हृदय के शुद्धिकरण, वार्ता तथा सच्चाई के समर्थन द्वारा सुदृढ़ किया जा सकती है। जहाँ भी कलीसिया के जीवन में प्रेम है निश्चित रूप से वह यूखरिस्तीय प्रेम प्रस्फूटित होता एवं पूर्णता प्राप्त करता है। इसी प्रकार भ्रातृत्व के आलिंगन का गहराई सच्चाई यूखरिस्तीय समारोह के दौरान शांति के आलिंगन में मिलती है।
संत पापा ने कहा कि पूर्ण एकता की ओर अपनी इस यात्रा में, हमें हमारे पूजनीय संत पापा पौल षष्टम एवं अथनागोरस प्रथम के मेल-मिलाप एवं शांति के चिन्ह से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। संत पापा ने कहा कि ईश्वर के प्रेम से बल पाकर हम एक साथ दुनिया को ख्रीस्त के मेल-मिलाप एवं मुक्ति के संदेश का विश्वसनीय और प्रभावी गवाही दे सकते हैं।
उन्होंने दुनिया में हो रहे आतंकवादी हमलों के बीच मेल-मिलाप की नितांत आवश्यकता बतलायी तथा कहा कि ऐसी परिस्थिति में हम अपनी प्रार्थनाओं तथा वार्ता द्वारा शांति लाकर संघर्ष के शिकार लोगों की मदद कर सकते हैं।
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