2015-11-27 12:10:00

सन्त पापा फ्राँसिस अफ्रीकी देशों की यात्रा के दूसरे चरण में


केनिया से यूगाण्डा, शुक्रवार, 27 नवम्बर 2015 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस अफ्रीका की छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण में पहुँच चुके हैं। शुक्रवार सन्ध्या सन्त पापा केनिया से विदा ले लगभग 500 किलो मीटर की दूरी पर स्थित यूगाण्डा की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। यूगाण्डा में वे राजधानी कम्पाला के स्टेट हाऊस में यूगाण्डा के राष्ट्रपति योवेरी कागूता मूसेवेनी से औपचारिक मुलाकात कर यूगाणडा के प्रशासनिक अधिकारियों एवं राष्ट्र में सेवारत राजनयिकों को सन्देश देकर शुक्रवार का दिन समाप्त कर रहे हैं।

गुरुवार 26 नवम्बर को सन्त पापा फ्राँसिस ने नायरोबी यूनीवरसिटी केम्प में ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसमें नायरोबी पुलिस द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार लगभग पाँच लाख श्रद्धालु उपस्थित हुए। बताया जाता है कि वर्षा और मौसम की ख़राबी के बावजूद बड़े सबेरे से लोग लम्बी-लम्बी कतारों में यूनीवर्सिटी केम्प जाने की प्रतीक्षा करते रहे थे ताकि अपने प्रिय सन्त पापा की एक झलक पा सकें। एसोसियेटेड प्रेस को पुलिस अधीक्षक जापेथ कूमें ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था इतनी अधिक कड़ी थी कि लोगों को कतारों में घण्टों प्रतीक्षा करनी पड़ी।

केनिया के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के साथ-साथ इस्लाम धर्मानुयायियों ने भी सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा का हार्दिक स्वागत किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि देश में सन्त पापा की  उपस्थिति विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच मैत्री को प्रोत्साहन देगी तथा शांति के प्रयासों को मज़बूती प्रदान करेगी। लगभग सभी समाचार पत्रों ने रंग –बिरंगी तस्वीरों सहित सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा का विवरण प्रकाशित किया। बहुत से समाचार पत्रों में मुख पृष्ठ पर ही सन्त पापा फ्राँसिस तथा विश्वव्यापी गम्भीर परिस्थितियों पर उनकी उत्कंठाओं को प्रकाशित किया गया तथा केनिया के बहुत से जाने माने लोगों के विचार प्रकाशित किये गये। केनिया के सेनेटर, इस्लाम धर्मानुयायी हसन ओमर ने टेलेविज़न पर प्रसारित एक कार्यक्रम में कहा कि वे सहिष्णुता तथा निर्धनों के पक्ष में सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, "काथलिक कलीसिया के इन सन्त पापा ने धर्म की सीमाओं से परे जाकर लोगों की मदद का बीड़ा उठाया है। इन्होंने फिलीस्तीनीयों की प्रताड़ना पर आवाज़ उठाई है, दुर्बलों, पददलितों एवं निर्धनों को समाज की मुख्यधारा में लाने का आह्वान किया है। ये सादगी के आदर्श हैं तथा इन्होंने अपने कार्यों से दर्शा दिया है कि ये सामाजिक न्याय के अग्रवर्ती रक्षक हैं।" सेनेटर ओमर के अनुसार सन्त पापा फ्राँसिस एक ऐसे विश्वव्यापी नेता हैं जिनका सन्देश भ्रष्टाचार, निर्धनता, धर्मान्धता एवं चरमपंथ की चुनौतियों का सामना करने को बाध्य अफ्रीका के लिये अत्यधिक महत्वपूर्ण है।        








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