2015-11-23 14:43:00

ख्रीस्त राजा महापर्व, देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिया गया संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 नवम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

कलीसिया की धर्मविधिक पंचांग में अंतिम रविवार को हम ख्रीस्त राजा का महापर्व मनाते हैं। आज के सुसमाचार में येसु पिलातुस के सामने यह प्रकट करते हैं कि उनका राज्य इस संसार का नहीं हैं। (यो.18:36)″ संत पापा ने कहा कि इसका अर्थ यह नहीं है कि येसु दूसरी दुनिया के राजा हैं बल्कि वे इसी दुनिया के, दूसरी तरह के राजा हैं।  

यहाँ दो प्रकार के विचारों का विरोधाभास है। दुनियावी विचार का आधार महत्वाकांक्षा, प्रतियोगिता हथियारों से संघर्ष तथा अंतःकरण के ब्लैकमेल एवं हेरफेर का भय आदि है।

दूसरी ओर, सुसमाचार का विचार येसु का है जो विनम्रता एवं निःस्वार्थ भावना पर आधारित है। यद्यपि यह दबी आवाज में बोलता है तथापि इसमें सच्चाई की शक्ति हैं। इस दुनिया का राज्य बहुधा अहंकार, प्रतिद्वंद्विता, उत्पीड़न पर स्थापित होता है किन्तु ख्रीस्त का राज्य न्याय, प्रेम तथा शांति पर स्थापित होता है।

येसु अपने आप को क्रूस पर एक राजा के रूप में प्रकट करते हैं जो उनके क्रूस की ओर देखता है वह उनके प्रेम के अनोखे वरदान का एहसास करने से वंचित नहीं रहता। संत पापा ने संदेह दूर करते हुए कहा कि आप में से कई लोग सोच सकते हैं कि क्रूस पर उनका आरोपित किया जाना पाप एवं मानव महत्वाकांक्षा का परिणाम था किन्तु क्रूस की विजय है प्रेम का मुफ्त वरदान है। येसु हमें मुफ्त में प्रेम का वरदान प्रदान करते हैं।

ख्रीस्तीयों के लिए सत्ता एवं शक्ति पर विचार करने का अर्थ है येसु के क्रूस एवं प्रेम की शक्ति पर विचार करना। यह एक ऐसा प्यार है जो बहिष्कार की स्थिति में भी दृढ़ और यथावत् बना रहता है तथा जो मानवता की सेवा हेतु पूर्ण समर्पण में जीवन की परिपूर्णता देखता है। कलवारी पर क्रूसित येसु के पास खड़े नेताओं एवं लोगों ने येसु का अपमान किया तथा उन्हें कीलों से क्रूस पर जकड़ दिया। उन्होंने येसु को चुनौती दी कि वह अपने को बचाये तथा क्रूस से नीचे उतरे किन्तु अपने को बचाना एक विरोधाभास था क्योंकि येसु की इस वास्तविकता ने उनके विरोधियों का मजाक उड़ाया। येसु अपने आप को नहीं बचाते हैं। यदि वे क्रूस से नीचे उतरे होते तो शायद दुनिया के राजा बनने के प्रलोभन में पड़ गये होते। वे जानबूझ कर अपने को नहीं बचाते हैं ताकि दूसरों को बचा सकें क्योंकि उन्होंने अपना जीवन औरों क लिए दिया। यह सच है कि येसु ने अपना जीवन संसार के लिए अर्पित किया किन्तु यह कहना अधिक अच्छा है कि उन्होंने अपना जीवन मेरे लिए दिया। संत पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि हम प्रत्येक में से अपने हृदय में यह कहें कि येसु ने अपना जीवन मेरे लिए दिया ताकि हम प्रत्येक को हमारे पापों से मुक्ति दिला सकें।

संत पापा ने कहा कि उनके बलिदान को किसने अच्छी तरह समझा, उन दो डाकूओं में से एक जो येसु के साथ क्रूस पर चढ़ाये गये थे, वह भला डाकू था जो येसु से निवेदन करता है कि अपने राज में येसु उन्हें भी याद करें। (लू.23:42) वह एक अपराधी था एक भ्रष्ट एवं मौत की सज़ा प्राप्त व्यक्ति क्योंकि उसने अपने जीवन में बहुत बुरा काम किया था किन्तु वह येसु की विनम्रता एवं प्रेम के मनोभाव को देखता है और यही है ख्रीस्त का राज्य जो प्रेम का राज्य है। यही कारण है कि येसु का राजत्व हम पर अत्याचार नहीं करता किन्तु हमारी कमज़ोरियों एवं परेशानियों के बीच हमें अच्छाई, मेल मिलाप तथा क्षमाशीलता के रास्ते पर चलने का प्रोत्साहन देता है। हम येसु के क्रूस पर दृष्टि डालें, भले डाकू को देखें तथा उसके साथ कहें येसु, जब आप अपने राज्य में आयेंगे तो  मुझे भी याद कीजिएगा। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त एक ऐसे राजा नहीं हैं जो निरंकुश शासन करते तथा अधीनस्थ की तरह व्यवहार करते हैं किन्तु हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं वे हमें अपने साथ राज्य करने का अवसर प्रदान करते हैं क्योंकि प्रकाशना ग्रंथ कहता है, ″अपने ईश्वर एवं पिता के लिए उन्होंने हमें याजकों का राजवंश बना दिया है।″(प्र.1:6) ईश्वर तथा अपने पड़ोसियों की सेवा के लिए, सेवा जो प्रेम से आती है। प्रेम के कारण सेवा राज करना है यह येसु का राजसी गौरव है।

संसार में लोगों के साथ आँसु बहाते हुए तथा उनके गहरे घावों में हम धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता हेतु प्रार्थना करें ताकि येसु हमारे राजा का अनुसरण करने के हमारे प्रयास को उनका समर्थन मिले तथा हम कोमलता, समझदारी तथा साथ देने के द्वारा उनके साथ राज कर सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने देश विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने सूचना देते हुए कहा, ″बारसेलोना में फेदेरिको बेरगा एवं उनके 25 साथियों की धन्य घोषणा हुई जिन्हें स्पेन में कलीसिया में अत्याचार के समय मार दिया गया था। वे युवा पुरोहित थे। हम उनकी मध्यस्थता द्वारा उन सभी भाई बहनों से लिए प्रार्थना करें जो दुनिया के विभिन्न हिस्सों में ख्रीस्त में विश्वास के कारण अत्याचार के शिकार हो रहे हैं।

उन्होंने अफ्रीका में अपनी आगामी प्रेरितिक यात्रा के लिए प्रार्थना का आग्रह करते हुए कहा, ″अगले बुधवार को मैं अफ्रीका के केन्या, यूगांडा तथा मध्य अफ्रीकी गणराज्य की यात्रा करने जा रहा हूँ। मैं आप सभी से प्रार्थना करता हूँ कि इस यात्रा की सफलता के लिए प्रार्थना करें ताकि यह यात्रा उन देशों के भाई बहनों तथा मेरे लिए सामीप्य एवं प्रेम का चिन्ह बने। संत पापा ने उन देशों में शांति एवं उसकी समृद्धि की कामना करते हुए प्रणाम मरियम प्रार्थना का पाठ किया।

अंत में उन्होंने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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