2015-11-21 12:02:00

प्रेरक मोतीः सन्त जेलासियुस प्रथम, सन्त पापा (पाँचवी शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 21 नवम्बर सन् 2015:

पाँचवी शताब्दी में काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष रहे सन्त जेलासियुस प्रथम, का जन्म रोम में हुआ था। इनके पिता वालेरियुस अफ्रीका के थे। पुरोहिताभिषेक के उपरान्त पहली मार्च, सन् 492 ई. को जेलासियुस की नियुक्ति कलीसियाई परमाध्यक्ष रूप में की गई थी। अपने विवेक, प्रज्ञा, न्याय, पवित्रता तथा उदारता के लिये सन्त पापा जेलासियुस प्रथम विख्यात थे। हालांकि, कॉन्सटेनटीनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष यूफेमियुस के साथ, कुछ धर्मतत्व वैज्ञानिक प्रश्नों पर मतभेदों के कारण, सन्त पापा जेलासियुस का परमाध्यक्षीय काल बोझिल रहा। इसी बीच, उन्होंने कॉन्सटेनटीनोपल द्वारा आलेक्ज़ेनड्रिया एवं एन्टीयोख में घुसपैठ का भी विरोध किया था।

रोम में अन्धविश्वासी रीति रिवाज़ों एवं पर्वों को दूर करने में सन्त पापा जेलिसियुस प्रथम की महान भूमिका रही। इसके अतिरिक्त, सन्त पापा जेलासियुस ने, मानीखेइज़म के विरुद्ध, एक आदेशाज्ञप्ति जारी कर दोनों ही तत्वों में यानि रोटी और दाखरस रूप में यूखारिस्त ग्रहण करने की अनुमति दे दी थी।

ग़ौरतलब है कि तीसरी शताब्दी में स्थापित, मानीखेइज़म अथवा मानी धर्म ईरान के सासानी साम्राज्य के अधीन बेबीलोनिया क्षेत्र में शुरू होकर मध्य एशिया और उसके इर्द-गिर्द के इलाक़ों में बहुत विस्तृत हो गया था। इसकी स्थापना (लगभग २१६-२७६ ई. में) मानी नामक एक मसीहा ने की थी और इसमें बौद्ध धर्म, ज़रथुष्टी धर्म और ईसाई धर्म के बहुत से तत्वों का मिश्रण था। मानी धर्म में सिखाया गया था कि ब्रह्माण्ड में भलाई एवं बुराई के बीच संघर्ष निरन्तर जारी है, जिसमें भलाई का पक्ष सत्य, प्रकाश और आत्मिक तथ्य से सम्बंधित है जबकि बुराई का पक्ष असत्य, अन्धकार और सांसारिक तथ्यों से। इसमें यह दावा किया गया था कि महात्मा बुद्ध, ईसा मसीह और ज़रथुष्ट्र​ के संदेशों की व्याख्या उनके अनुयायियों ने ग़लत तरीकों से की थी और मानी ने उन्हें फिर से स्पष्ट किया है।

अपधर्म से ख्रीस्तीय धर्म की रक्षा करने तथा ख्रीस्तीय विश्वास के तत्वों को अक्षुण रखने के नेक कार्य के अतिरिक्त, सन्त जेलासियुस प्रथम को, कई भक्ति गीतों, प्रार्थनाओं तथा ख्रीस्तयागों के अवसर पर प्रयुक्त कई अवतरणिकाओं की रचना का भी श्रेय दिया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि उन्होंने ही बाईबिल के प्रामाणिक धर्मग्रन्थों को सूचीबद्ध किया था।

रोम में 21 नवम्बर, 496 ई. को सन्त पापा जेलिसियुस प्रथम का निधन हो गया था। रोमी काथलिक पंचाग के अनुसार सन्त जेलासियुस प्रथम का स्मृति दिवस 21 नवम्बर को ही मनाया जाता है।        

चिन्तनः "प्रभु पर श्रद्धा रखो! पाप से दूर रहो! शय्या पर मौन हो कर ध्यान करो। प्रभु को योग्य बलिदान चढ़ाओ और उस पर भरोसा रखो। कितने ही लोग कहते हैं: हमें सुख-शान्ति कहाँ से मिलेगी? प्रभु! हम पर दयादृष्टि कर! जो आनन्द तू मुझे प्रदान करता है, वह उस आनन्द से गहरा है, जो लोगों को अंगूर और गेहूँ की अच्छी फसल से मिलता है। प्रभु! मैं लेटते ही सो जाता हूँ, क्योंकि तू ही मुझे सुरक्षित रखता है" (स्तोत्र ग्रन्थ, 4: 3-7)।   








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