2015-11-21 15:26:00

कलीसिया को जीवन का समर्थन करने से कभी नहीं थकना चाहिए


वाटिकन सिटी, शनिवार, 22 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): जर्मनी के काथलिक धर्माध्यक्षों से संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि करुणा को समर्पित आगामी जयन्ती वर्ष पश्चाताप एवं यूखरिस्त संस्कार को प्रकट करने का एक विशेष अवसर प्रदान करेगा।

कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ अपनी पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात, "आद लीमिना" के लिये जर्मनी से रोम पधारे काथलिक धर्माध्यक्षों से मुलाकात कर सन्त पापा ने शुक्रवार को क्लेमेंटीन सभागर में उन्हें सामूहिक रूप से सम्बोधित किया। मुलाकात के दौरान अर्पित अपने संदेश में संत पापा ने जर्मनी के काथलिकों की संस्कारों के प्रति रूचि में तेजी से गिरावट पर खेद जताया।

उन्होंने कहा, ″जहाँ 1960 के दशक में सभी जगहों पर, हर रविवार को विश्वासी ख्रीस्तयाग में सहभागी होते थे, आज घटकर 10 हो गये हैं।″  

मेल-मिलाप संस्कार लुप्त होता जा रहा है। इने-गिने काथलिक ही दृढ़ीकरण संस्कार ग्रहण कर रहे हैं एवं विवाह संस्कार प्राप्त कर रहे हैं। पुरोहिताई एवं धर्मसमाजी जीवन के लिए बुलाहट खत्म सा हो गया है। इन सारी सच्चाईयों को देखते हुए जर्मनी में काथलिक विश्वास को निश्चय ही एक ह्रास के रूप में देखा जा सकता है।

संत पापा ने विश्वास के प्रति उदासीनता के इस संकट को दूर करने का समाधान बतलाते हुए कहा कि इसे ‘लकवाग्रस्त परित्याग’ की भावना से ऊपर उठने तथा अतीत के 'अच्छे पुराने दिनों' की जहाज पर पुनर्निर्माण करने की भावना को त्यागकर, आरम्भिक ख्रीस्तीय समुदाय से प्रेरणा ग्रहण करने के द्वारा ही पुनः प्राप्त किया जा सकता है। संत पापा ने बाईबिल से फ्रिसिल्ला एवं अक्वील्ला के ख्रीस्त के प्रति प्रेम में उनके वचन एवं कर्म का आदर्श प्रस्तुत किया। उनका उदाहरण हमें संस्थानीकरण के प्रति बढ़ते रूझान की दिशा में विचार करने में मदद करेगा। हम हमेशा नई सुविधाओं की शुरूआत करते हैं जिसमें विश्वासी अंततः गायब होते हैं।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को सलाह दी कि वे करुणा की जयन्ती में मेल-मिलाप संस्कार पर अधिक ध्यान दें क्योंकि मेल-मिलाप संस्कार ही प्रत्येक ख्रीस्तीय के मन-परिवर्तन तथा कलीसिया के पुनः जागरण की शुरूआत है। उन्होंने कहा कि यह भी आवश्यक है कि यूखरिस्त एवं पुरोहिताई के बीच घनिष्ठ संबंध पर भी जोर दिया जाए, संत पापा ने कहा कि यदि पुरोहित नहीं है तो ख्रीस्तयाग भी असम्भव है।

संत पापा ने कलीसिया के कर्तव्यों की याद दिलाते हुए कहा कि कलीसिया को जीवन का समर्थन करने से कभी नहीं थकना चाहिए, मानव जीवन की रक्षा का प्रचार करने को कभी बंद नहीं करना चाहिए। यूरोप के शरणार्थी संकट पर ग़ौर करते हुए संत पापा ने कलीसिया तथा उन सभी लोगों को धन्यवाद दिया जिन्होंने युद्ध और अत्याचार से बचकर भागे लोगों की मदद की है।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों को प्रोत्साहन दिया कि ख्रीस्त की भावना से प्रेरित होकर जरूरतमंद लोगों की मदद करने की चुनौतियों का सामना करते करें तथा मानव जीवन को सुगम बनाने की मानवीय पहलों का समर्थन करते रहें।








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