2015-11-17 15:15:00

विषाक्त जड़ से बचें जो हमें प्रभु से दूर ले जाता है


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 17 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″एकल सोच मानवतावाद जो येसु का स्थान ले लेता है वह हमारी ख्रीस्तीय पहचान को नष्ट कर देता है।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

सोमवार को ख्रीस्तयाग प्रवचन में मकाबियों के ग्रंथ पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि बुराईयों की जड़ जो उन दिनों उभर कर सामने आया था वह था हेलेनिस्टिक सम्राट अंतियोकुस एपीफनेस द्वारा इस्राइलियों पर मूर्तिपूजा को थोपना।

संत पापा ने कहा कि ‘जड़’ अंदर होने का प्रतीक है जो दिखाई नहीं पड़ता। यद्यपि वह किसी तरह से हानिकारक प्रतीत नहीं होता किन्तु बढ़ता तथा अपना सच्चा स्वभाव दिखलाता है। यह एक तर्कसंगत जड़ था जिसने इस्राइलियों को अपने पड़ोसी राज्यों में शरण लेने के लिए मज़बूर किया। हमारे साथ भी यही होता है क्योंकि हम अपना रास्ता अपनाते हैं और जिसके करण कई बुराईयाँ हममें घुस जाती हैं।

संत पापा ने पाठ के तीन शब्दों को प्रस्तुत किया, सांसारिकता, धर्मत्याग तथा अत्याचार।

सांसारिकता एक ऐसा जीवन है जो संसार के अनुसार चलता है। हम अपनी पहचान को जोखिम में डालते हैं तथा सोचते हैं कि हम एक समान हैं। राजा ने आदेश दिया था कि उसके राज्य के सभी लोग एक समान हों। अपनी रीतियों को छोड़ राजा के आदेश का पालन करें। किसी प्रकार की असमानता की अनुमति नहीं थी। संत पापा ने कहा कि यही कारण है कि कलीसिया के इतिहास में हम पाते हैं कि त्यौहारों का नामकरण किया गया ताकि उनकी पुरानी पहचान को मिटाया जा सके।

मानवतावाद आज ख्रीस्तीय पहचान मिटाना चाहती है।

इस्राएल में संहिता की किताबों को जला दिया जाता था और यदि किसी ने संहिता का पालन किया तो राजा के आदेश अनुसार उसे मृत्यु दण्ड दिया जाता था। वह एक ऐसा अत्याचार था जो कड़वाहट की जड़ से शुरू हुआ था। संत पापा ने उस विषाक्त जड़ से सावधान रहने की सलाह दी जो बढ़ता तथा अपना प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि उस विषाक्त जड़ से बचें जो हमें प्रभु से दूर ले जाता है।

संत पापा ने कलीसिया के लिए प्रार्थना की कि प्रभु इस हर प्रकार की सांसारिक मनोभाव से बचाये। तथा येसु द्वारा दिया गया पहचान सदा बना रहे।








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