2015-11-17 15:28:00

मैंने सब कुछ खो दिया किन्तु अपना विश्वास नहीं


मुम्बई, मंगलवार, 17 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″भारत की कलीसिया उत्साही और सक्रिय कलीसिया है तथा संत पापा फ्राँसिस हमें प्यार करते हैं।″ यह बात कोलोम्बो के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मालकोम रंजित ने मुम्बई में राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के समापन पर ख्रीस्तयाग के दौरान कही।

राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस में कई लोगों ने अपने विश्वास का साक्ष्य प्रस्तुत किया जिनमें कनक रेखा नायक द्वारा वर्ष 2008 के ख्रीस्तीय विरोधी तबाही का साक्ष्य अत्यन्त हृदय स्पर्शी रहा।

उन्होंने कहा, ″मैंने अपने पति, घर तथा सारी सम्पति खो दी है किन्तु अपना विश्वास नहीं खोया है। येसु मेरे मुक्तिदाता हैं।″

कनक रेखा नायक ने साक्ष्य देते हुए बतलाया कि किस तरह ख्रीस्तीय विरोधी उपद्रवियों ने उनके पति को मार डाला तथा घर को जलाकर राख कर दिया।

मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल ग्रेशियस ने कहा कि इस प्रकार के साक्ष्य हमारे विश्वास को मजबूती प्रदान करते हैं तथा दिखाते हैं कि ख्रीस्त हमारे साथ हैं। क्रूस को हमारे जीवन से अलग नहीं किया जा सकता।

कनक रेखा नायक ने घटना के बारे बतलाया कि वह स्वर्गीय परिखिता नायक की पत्नी है, उसके दो बच्चे हैं। 25 अगस्त 2008 की बात है करीब 1 बजे वह अपने बच्चों के साथ घर पर थी। अचानक 400 लोगों का एक दल ख्रीस्तीय विरोधी नारे लगाते हुए आया। आवाज सुनकर मैं बच्चों के साथ जंगल की ओर भागी। मैं दूर से जलते घरों से उठते धूँओं को देख सकती थी। मुझे अपने पति की चिंता हो रही थी। भीड़ ने उस घर को घेर लिया जहाँ मेरे पति छिपे हुए थे वे विभिन्न प्रकार के औजार से लैश थे। उन्होंने मेरे पति के दो मित्रों को मारा डाला। मेरा पति किसी तरह जान छुड़ा कर जंगल की ओर भागा।

मैं अपना घर नहीं लौट सकी क्योंकि लोगों ने घर जला दिया था। रातभर जंगल में बिताने के बाद मैं अपनी माँ का घर गयी जहाँ अपने पति से मेरी मुलाकात हुई चूँकि वह स्थान हमारे लिए सुरक्षित नहीं था हम जंगल के रास्ते शहर जाने लगे। जब हम जंगल से होकर शहर की ओर जा रहे थे तभी मेरी बेटी को प्यास लगी और वह रोने लगी। हम पानी की तलाश में सड़क की ओर निकले तभी उपद्रवियों ने मेरे पति को पकड़ लिया। तत्काल सौ के करीब लोग जमा हो गये तथा हमें भद्दी गालियाँ देने लगे। उन्होंने मेरे पति को निकट के एक मंदिर में ले जाकर हाथ खंभा से बाँध दिया। उन्होंने उसे बहुत पीटा तथा हिन्दू धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर किया किन्तु मेरे पति ने हिन्दू बनना अस्वीकार कर दिया। मैं उनके पैर छूकर गिड़गिड़ाने लगी किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। पति के गले पर चेन बांधकर उन्हें एक किलोमीटर तक घसीटा, तब उन्होंने उनका पैर काट दिया, फिर गला और अंत में जला दिया। मैं नजदीक के पुलिस स्टेशन दौड़ी तथा घटना की जानकारी दी। पुलिस घटना स्थल पर आयी किन्तु तब तक उपद्रवी जा चुके थे। पति के शव को पोस्टमॉटम के बाद मैंने उनकी दफन क्रिया पूरी की। जिन्होंने मेरे पति की हत्या की थी उन्हें मैं जानती थी वे जेल लिए गये किन्तु सात दिनों के बाद रिहा कर दिये गये। मैंने अपने पति, घर तथा सारी सम्पति खो दी है किन्तु अपना विश्वास नहीं खोया है। येसु मेरे मुक्तिदाता हैं।








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