भारत के मुम्बई में चल रहे चार दिवसीय राष्ट्रीय यूखरिस्तीय सम्मेलन में भारत के तीन कार्डिनलों के अलावे 168 धर्मप्रान्तों से पुरोहित और धर्मबन्धु भाग ले रहे हैं जो की सन् 1964 ई. में संत पापा पौल षष्टम के भारत दौरे के समय आयोजित अंतर्राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कॉग्रेस की जयन्ती मना रहा है।
रांची महाधर्माप्रान्त के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलस्फोर पी. टोप्पो ने मुख्य वक्ता
के रूप में सम्मेलन को संबोधित करते हुए आशा जातायी है कि यूखरिस्तीय मिलन खीस्तीय समुदायों
को आपसी मिलन और दुनिया में विभिन्न कारणों से उत्पन्न खाई को भरते हुए परिवारों, समुदायों
और देश को आपस में जोड़ने हेतु कारगार सिद्ध होगा।
मुम्बई के कार्डिनल ओस्वाल्ड ग्रेशियस ने कोलम्बो के कार्डिनल मालकोम रंजीत का स्वागत
किया जिन्हें इस सम्मेलन हेतु वाटिकन प्रतिनिधि के रुप में नियुक्त किया गया है। कार्डिनल
ग्रेशियस ने आशा जतायी कि सम्मेलन खीस्तीयों में नई उत्साह और नये विश्वास का सृजन करेगी
जिससे हमारी कठिनाईयों का समाधान निकल सकें और हम अपने आप को और अपने साधनों को आपसी
जरूरत के समय में साझा कर सकें।
सम्मेलन की शुरूआत संत पापा फ्राँसिस द्वारा प्रेषित संदेश के पाठ से हुआ जिसमें संत
पापा ने सम्मेलन को पूरे भारतवर्ष और इसके निवासियों के लिए ईश्वरीय कृपा की संज्ञा दी।
संत पापा ने अपने संदेश में कहा कि हज़ारों सालों से भारत सत्य और ईश्वर, अच्छाई और दयालुता
की खोज करता आया है।
ज्ञात हो की इस सम्मेलन में 4 भारतीय कार्डिनलों के अलावा 70 धर्माध्यक्ष उपस्थित हैं
जो लतीनी, सीरो मलाबार और सीरो मलाकारा रीति की काथलिक समुदाय के हैं।
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